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*बिग ब्रेकिंग: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत जशपुर जिले में बनाए जा रहे हैं अनुसूचित जनजाति के जाति और प्रमाण पत्र !एक व्यक्ति के दो राजस्व अभिलेखों में अलग अलग जाति का उल्लेख फिर भी किस आधार पर दिया जा रहा है उरांव जनजाति का जाति प्रमाण पत्र ….गणेश राम भगत ने ज्ञापन सौंप पूछे सवाल।*

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जशपुर : यूं तो अनुसूचित जनजाति के जाति प्रमाण पत्र बनाने हेतु उच्चतम न्यायालय के द्वारा समय समय पर कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं किंतु वर्ष 2004 में उच्चतम। न्यायालय ने केरल राज्य विरुद्ध चंद्रमोहन्न के मामले में स्पष्ट निर्देश दिया है की ऐसा व्यक्ति जिसने धर्म परिवर्तन कर अपनी जाति के रीति रिवाज परंपरा को मनाना छोड़ दिया है उसे अनुसूचित जनजाति का नहीं माना जा सकता है । विदित हो की उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय के बाद भी आज पर्यंत तक ऐसे धर्मांतरित लोगों को अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र जशपुर जिले में दिया जा रहा है सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि जिनके मिसल बंदोबस्त में जाति क्रिस्तान और 1949 के अभिलेख में जाति उरांव दर्ज है उन्हे किस आधार पर उरांव जनजाति का प्रमाण पत्र किस आधार पर दिया जा रहा है ?यह सवाल 3 जून को अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने बगीचा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को ज्ञापन सौंपते हुए पूछा है। विदित हो की ज्ञापन सौंपने श्री भगत अपने समर्थकों के साथ व्हील चेयर पर एसडीएम कार्यालय बगीचा पहुंचे थे। पढ़िए ज्ञापन में और किन विषयों पर सवाल उठाए गए हैं

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