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*big breaking jashpur :- प्रबंधक,सुपरीयर फादर सोसायटी एसोसिएशन कैथोलिक समाज कुनकुरी पर गंभीर आरोप,पूर्व निर्मित सड़क को खुद की डायवर्टेड लैंड बताकर ले लिए 3 करोड़ 76 लाख,आवेदक वीरेंद्र लकड़ा ने कलेक्टर,एसपी समेत प्रधानमंत्री से की शिकायत कहा एसडीएम, वकील के साथ मिलकर प्रबंधक ने नियम विरुद्ध लिया करोड़ों का मुआवजा,विदेशी नागरिक को किस आधार पर मिला एनएच का मुआवजा..? सड़क का डायवर्सन किसने किया..?*

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जशपुरनगर । जशपुर जिले के कुनकुरी में राष्ट्रीय राजमार्ग के भू अर्जन मुआवजा में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है।भू अर्जन अधिकारी एसडीएम,वकील समेत मुआवजा लेने वाले प्रबंधक पर बेहद गंभीर आरोप लगे हैं।प्रार्थी ने जिले के कलेक्टर,एसपी समेत प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जांच कार्यवाही की मांग की है।

दरअसल अनुसूचित जनजाति वर्ग के स्वामी (स्व. इग्नेश लकड़ा ) के पुत्र विरेन्द्र लकड़ा निवासी कुनकुरी की कृषि भूमि खसरा नंबर 241 रकबा 26.50 एकड़ भूमि में से खसरा नंबर 241 / 2 रकबा 0.168 हेक्टयर भूमि को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कुनकुरी (भू-अर्जन अधिकारी राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं0 43 ) एवं अन्य लोगों के साथ षडयंत्र रचकर उक्त भूमि हेतु आवंटित मुआवजा राशि को छल कपट कर पूर्व से निर्मित सड़क को स्वयं की डाईवर्टेड भूमि बताकर 3.76.78,368 /- रू. (तीन करोड़ छिहत्तर लाख अठहतर हजार तीन सौ अड़सठ रू.) फर्जी ढंग से प्राप्त करने का मामला सामने आया है।

शिकायत आवेदन के अनुसार उपरोक्त विषयांतर्गत निवेदन है कि ग्राम-कुनकुरी तह0 कुनकुरी जिला जशपुर छत्तीसगढ़ में आवेदक के पूर्वजों के स्वामित्व में ख0नं0 241 रकबा 26.50 एकड़ भूमि स्थित है। उक्त भूमि पर वर्ष 1951 में विदेशी नागरिक फादर एच० गिटर्स निवासी बेल्जियम के द्वारा फर्जी ढंग से स्वयं को ग्राम-कुनकुरी का निवासी बताते हुए अनुसूचित जनजाति वर्ग की उपरोक्त भूमि को बेनामी संव्यवहार करते हुए अपने नाम से छल कपट कर रकबा 19.50 एकड़ भूमि पर कब्जा किया गया है।

उक्त संबंध में विदित हो कि छत्तीसगढ़ राज्य में भारत के संविधान के नीति निर्देशक तत्व के आधार पर अनुसूचित जनजाति वर्ग की कृषि भूमि के संरक्षण हेतु कल्याण कारी कानून छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा 170 ख बनाया गया है जिसमें स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी अनुसूचित जनजाति वर्ग की कृषि भूमि पर कोई भी व्यक्ति यदि कब्जा में आता है तब इसकी जांच अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के द्वारा किया जाकर संबंधित भूमि को मूल भूमि स्वामी अथवा उसके उत्तराधिकारियों को वापस किया जाएगा।

उक्त प्रावधान के अनुसार उपरोक्त भूमि के भूमि स्वामी इग्नेश लकड़ा जाति उरांव द्वारा अनुविभागीय अधिकारी कुनकुरी के न्यायालय में धारा 170 ख के तहत आवेदन पत्र दिनांक 27.08.2018 को प्रस्तुत किया गया था। उक्त प्रकरण के विचारण के दौरान कोविड- 19 महामारी के कारण लगभग 2 वर्ष तक प्रकरण का विचारण स्थगित रखा गया था। इसी बीच आवेदक इग्नेश लकड़ा की मृत्यु लगभग 86 वर्ष की अवस्था में हो गई। उक्त प्रकरण के विचारण के साथ साथ राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं0 43 के भूमि अधिग्रहण का विधारण भी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सह भू-अर्जन अधिकारी के समक्ष लंबित था।

इसी दौरान अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री रवि राही एवं अनावेदक पक्ष के अधिवक्ता श्री नूरूल अमीन के द्वारा षडयंत्र रचते हुए प्रबंधक सुपरीयर सोसायटी ऑफ यीशु समाज कैथोलिक लोयोला हायर सेकेण्डरी के साथ मिलकर संस्था को जो की धारा 170 ख के प्रकरण के अनावेदक थे, षडयंत्र पूर्वक प्रकरण के विचारण के बीच में उक्त प्रकरण की शीघ्र सुनवाई करने हेतु आवेदन योजनाबद्ध रूप से छल एवं कपटपूर्वक प्रस्तुत किया गया ताकि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं0 43 में आवेदक इग्नेश लकड़ा के स्वामित्व की भूमि लगभग 60 डिसमिल को मिलने वाले मुआवजा राशि को हड़पा जा सके।

महोदय उपरोक्त संबंध में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री रवि राही एवं अनावेदकगण के द्वारा एक राय होकर धारा 170 ख के प्रकरण में से मूल भूमि स्वामी इग्नेश लकड़ा का नाम विलोपित करने के दूराशय से कपट पूर्वक दिनांक 06.10.2022 को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री रवि राही के द्वारा धारा 170 ख छ0ग0भू०रा०सं० के प्रावधानों के विपरीत जाते हुए मात्र अनावेदकगण एवं स्वयं को आर्थिक लाभ दिलाने के दूराशय से अनावेदक की और से प्रस्तुत शीघ्र सुनवाई के आवेदन पत्र का निराकरण करते हुए ख0नं0 241 / 2 रकबा 1.936 हेक्टयर की भूमि से संबंधित धारा 170 ख के प्रकरण को निरस्त करते हुए उक्त भूमि जिसके संबंध में मुआवजा राशि 3,76,78,368/- रू. ( तीन करोड़ छिहत्तर लाख अठहतर हजार तीन सौ अड़सठ रू.) आबंटित किया गया था उक्त राशि का चेक श्री रवि राही के द्वारा अनावेदक प्रबंधक सुपरीयर फादर सोसायटी यीशु समाज कुनकुरी को प्रदान कर दिया गया।

जबकि उक्त सुनवाई के दौरान आवेदक की ओर से आपत्ति प्रस्तुत की गई थी कि राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं0 43 में जो भूमि अधिग्रहित की गई है उक्त भूमि को संस्था के द्वारा छल कपट कर प्राप्त किया गया है जबकि उक्त भूमि आवेदक के पूर्वजों की थी किन्तु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री रवि राही के द्वारा आवेदक की ओर से प्रस्तुत उक्त आपत्ति का कोई निराकरण नहीं किया गया और न ही उक्त संबंध में कोई सुनवाई अथवा जांच ही की गई। विदित हो कि राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम में भू-अर्जन के मुआवजा के संबंध में यदि कोई आपत्ति आती है ऐसी स्थिति में भू-अर्जन अधिकारी को प्रकरण जिला न्यायाधीश को प्रेषित कर उक्त संबंध में निराकरण का निवेदन करने का प्रावधान है।

किन्तु अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सह भू-अर्जन अधिकारी कुनकुरी के द्वारा उक्त मामलें में आपत्ति आने के बावजूद न तो उनका निराकरण अपने अधिनिर्णय में किया गया और न ही उक्त संबंध में प्रावधान के अनुरूप उचित निराकरण हेतु जिला न्यायाधीश को प्रकरण प्रेषित किया गया इससे भी स्पष्ट है कि भू-अर्जन अधिकारी एवं प्रबंधक कैथोलिक संस्था एवं अन्य लोगों की नजर उक्त बड़े मुआवजा राशि को फर्जी ढंग से प्राप्त करने में था इसी कारण प्रावधानों के विपरीत मुआवजा राशि प्रबंधक कैथोलिक संस्था को चेक के माध्यम से दिया गया है जो स्वमेव आरोपीगण के अपराध को प्रमाणित करता है।

महोदय राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं0 43 के संबंध में विदित हो कि उक्त राजमार्ग आज से लगभग 100 वर्ष पूर्व से निर्मित है पूर्व में उक्त राष्ट्रीय राजमार्ग का क्रं0 78 था जिसे बाद में क्र0 43 के रूप में परिवर्तित किया गया है। उक्त राजमार्ग की भूमि के संबंध में दिनांक 22.05. 2006 को आवेदक के पिता इग्नेश लकड़ा के द्वारा सीमांकन कराया गया था जिसमें तत्कालीन तहसीलदार के द्वारा ख0नं0 241 / 1 में से रकबा 0.243 हे0 भूमि राजमार्ग में जाने से रकबा में कमी होने के संबंध में सीमांकन प्रतिवेदन को पुष्ट किया गया है। जिससे स्पष्ट है कि वास्तव में राष्ट्रीय राजमार्ग में यदि कोई भूमि अधिग्रहित की गई थी तो उक्त भूमि 241 / 2 से न होकर ख0नं0 241 / 1 से हुई थी जो उक्त समय कृषि भूमि थी और आवेदक के पिता इग्नेश लकड़ा की भूमि थी।

महोदय राष्ट्रीय राजमार्ग का कार्य भारत सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय के द्वारा किया जा रहा है और उक्त संबंध में भारत सरकार के द्वारा इस बात की गहन निगरानी की जा रही है कि सड़क निर्माण में किसी प्रकार का कोई भ्रष्टाचार न हो तथा गुणवत्ता से कोई समझौता न किया जाए साथ ही सड़क निर्माण हेतु अधिग्रहित किसानों की भूमि का उचित मुआवजा संबंधित किसानों को पारदर्शी रूप से दिया जाये और इस हेतु न केवल माननीय महोदय का नाम अपितु सड़क परिवहन मंत्री श्री नीतिन गड़करी के कार्यों की चर्चा भी देशव्यापी हो रही है और इस हेतु हम आपको साधुवाद देते है। किन्तु भारत सरकार के पारदर्शी एवं ईमानदारी पूर्वक किये जा रहे कार्य तथा माननीय महोदय के इस ध्येय वाक्य की “न खाऊंगा न खाने दूंगा” पर कलंक लगाते हुए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री रवि राही एवं प्रबंधक सुपरीयर कैथोलिक संस्था कुनकुरी के पादरीगण एवं उनके अभिभाषक श्री नूरूल अमीन के द्वारा भारत सरकार के पिछले वर्षो से निष्कलंक किये जा रहे कार्यों को कलंकित करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं0 43 के अधिग्रहित कथित भूमि ख0नं0 241 / 2 रकबा 1.936 हेक्टयर भूमि जो कि कभी भी व्यपवर्तित ही नहीं हुई है।

और न ही उक्त भूमि का अधिग्रहण राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं0 43 हेतु किया गया है उसके बाद भी फर्जी एवं बनावटी ढंग से उपरोक्त लोगों के द्वारा एक राय होकर कूटरचना कर मात्र मुआवजा की राशि प्राप्त करने की बदनियत से उक्त भूमि को फर्जी ढंग से व्यपवर्तित बताते हुए ताकि उक्त भूमि का अधिक से अधिक मुआवजा प्राप्त किया जा सके तथा प्रबंधक फादर सुपरीयर कैथोलिक संस्था जो कि उक्त भूमि का स्वामी ही नहीं है उसके नाम से विधि विरूद्ध ढंग से मुआवजा की राशि का चेक काट कर दिया गया है जो कि गंभीरता पूर्वक जांच का विषय है।

महोदय उपरोक्त प्रकरण इस कारण भी अति संवेदनशील है क्योंकि उक्त प्रकरण में भारत के संविधान के द्वारा अनुसूचित जनजातियों की कृषि भूमि के संरक्षण के लिए बनाये गये कल्याणकारी कानून का घोर उल्लंघन करते हुए तथा जिस भूमि का स्वामी मुआवजा प्राप्तकर्ता है। ही नहीं तथा जो भूमि कृषि भूमि थी जिसका मुआवजा मात्र 25 से 30 लाख रू. के लगभग दिया जान था उक्त भूमि को प्रबंधक कैथोलिक संस्था का बताकर तथा व्यपवर्तित बताकर 3,76,78,368 /- रू. (तीन करोड़ छिहत्तर लाख अठहतर हजार तीन सौ अड़सठ रू.) का अवैध मुआवजा राशि तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी राजस्व श्री रवि राही एवं राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं० 43 के संबंधित अधिकारी एवं राजस्व विभाग के हल्का पटवारी राजस्व निरीक्षक एवं अन्य तथा उनके अधिवक्ता श्री नूरूल अमीन के द्वारा षडयंत्र पूर्वक उक्त मुआवजा राशि प्राप्त किया गया है जो न केवल नैतिक बल्कि गंभीर आपराधिक एवं आर्थिक अपराध है। विदित हो कि उपरोक्त लोगों के द्वारा इसके अतिरिक्त भी ख0नं0 225 रकबा 0.008 भूमि स्वामी आगापित तिर्की प्रबंधक लोयोला कुनकुरी को कृषि भूमि को फर्जी ढंग से डायवर्टेड भूमि बताकर अत्याधिक मुआवजा 17,94,208/- रू. (सत्रह लाख चौरानबे हजार दो सौ आठ रू.) तथा ख0नं0 244 / 1 रकबा 0.052 भूमि स्वामी गर्वनिंग बोडी ऑफ लोयोला हायर सेकेण्डरी स्कूल जोसेफ प्रेसीडेंट कुनकुरी को कृषि भूमि जो पूर्व से सड़क है को डायवर्टेड बताकर अवैध रूप से 1,16,62,352 /- रू. (एक करोड़ सोलह लाख बासठ हजार तीन सौ बावन रू.) दिया गया है ऐसे ही कई अन्य मामलें जांच के दौरान प्रकाश में आ सकते है।

महोदय चूंकि उक्त प्रकरण में प्रबंधक सुपरीयर फादर सोसायटी एसोसिशन कैथोलिक समाज कुनकुरी सीधे आरोपी है किन्तु वर्तमान में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है जिनका सांठ-गांठ सरकार के साथ है जिससे मुझे आशंका है कि उक्त संबंध में प्रदेश सरकार के द्वारा यथोचित जांच एवं कार्यवाही आपराधियों के विरूद्ध नहीं की जाएगी इसलिए उक्त संबंध में भारत सरकार के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो सहित अन्य राष्ट्रीय जांच एजेंसियों से जांच कराकर अपराध दर्ज किया जाना तथा आरोपियों के विरूद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही करते हुए छल कपट द्वारा प्राप्त उक्त मुआवजा की राशि को भारत सरकार के द्वारा जप्त कर एक संदेश देश को दिया जाना उचित होगा कि यदि कोई व्यक्ति भारत सरकार के कल्याणकारी कार्यों में भ्रष्टाचार करें तो उक्त कार्यवाही को देखकर अपराध करने के पूर्व उनके रोंगटे खड़े हो जाये।

अतः माननीय महोदय से निवेदन है कि उपरोक्त संबंध में स्वयं पहल करते हुए अपराध की राष्ट्रीय एजेंसी से जांच कराते हुए प्रकरण में संलिप्त समस्त लोगों के विरूद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही करते हुए मुआवजा की राशि को जप्त करने की कृपा करें।

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