कोतबा,जशपुर। (सजन बंजारा) आखिर,नींद से जागते हुए,जिला प्रशासन ने सरकारी छात्रावास में बीमारी से जुझ रहे आदिवासी बच्चों के इलाज में लापरवाही करने के मामले में जिला प्रशासन ने मंडल संयोजक संजय चंद्रा और छात्रावास अधीक्षक श्रीराम साहू को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। कोतबा केछात्रावास में व्याप्त अव्यवस्था की इस खबर को ग्राउंड जीरो ई न्यूज ने 28 और 29 हमारे सुधी पाठको के सामने उजागर किया था। इन खबरों को संज्ञान में लेते हुए अपर कलेक्टर आईएल ठाकुर ने यह कार्रवाई की है। जानकारी के अनुसार,बीमार छात्रों के इलाज में लापरवाही के मामले में सहायक आयुक्त बीके राजपूत ने कार्रवाई करते हुए रविवार को बालक और बालिका छात्रावासों में मेडिलक टीम भेज कर,बच्चों के स्वास्थ्य का परीक्षण कराया था। इस परीक्षण में 25 से अधिक छात्र छात्राएं वायरल फिवर सहित अन्य बीमारियों से ग्रस्त पाई गई थी। छात्रावास अधीक्षक और मंडल संयोजक ने इतनी बड़ी संख्या में छात्र छात्राओं के बीमार पड़ने की सूचना उच्च अधिकारियों को दी ही नहीं थी। इस लापरवाही को लेकर अधिकारियों ने नाराजगी जताई थी। पूरे मामले की जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करते हुए अपर कलेक्टर ने पत्थलगांव के अतिरिक्त प्रभार से कांसाबेल के मंडल संयोजक संजय चंद्रा को हटाते हुए,सहायक आयुक्त कार्यालय में क्षेत्र संयोजक कुमार तीर्थ बुद्व को पत्थलगांव के मंडल संयोजक का प्रभार और छात्रावास अधीक्षक श्रीराम साहू को उनके मूल पद व्याख्याता,शासकीय हाई स्कूल कोतबा के लिए भारमुक्त करते हुए,इसी स्कूल के व्याख्याता उमेश कुमार पैंकरा को छात्रावास अधीक्षक की जवाबदारी दी गई है। आदिवासी छात्र छात्राओं के स्वास्थ्य के साथ हुए खिलावाड के इस गंभीर मामले में जिला प्रशासन द्वारा की गई इस कार्रवाई को अपर्याप्त बताते हुए,असंतोष जता रहें हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह पूरा मामल दो दिन पहले उस समय सुर्खियों में आया,जब बालक छात्रावास के कुछ बच्चे शाम के समय भृत्य के साथ इलाज के लिए कोतबा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे थे। यहां,उनके स्वास्थ्य की जांच के बाद चिकित्सक बंदे ने वायरल फिवर और एनिमियाग्रस्त होने की जानकारी देते हुए,बच्चों को देर से लेकर आने पर नाराजगी जताई थी। इसके बाद पता चला कि इस छात्रावास के एक ही क्लास के बच्चों में वायरल का संक्रमण हुआ है और वे वापस घर लौट चुके हैं। छात्रों और उनके स्वजनों ने इलाज में लापरवाही का गंभीर आरोप भी लगाया था। मामला उजागर होने पर दूसरे दिन मेडिक शिविर में भी 25 से अधिक बच्चे बीमार पाए गए थे। जिला प्रशासन की कार्रवाई के बाद भी यह सवाल उठाया जा रहा क्या अब जिले की सरकारी छात्रावासों की व्यवस्था सुधरेगी? क्या प्रशासन की यह कार्रवाई छात्रावासों में रहने वाले गरीब आदिवासी बच्चों को राहत दे सकेगी?