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*big breking jashpur:-“हाय रे सरकार” सर्प दंश के बाद अंधविश्वास के मक्कड़ जाल में फंसा पहाड़ी कोरवा युवक मौत के मुंह मे जाते जाते बचा,फिर मसीहा बन कर गांव पहुंचे समाजसेवी युवक,गेडुवा भार में धो कर ….आप भी हो जाएंगे हैरान,पढिए सरकार की खोखली दावें और अंशविश्वास और सुविधाविहीन गाँव के ग्रामीणों की बेबसी से जुड़ी यह खबर,देखिये वीडियो…*

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इलाज के डर से घर भाग गया सर्प दंश का शिकार पहाड़ी कोरवा पहाड़ी कोरवा,फिर जो हुआ,उसे जान कर,

जशपुर/सन्ना(राकेश गुप्ता की रिपोर्ट):- जशपुर जिले के दूरस्थ गांवों में आज भी सड़कों की सुविधा नदारद होने से न केवल अंधविश्वास से दूर हो पाना जटिल हो जाता है। बल्कि त्वरित अस्पताल की चिकित्सा सुविधा का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।

विकास के खोखले दावे के दुष्परिणाम का एक दुखद लेकिन सत्य मामला सन्ना क्षेत्र का दूरस्थ गांव चम्पा के कटईपानी मे देखने को मिला।
यंहा अंधविश्वास के मक्कड़ जाल में फंसे हुए सर्प दंश से पीड़ित पहाड़ी कोरवा युवक को अस्पताल ले जाने की खातिर समाज सेवी युवाओं को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

आपको बता दें कि सन्ना क्षेत्र के चम्पा ग्राम पंचायत के कटईपानी गांव के मीना राम पिता लोहरा राम उम्र 22 वर्ष जाति कोरवा को बीते दिन शुक्रवार को गांव में ही टहलते वक्त एक जहरीला सांप ने काट लिया जिसके बाद पहाड़ी कोरवा युवक वहां से सीधे दौड़ते हुए पड़ोसी गांव लालदारा के एक वैध के पास झाड़ फुंक कराने चला गया।परन्तु इस अंधविश्वास से उसका तबियत लगातार बिगड़ने लगा।युवक सांप के काटने के बाद तो दौड़ते हुए गया था परन्तु शाम ढलते-ढलते युवक की हालत नाजुक होती चली गयी।जिसके बाद परिजन रात में उसे घायल अवस्था मे ही ढो कर घर वापस ले आये।

इस मामले में तब नया मोड़ आया जब मामले की जानकारी चम्पा के प्रबुद्ध युवा समाजसेवी सन्तु पैंकरा को लगी तो सन्तु मशीहा की तरह उसके गांव पहुंच गया और युवक को हॉस्पिटल जाने कहने लगे परन्तु कोरवा युवक और परिजन हॉस्पिटल जाने को तैयार ही नही थे।फिर भी जबरजस्ती किसी तरह मना बुझा कर युवक को तैयार किया।परन्तु गांव में सड़क नही होने के कारण गांव में एम्बुलेंश नही पहुंच पाई।परन्तु सन्तु पैंकरा ने अपने सहयोगियों से युवक को गेडूवा भार में उठा कर करीब एक किलोमीटर तक ले गये जिसके बाद लगभग 5 किलोमीटर तक घायल युवक को मोटरसाइकल में ले कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चम्पा ले गये।जहां अब घायल युवक का इलाज जारी है।

बहरहाल इस पूरे घटना के बाद प्रबुद्ध युवाओं की पहल से युवक की जान तो बचती हुई दिख रही है। परन्तु घटना ने सरकार के खोखले दावें की पोल खोल कर रख दिया है।जहां पहाड़ी कोरवाओं में अशिक्षा के कारण अंधविश्वास तो बढ़ता ही दिख रहा है वहीं पहाड़ी कोरवा के नाम पर राजनीति रोटियां सेंकने वाले राजनेताओं को इनकी बेबसी नजर नही पड़ती।आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी गांव में एम्बुलेंश पहुंच जाएं जैसी सड़क भी मुहैया नही हो पाई है,घायलों को आज भी गेडवा भार में उठा कर स्वास्थ्य सुविधा दिलाने हॉस्पिटल ले जाया जाता है।

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