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*बिग ब्रेकिंग:- जिस ऐतिहासिक अन्याय के आंदोलन को लेकर कार्तिक उरांव ने 20 साल की काली रात बताई थी,उसी आंदोलन को आज 70 साल के बाद आगे बढाने दिल्ली रवाना हुए जशपुर के यह दिग्गज आदिवासी नेता,समाज के लोगों ने पारम्परिक रीति से की विदाई और कहा ऐतिहासिक अन्याय से अब न्याय मिलने की है उम्मीद…..क्या है यह ऐतिहासिक अन्याय पढ़िए ग्राउण्ड जीरो की रिपोर्ट।*

 

जशपुरनगर। आजादी के 70 वर्षो के बाद भी आदिवासी समाज के सामने चट्टान की तरह खड़ी सबसे बड़ी समस्या डिलिस्टिंग पर देश के सर्वोच्च सरपंच महामहिम राष्ट्रपति एवम प्रधानमन्त्री एवम गृह मंत्री से मिलने दिल्ली जाते समय उरांव समाज की महिलाओं ने गणेश राम भगत को पारम्परिक रीति से विदा किया ।विदित हो कि संविधान बनने के 20 वर्षो के बाद उरांव समाज के नेता कार्तिक उरांव ने *बीस साल की काली रात* नामक किताब में अपनी पीड़ा व्यक्त की थी ।और डिलिस्टिंग को लेकर संसद में प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया था लेकिन
दुर्भाग्य से तत्कालीन सरकार के द्वारा आदिवासी समाज के इस मुद्दे पर विचार नहीं किया ,बीस साल की काली रात अब 70 साल की काली रात बन चुकी है ।लेकिन अब इसी विषय को लेकर पिछले 11 वर्षों से अखिल भारतीय जनजातिय सुरक्षा मंच के नेतृत्व में गणेश राम भगत उठा रहे हैं और इसके परिणाम भी सामने आते दिख रहे हैं परिणामस्वरूप गणेश राम भगत को राष्ट्रीय संयोजक का दायित्व दिया गया है ।30 अप्रैल 2022 को डिलिस्टिंग के विषय पर दिल्ली में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें शामिल होने गणेश राम भगत आज प्रातः दिल्ली रवाना हुए ।मंच के कार्यकर्ता करुणा भगत,जयमुनि भगत,अंजू भगत ,सुशीला भगत ,रामकुमार भगत ,मनोज भगत ने बताया कि आदिवासी समाज की ये सबसे बड़ी लड़ाई है जिसका नेतृत्व गणेश राम भगत कर रहे हैं और इस आंदोलन को अंजाम तक पहुँचाने के लिए देश के मुखिया राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवम गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर डिलिस्टिंग को कानून का रूप देने की मांग करने जा रहे हैं।जिससे देश के 12 करोड़ जनजाति समाज उनके प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हुए शुभकामनाएं दे रहा है और इसी लिए जशपुर के उरांव समाज के द्वारा उनकी पारम्परिक रीति से विदाई की गई है और हमें उम्मीद है गणेश राम भगत इस विषय पर सकारात्मक समाचार लेकर लौटेंगे।जिससे देश के आदिवासियों के साथ 70 सालों से हो रहे ऐतिहासिक अन्याय से मुक्ति मिलेगी।

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