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*पुरानी मान्यताओं को तोड़कर बेटी ने दिया पिता को कांधा, मुखाग्नि देकर निभाया बेटे का फ़र्ज़, पंचतत्व में विलीन हुए पर्यावरणविद शिवानंद मिश्र…*

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जशपुरनगर।( विक्रांत पाठक की रिपोर्ट ) गुरुवार को समाज की पुरानी मान्यताओं को तोड़कर दिवंगत पर्यावरणविद शिवानंद मिश्र की बेटी कल्पना ने अपने पिता की अर्थी को कांधा दिया, साथ ही स्थानीय मुक्तिधाम में उन्हें मुखाग्नि भी दी। उसके अलावा शिवानंद के नाती आरुष दुबे एवं भतीजे अनिल पाठक ने भी मुखाग्नि दी और अंतिम संस्कार की रस्में निभाई। उल्लेखनीय है कि श्री मिश्र का निधन बुधवार की शाम को हो गया था। गुरुवार को उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया।
कल्पना ने बताया कि शुरु से ही उनके पिता मुझसे यह कहते थे कि मेरे अंतिम समय की रस्म तुम ही निभाना।यह मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है।

उल्लेखनीय है कि स्व शिवानंद मिश्र सेवानिवृत्त शिक्षक थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया था। आज श्री मिश्र के लगाए गए पौधे और उनकी देखरेख में हुए प्लांटेशन जिले के हर मार्ग, क्षेत्र में लहलहाते दिखते हैं। स्व मिश्र के इस जुनून में उनकी पत्नी श्रीमती चंद्रादेवी, बेटी कल्पना और पूनम ने भी सदैव उनका साथ दिया। पर्यावरण के प्रति प्रेम ने उन्हें नई पहचान दी और वे नई पीढ़ी के प्रेरणा स्त्रोत बन गए। पर्यावरण से जुड़े किसी कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति नहीं होने से कार्यक्रम अधूरा महसूस होता था।


ज्ञात हो कि शिवानंद मिश्र के कार्यों को अविभाजित रायगढ़ जिले के कलेक्टर से लेकर राज्यपाल के हाथों भी सम्मानित भी किया गया था। श्री मिश्र अपनी आय का आधे से अधिक हिस्सा पर्यावरण के लिए खर्च करते रहे थे। उन्होंने मई-जून 1976 में जशपुर से अबूझमाड़ बस्तर तक साइकिल यात्रा की थी। यह यात्रा ही उनके जीवन में पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित सिद्ध हुई। पर्यावरण के क्षेत्र में उनके योगदान को लोग हमेशा याद रखेंगे। उनका जीवन लोगों को प्रेरणा देता रहेगा।

 

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