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*जशपुर की बहू अंकिता जैन को ओह रे किसान पुस्तक के लिए मिला राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार……*

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जशपुरनगर। भारत सरकार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 30 सितंबर को दिल्ली में किताब ‘ओह रे! किसान’ के लिए ‘मेदिनी पुरस्कार’ दिया गया। यह पुरस्कार प्रदान करने हेतु मंत्रालय के विशिष्ट जनों में, राज्य मंत्री महोदय, संयुक्त सचिव एवं राजभाषा की निदेशक उपस्थित रहीं।
पुरस्कार में शॉल ओढ़ाया गया, प्रशस्ति पत्र, एवं पचार हज़ार की पुरस्कार राशि दी गई।

ओह रे किसान –

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यह किताब उन छोटी जोत वाले किसानों की बात कहती है जिनका अस्तित्व अब ख़तरे के निशान तक पहुँच चुका है। जो अपनी आने वाली पीढ़ी को किसान नहीं बनाना चाहते। जो समाज, सरकार, बिचौलियों सबकी तरफ़ से उदासीन हैं। यह किताब इन किसानों के साथ-साथ भारतीय वैदिक परंपरा में अपनाई जाने वाली खेती का वर्तमान रूप भी बताती है और वे तरीक़े भी बताती है जिससे प्रकृति, किसान और मानवता को बचाया जा सकता है। इसके अलावा इस किताब में बताया गया है कि किस तरफ वनस्पति भी भावनाओं को महसूस कर सकते हैं और उनसे जुड़कर हम इस धरती को मरने से बचा सकते हैं।

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