जशपुरनगर। यूँ तो पहाड़ी कोरवाओं को महामहिम राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जाता है। यह परम्परा कब से शुरू हुई कोई स्पष्ट नहीं बता सकता और राष्ट्रपति भवन भी इन्हें कितनी गम्भीरता से लेता है, इसका अंदाजा पहाड़ी कोरवाओं की स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है।
बहरहाल,सामरबार में चार पहाड़ी कोरवाओं की संदेहास्पद मौत को लेकर न केवल प्रशासन ने जांच किया बल्कि विपक्ष की टीम भी जांच कर चली गई लेकिन किसी भी जांच में घटना के सम्बन्ध में कोई स्पष्ट कारण पता नहीं चला। इसी जांच के बीच एक जांच अखिल भारतीय जनजातिय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने भी बीते 6 अप्रैल को घटना स्थल पर जाकर अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से की। जिसमें जो जानकारी उन्हें प्राप्त हुई वह अभी तक हुई जांच को दरकिनार करता हुआ दिखाई दे रहा है। जहां हादसे को प्रथमदृष्टया आत्महत्या करार दिया जा रहा था, वहीं उन्होंने घटना को हत्या होने के कई प्रमाण दिए हैं और जांच एजेंसियों को इस ओर भी जांच की सुई घुमाने को कहा है।
श्री भगत ने जांच में पाया कि घटना से एक वर्ष पूर्व मृतक के पिता की हत्या भी इसी तर्ज पर की गई थी और उसकी हत्या कर लाश घर के पीछे पेड़ में टांगा गया था। जिसमें पुलिस ने मृतकों के रिश्तेदार के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज किया था। जिसमें आरोपी उच्च न्यायालय के आदेश पर जमानत पर है।
उक्त घटना के एक वर्ष बाद बिल्कुल उसी तर्ज पर उनके ही परिवार के चार लोगों का शव पेड़ पर लटका पाया गया, लेकिन पुलिस ने इस ओर कोई जांच नहीं किया और सीधे -सीधे घटना को आत्महत्या बताकर मामले का पटाक्षेप कर दिया।
श्री भगत का कहना है कि मृतकों के शव जिस स्थिति में पाए गए थे , वैसी स्थिति में आत्महत्या नहीं हो सकता है और हो न हो जमीन विवाद के कारण ही मृतकों की हत्या कर लाश को पेड़ पर टांग कर आत्महत्या का रूप दिया गया हो। इस सम्बन्ध में पुलिस को गहन जांच करनी चाहिए।
बहरहाल, घटना के सात दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस घटना की तह तक नहीं पहुँच पाई है। इससे ही पता चलता है इतनी बड़ी घटना की जांच किस मुस्तैदी से की जा रही है।
*पहाड़ी कोरवाओं की संदिग्ध मौत के मामले में आया नया मोड़, एक साल पहले हुई थी मृतक के पिता की हत्या, जनजातीय सुरक्षा मंच ने ग्राउण्ड जीरो पहुंचकर की पड़ताल, राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने खोले ये रहस्य…*
