कोतबा,जशपुरनगर:- पाँच दशक पुराने शासकीय कर्मचारियों के लिये आबंटित शाशकीय कच्चे आवास के देखरेख और मेंटनेंस नहीं करने के कारण गुरुवार रात में एक मकान भरभरा कर गिर गया.जिससे वहां सो रहे कर्मचारियों का परिवार बाल बाल बचा.अपने वेतन से भाड़ा देने के बाद भी जर्जर भवनों में जान जोखिम में डाल कर रहने की मजबूरी बनी हुई है। वही पूरे मामले में शिक्षा विभाग पल्ला झाड़ते नजर आ रहा है।
जानकारी के अनुसार कन्या हाईस्कूल कोतबा में पदस्थ चतुर्थ वर्ग कर्मचारी श्रीमती मीना सिंह ठाकुर अपने शासकीय आवास में परिवार के साथ सो रही थी। इसी दरम्यान देर रात लगभग 2 बजे मकान का छत धाराशाही होकर गिर गया.इस घटना में कोई हताहत तो नही हुआ लेकिन उस मकान में रखे समान पूरी तरह बर्बाद हो गये है।बताया जा रहा है कि इस घटना के बाद परिवार के लोग अपनी जान बचाकर बड़ी मुश्किल से बाहर जाकर जान बचाये। पीड़ित परिवार के लोगो का कहना है कि शासकीय आवास में रहने के नाम पर प्रतिमाह 800 सौ रुपये उनके तनखाह से काटा जाता है.लेकिन इसके जीर्णोद्धार और देखभाल की जिम्मेदारी विभाग को नही है।
मामले को लेकर प्राचार्य जेके सिदार से जब बात किया गया तो उन्होंने बताया कि वह मकान 1972 मतलब 5 दशक पहले बना हुआ है। जो राशि उनके तनख्वाह से काटा जाता है.वह शासन के खाते में जाता है.इस मामले को लेकर जिला शिक्षाधिकारी को अवगत करा दिया गया है.लेकिन किसी ने इसकी सुध नही ली गई।
उन्होंने वाकई इस घटना को दुखद बताते हुये कहा कि इसके लिये जिम्मेदार अधिकारियों को संज्ञान लेनी चाहिये। वही इस मामले में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी धनीराम भगत ने बताया कि इतने पुराने मकानों को डिसमेटल कर नवीन भवन बनाए जाने चाहिए शाशकीय आवासों का देखरेख करना लोकनिर्माण विभाग का कार्य है। शिक्षा विभाग का कार्य नहीं है ।