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*Breking jashpur:-भाजपा में हंगामा…इनके विरुद्ध खड़े हुए दर्जनों कार्यकर्ता और कहा इसे हटाओ नही तो सभी देंगे एक साथ स्थिपा, अंदर ही अदंर सुलग रहा आग,पढिये पूरी खबर और जानिये भाजपा के अंदर चल रहे गहमा गहमी और पर्दे के पीछे की क्या है असली सच्चाई,क्या इस स्थिति में भाजपा जशपुर में पुनः अपना अधिपत्य स्थापित करने में हो पायेगी सफल..?*

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जशपुर/सन्ना:-पूरे प्रदेश में विधानसभा चुनाव का माहौल बना हुआ है और इस चुनाव की तैयारी में राजनीति पार्टियां लगी हुई है।वहीं भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इन दिनों अपने अपने संगठन को मजबूत करने में लगे हैं।परन्तु जशपुर भाजपा के अंदर से चौकाने वाला बड़ा खबर निकल कर सामने आ रहा है जहां बताया जा रहा है कि भाजपा के अंदर ही अंदर बहुत बड़ी फूट हो चुका है जो कि अब मण्डल के बैठकों में खुल कर सामने आने लगा है।

हम बात कर रहे हैं जशपुर जिले के सन्ना भाजपा मण्डल की जो कि भाजपा के लिए यह जिले की सबसे बहुमूल्य मण्डल है।सूत्रों की माने तो सन्ना भाजपा मण्डल के अंदर ही अंदर बहुत बड़ा फुट पड़ गया है।बीते दिन सन्ना भाजपा मण्डल की बैठक स्थानीय कार्यालय में रखी गयी थी।जिसमें भाजपा की एक टीम ने सन्ना मण्डल के सबसे तेज तर्रार महामंत्री रामनारायण यादव को पद से हटाने के लिए आवेदन पेश किया जिसमें लिखा गया था कि अगर महामंत्री को नही हटाया जाता है तो वो सभी एक साथ भाजपा पार्टी से स्थीपा दे देंगे।बैठक में मण्डल के प्रभारी जिले के भाजपा उपाध्यक्ष शंकर गुप्ता विशेष रूप से उपस्थित थे जिनके सामने ही यह आवेदन दिया गया और विवाद उत्पन्न हो गया।बताया जाता है कि महामंत्री को हटाने के लिए मण्डल में कार्यकर्ताओं से हाथ भी खड़ा कराया गया।जिसके बाद मण्डल बैठक रजिस्टर में महामंत्री रामनारायण यादव को हटाने के लिए प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया।बताया जा रहा है हाथ खड़ा करने में और आवेदन पेश करने में वो सभी फ्रंट में थे जो पिछले विधानसभा चुनाव में भी पद पर जबरन कब्जा किये बैठे थे जिनके वजह से पार्टी सालों पुराना अपना गढ़ जशपुर को भी नही बचा पाया और जशपुर विधानसभा से भाजपा को करारी हार मिली थी।बताया जा रहा है कि महामंत्री को हटाये जाने की मांग करने में मण्डल अध्यक्ष, युवा मोर्चा मण्डल अध्यक्ष,युवा मोर्चा के दोनों महामंत्री और जिला कार्यकारिणी में शामिल सन्ना मण्डल के कुछ पदाधिकारी विशेष रूप से मौजूद थे।

*आइये अब हम आपको इसके पीछे की सच्चाई बताते हैं…*

पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद भाजपा ने जिले के सभी पदाधिकारियों को बदलना तय किया था जिसके बाद जिला अध्यक्ष समेत मण्डलों के भी अध्यक्षों महामंत्रियों को बदल दिया था।इसी के तहत सन्ना मण्डल में विरोध होने के वावजूद भी पुनः पुराने ग्रुप में शामिल ही पदाधिकारियों को पद से तबज्जू दिया गया जिसमें से एक नया चेहरा के रूप में सन्ना मण्डल में महामंत्री के लिए रामनारायन यादव के नाम पर सहमति बनी थी और रामनारायन यादव को महामंत्री बना दिया गया।तब से सन्ना मण्डल में भाजपा पुनः धीरे धीरे पटरी पर अब आना शुरू ही हुई थी कि पुनः सन्ना मण्डल में विवाद उत्पन्न हो गया है।हमारे सूत्र बताते हैं कि यह विवाद खड़ा होने के पीछे कई प्रमुख कारण हैं जिसमें मुख्य रूप से सन्ना मण्डल कार्यालय के सामने पार्टी की चार दुकान बनी हुई है जब यह कार्यालय और दुकान बना था तब बिना किसी सहमति के चार खास खास व्यक्तियों को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा दुकाने आबंटित कर दिया गया जिसका सभी से प्रति माह एक एक हजार रुपये किराया राशि लेने का निर्णय भी हुआ था।जो कि पार्टी फंड में पार्टी के हितों के लिए राशि का व्यव होना था।हालांकि जब तक भाजपा सत्ता में रही तब तक इस राशि का भाजपा को जरूरत ही नही पड़ा जिसका कोई पूछ परख हुआ ही नही परन्तु जब से नये चेहरे के रूप में रामनारायन यादव को महामंत्री बनाया गया और पार्टी कार्यों के लिए प्रेसर बनाई तब पदाधिकारियों को राशि की आवश्यकता पड़ी तब महामंत्री ने दुकानों की किराया राशि का पता लगाया तो पता चला कि सन्ना मण्डल में पार्टी को अपनी जागीर समझने वाले कुछ पुराने नेताओं के द्वारा आज भी पार्टी कार्यालय के दुकानों की किराया राशि लिया जाता है।वहीं अंदर की खबर यह भी है कि एक दुकान को बिना पार्टी के सहमति के पुनः लाखों रुपये में एक दो व्यक्तियों के द्वारा बेच दिया गया है।जिसका शिकायत महामंत्री के द्वारा बीते कुछ समय पहले भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से कर दिया गया था जिस पर जांच कमेटी भी बनी और आज तक जांच अधर में अटका है।वहीं एक दो कार्यकर्ताओं के साथ रामनारायन यादव का आपसी जमीन विवाद भी शुरू हुई है जिसके कारण पार्टी हितों को छोड़ कर कुछ कार्यकर्ताओं को महामंत्री के विरोध में भड़का कर खड़ा किया गया है।सन्ना भाजपा के कुछ जानकार और प्रबुद्ध कार्यकर्ताओं की माने तो रामनारायण यादव महामंत्री बनने के बाद से पार्टी को लेकर काफी सक्रिय रूप से काम कर रहे थे और लगातार बैठक कर भाजपा को मजबूत स्थिति में लाने हेतु प्रयासरत देखे जा रहे थे परन्तु कुछ नेताओं को यह नही पच पा रही थी। यही वजह है कि भाजपा पार्टी चुनाव से पहले ही अपने ही घरेलू कलह से जूझने लगी है।हालांकि इस पूरे विवाद में अब तक कोई भी आधिकारिक बयान नही आया है।

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