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*बिग ब्रेकिंग जशपुर : इसे कहते हैं नेतागिरी,देखिए जशपुर आरईएस विभाग की मनमानी,अब बी क्लास के बड़े ठेकेदार कराएंगे स्कूलों की मरम्मत,पहले से जल जीवन मिशन के काम का है बोझ,निविदा प्रक्रिया से छोटे ठेकेदारों को किया गया बाहर,ठेकेदारों में सरकार के प्रति जागा असंतोष,जिले के तीनों विधायक खामोश,बड़े ठेकेदारों से लेकर अधिकारी नेता तक समझिए पाई पाई का हिसाब….ग्राउंडजीरो ई न्यूज में पूरी खबर*

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जशपुरनगर। ये जशपुर है जहां अपने स्वार्थ के लिए क्या अधिकारी,क्या नेता,क्या मंत्री ये किसी भी स्तर तक जाकर मलाई को हाथ से जाने नहीं देना चाहते।दरअसल जशपुर जिले का आरईएस विभाग हमेशा सुर्खियों में रहता है इस बार लगभग 35 करोड़ रुपए के स्कूल मरम्मत कार्यों का टेंडर 15 ग्रुप बनाकर छोटे ठेकेदारों से छीनकर बड़े बी क्लास ठेकेदारों के लिए सुरक्षित कर लिया गया।इतना ही नहीं छोटे ठेकेदार इस टेंडर से ही बाहर हैं क्योंकि उनकी पात्रता एक करोड़ के कार्य तक कि है जबकि नेता अधिकारी की मिलीभगत से उक्त कार्य का ग्रुप एक करोड़ से ऊपर का बनाया गया है जिसमें केवल डी क्लास से ऊपर के ठेकेदार भाग लेंगे।

गौरतलब है कि जशपुर जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में स्कूलों के मरम्मत,रंग,रोगन का कार्य इस बार टेंडर के माध्यम से आरईएस विभाग के द्वारा कराया जा रहा है।पूर्व में छोटे ग्रुप्स बनाकर एक करोड़ से नीचे के कार्य डी क्लास के ठेकेदारों को निविदा के माध्यम से दिए जा चुके हैं जिनमें लगभग 70 प्रतिशत कार्य पूर्णता की ओर हैं।

शेष बचे स्कूलों के लिए फिर से आरईएस विभाग ने 15 ग्रुप्स बनाकर लगभग 35 करोड़ का ऑनलाइन टेंडर जारी किया है। जिसमें खास बात यह है कि इस बार डी क्लास के ठेकेदार उक्त टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं ले पाएंगे क्योंकि इस बार नेता अफसर के दबाव में 1 करोड़ से ऊपर के ग्रुप्स बनाकर ऑनलाइन टेंडर जारी की गई है।

बड़ी समस्या यह है कि बड़े ठेकेदार जल जीवन मिशन के काम को पूरा नहीं कर पा रहे लिहाजा स्कूलों की मरम्मत एक बड़ी चुनौती होगी।अंततः पेटी में कमीशन लेके काम देने का सिलसिला शुरू हो जाएगा जिससे कार्य की गुणवत्ता प्रभावित होगी।वहीं सूत्रों की मानें तो तो जो ठेकेदार नेता हैं उनके दबाव में बड़े ठेकेदारों के लिए काम सुरक्षित कराया गया है।

पूर्व में स्कूलों की मरम्मत का कार्य विधायक, मंत्री के सह पर उनके कार्यकर्ता करते थे।ग्राम पंचायत या स्कूल प्रबंधन एजेंसी हुआ करता था।इस बार न तो विधायकों को काम मिला न उनके कार्यकर्ताओं को क्योंकि इस बार आरईएस विभाग ने टेंडर के माध्यम से सारा कार्य करा दिया।लगातार स्कूलों की मरम्मत ग्राम पंचायत व अन्य से कराकर सरकारी पैसों की बंदरबाट की खबरें आम थीं जिसको देखते हुए इस बार सरकार ने स्कूलों की मरम्मत का जिम्मा आरईएस को सौंपा जिसमें कार्य भी गुणवत्तापूर्ण तरीके से हो रहे हैं।

एक बार फिर से डी क्लास ठेकेदारों को दरकिनार कर बड़े ठेकेदारों के लिए कार्य जारी करना कई सवालिया निशान खड़े करता है।जशपुर जिले में गिने चुने बी क्लास ठेकेदार हैं जो उक्त टेंडर में भाग लेंगे।

अब देखना होगा कि प्रदेश की भूपेश सरकार ने जिस गति के साथ बेरोजगारों को ठेकेदार बनाया उस गति से उन्हें काम दे पाती है या नहीं।जशपुर जिले के छोटे ठेकेदार अपने को काम न मिलने से अपने को ठगा महसूस कर रहे हैंवहीं बड़े ग्रुप्स बनाकर टेंडर जारी करना कहीं न कहीं बड़े सेटिंग की ओर ईशारा करता है।लिहाजा जिला प्रशासन को सही निर्णय के साथ कार्य करने की जरूरत है।जिससे सरकार के प्रति असंतोष को कम किया जा सके।

 

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