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*big breaking jashpur :- बच्चों को ईलाज कराने के बजाय,भेज रहे घर,आजाक विभाग की बड़ी लापरवाही,उजागर..एक ही क्लॉस के 33 बच्चें बीमार हालत में भागे घर,मंडल संयोजक,व हॉस्टल अधीक्षक की निगरानी सवालों के घेरे में, सहायक आयुक्त ने कहा..उच्च अधिकारियों को नही दी जानकारी..होगी बड़ी कार्यवाही…..देखिए वीडियो*

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बच्चों को ईलाज कराने के बजाय,भेज रहे घर,आजाक विभाग की बड़ी लापरवाही,उजागर..एक ही क्लॉस के 33 बच्चें..

कोतबा,जशपुरनगर:-(मयंक शर्मा,नारायण साहू की ग्राउण्ड रिपोर्ट..!)  शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोतबा के प्री मैट्रिक बालक छात्रावास के कक्षा नवमीं के 43 बच्चों में 33 बच्चें बीमार होने के कारण उन्हें समुचित उपचार नहीं मिला जिसके कारण उन्हें घर जाना पड़ा।
बच्चों ने बताया कि उन्हें हॉस्टल में सर्दी,खांसी,बुखार से पिछले एक सप्ताह से तबियत खराब है।बच्चों ने बताया कि उन्हें कोई उपचार नही मिलने के कारण घर जाना पड़ा।
बिडंबना है कि हॉस्टलों में प्रशासन की ओर से सम्पूर्ण सुविधा होने के बावजूद अधीक्षक,व मंडल संयोजक अपनी जवाबदारियां तय नही करते है.इसके लिये उन्होंने शिक्षा समिति के अध्यक्ष,उपाध्यक्ष व अपने किसी भी उच्च अधिकारियों को जानकारी प्रेषित नही किया गया है। इधर प्रभारी मंडल संयोजक संजय चंद्रा ने भी अपना दायित्व नहीं निभाई.उनके द्वारा नियमित निरीक्षण किया जाता तो इस तरह के मामले नहीं आते। इतने सारे बच्चों के बीमार होने के बावजूद भी अधीक्षक के द्वारा हॉस्टल में मेडिकल कैंप नही लगाया गया.बल्कि स्वास्थ्य सहित विभाग के लोगों को जानकारी देना भी उचित नहीं समझा गया। बीमार छात्र दीपेश कुमार,चंद्रभान सहित अन्य लोगों ने अस्पताल उपचार कराने आये तब उन्होंने बताया कि सोमवार से उनकी तबियत खराब हुई है.हॉस्टल अधीक्षक को बोलने पर दवाइयां लेकर घर जाकर उपचार कराने की बात की गई.जिसके कारण उन्हें अपने परिजनों को बुलाकर घर जाना पड़ा।
पालक विजय कुमार पैंकरा ने बताया कि जिस भरोषा के साथ अपने बच्चों को स्कूल भेजते है.उसके मुताबिक सुविधा मुहैया नही होती.उन्होंने कहा कि बड़ा दुःख हो रहा है कि मेरे बेटे को पिछले पांच दिनों से तबियत खराब है.हम लोगों को फोन किया था लेकिन इन दिनों खेतीं किसानी काम होने के कारण फोन नही देख पाये. आज इन्हें उपचार करा कर घर ले जा रहा हूँ।शासन प्रशासन के द्वारा सभी सुविधा दिया जाता है.लेकिन इसी हॉस्टल में क्यों नही मिल रहा यह समझ से परे है।
आज मीडिया की टीम के द्वारा इसकी पड़ताल की गई तो बच्चों ने बताया कि सभी बच्चें बीमार होने के कारण उन्हें घर जाना पड़ा.अभी दो लड़के और जा रहें है।ऐसे में 43 बच्चों में मात्र 7 बच्चें ही बच गये है.जो स्वस्थ है.इसी बात से अनुमान लगाया जा सकता हैं कि यहां के हॉस्टल अधीक्षक और मंडल संयोजक का कितना गैरजिम्मेदाराना रवैया है।
मामले को लेकर हॉस्टल अधीक्षक श्री राम साहू से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बच्चों को कोरोना टिका लगाया गया था.जिसके कारण बुखार की शिकायत थी.बुखार ठीक ही नही होने के कारण घर जाने की सलाह दिया गया है।
उनसे जब उच्च अधिकारियों सहित समिति के अन्य सदस्यों को जानकारी प्रदान नही करने का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जानकारी तो नही दिया गया है.आज जानकारी प्रेषित की जायेगी।
विदित हो कि प्री मैट्रिक में कक्षा 6 से 10 तक बच्चें हॉस्टल में रहते है.जबकि पोस्ट मैट्रिक में 11वीं और 12 वी के बच्चें रहते है।हमारी पड़ताल तो मात्र 9 वी क्लास के बच्चों में की गई जिसमें 43 में 33 बच्चे बीमार होकर घर लौट गए है.जबकि अन्य क्लॉस के बच्चों की हालत क्या होगी समझा जा सकता है।
मामले को लेकर सहायक आयुक्त बी.के.राजपूत से जब चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि हॉस्टल अधीक्षक और मंडल संयोजक की बड़ी लापरवाही है.उन्हें उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाना था.एक ही क्लॉस में इतने बच्चों का बीमार होकर घर लौटना इनकी लापरवाही है.मामले को संज्ञान में लिया जा रहा है.तत्काल जांच कर उचित कार्यवाही की जायेगी।
इधर मंडल संयोजक संजय चंद्रा से अपने पक्ष जानने के लिये दूरभाष पर सम्पर्क किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव ही नही किया।

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