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*बिग ब्रेकिंग:- एक ही खसरा नम्बर सरकारी भी और निजी भी ,जिस जमीन को तहसीलदार ने शासकीय बताकर बेजा कब्जा का दिया नोटिस और सुना दी सजा ,उसी जमीन को एसडीओ ने कलेक्टर को बताया जमीन निजी——-ऐसा मामला आखिर किस जिले का हो सकता है ? जबाब दें इनाम पाए, सही जबाब जानने के लिए पढ़ें ग्राउण्ड जीरो ई न्यूज की विवेचना ————*

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जशपुरनगर। एक कहावत है सबे भूमि गोपाल की लेकिन जशपुर जिले में यह कहावत चरितार्थ नही न हो रहा है ।यहां जमीन को लेकर ऐसा बंदरबांट है कि कल तक जो जमीन शासकीय रिकार्ड में है वह परसों किसी निजी व्यक्ति का हो सकता है ,यहां यह भी छूट है कि अगर कोई भूमि स्वामी जीवित न हो तो उसकी जगह पर कोई अन्य व्यक्ति भी खड़ा होकर जमीन किसी को बेच सकता है।
ग्राउण्ड जीरो ई न्यूज की विवेचना में यह अजीबो गरीब मामला तब आया जब जशपुर जिले के ग्राम कुकुर भुका के शंकर तुरी और सेवक राम कलेक्टर जशपुर और पुलिस अधीक्षक जशपुर के कार्यलय में पहुँचकर इस अजीबो गरीब मामले की लिखित शिकायत की ,उन्होंने लिखित शिकायत देते हुए लिखा है कि ग्राम कुकुर भुका तहसील बागबहार प ह न 27 मे स्थित भूमि खसरा नम्बर 790/2 में लगभग 5 डिसमिल जमीन पर वे 100 वर्षों से काबिज होकर मकान आंगन बनाकर रह रहे हैं। इसी बीच 25-10-2017 को तहसीलदार बागबहार के द्वारा उक्त भूमि को शासकीय भूमि बताते हुए बेजा कब्जा हटाने का नोटिस देते हुए 10000 रुपये अर्थंदण्ड देने का नोटिस दिया गया ।इसके बाद जनदर्शन में उक्त सम्बन्ध में शिकायत की गई जिसकी जांच एसडीओ पथलगांव के द्वारा करते हुए कलेक्टर जशपुर को प्रतिवेदन देते हुए बताया गया कि खसरा नम्बर 790/2 निजी भूमि है ।बाद में जब आवेदक गणों के द्वारा इस सम्बंध में पता किया गया तो पता चला कि जिस भूमि पर उनका 100 वर्षों से कब्जा है और जिस भूमि को शासकीय भूमि बताते हुए तहसीलदार के द्वारा बेजा कब्जा हटाने औए 10 हजार रु अर्थंदण्ड देने का आदेश तहसीलदार के द्वारा दिया गया है उक्त भूमि खसरा नम्बर 790 पर अंजू देवी का नाम दर्ज है।उक्त भूमि में से खसरा नम्बर 790/2 में से 25 डिसमिल जमीन अंजू देवी के द्वारा वर्ष 2012 में रतिया राम को पंजीकृत विक्रय नामा के आधार पर विक्रय किया गया है ।आवेदकगण के द्वारा इस सबन्ध में जब जानाकरी पता किया गया तो पता चला कि जमीन रजिस्ट्री के 10 साल पहले ही अंजू देवी की मृत्यु हो चुकी है उंसके बाद मृत व्यक्ति के द्वारा जमीन रजिस्ट्री कैसे की गई तब पाया गया कि अंजू देवी के नाम पर उसकी बहन कुसुम चौहान के द्वारा स्वयं को अंजू देवी बताते हुए जमीन की रजिस्ट्री की गई है किंतु रजिस्ट्री में स्वयं का फोटो और स्वयं के हस्ताक्षर कुसुम चौहान किया गया है ।उक्त रजिस्ट्री में अंजू देवी का कोई आधार कार्ड या पहचान पत्र भी संलग्न नही है।इस मामले की शिकायत आवेदकगण के द्वारा कलेक्टर एवम पुलिस अधीक्षक जशपुर को करते हुए सवाल उठाया है कि——
1जब तहसीलदार बागबहार के द्वारा खसरा नम्बर 790/2 को शासकीय भूमि बताकर बेजा कब्जा हटाने और 10 हजार रु का अर्थंदण्ड दिया है फिर उन्ही के वरिष्ठ अधिकारी एसडीओ पथलगांव के द्वारा उक्त भूमि को निजी भूमि होने का प्रतिवेदन कलेक्टर जशपुर को किस आधार पर दिया गया ।
2 शासकीय भूमि खसरा नम्बर 790 में अंजू देवी का नाम किस आधार पर दर्ज किया गया ?
3 अंजू देवी के स्थान पर उंसके नाम की भूमि अंजू देवी के मृत्यु के बाद कुसुम चौहान के द्वारा कैसे विक्रय किया गया ? मजे की बात यह भी है कि इसी शासकीय भूमिके विवाद के मामले में कथित भूमि स्वामी की शिकायत पर तहसीलदार बागबहार के द्वारा वर्ष 2017 से 2019 तक आवेदकगण को ताबड़तोड़ धारा 107,116जा फो का नोटिस देकर पेशी बुलाकर उनका जीना हराम कर रखा है ।उक्त नोटिसों का पुलिंदा भी आवेदकगण के पास है।
इस मामले में अभी और भी कई सवाल उठने बाकी है बहरहाल देखना यह होगा कि इस गम्भीर मामले में कलेक्टर जशपुर और पुलिस अधीक्षक जशपुर क्या कार्यवाही करते हैं और इस बड़े फर्जी वाडे में किस किस पर गाज गिरती है ।

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