कोतबा,जशपुरनगर:- नगर पंचायत कोतबा के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हेल्थ एवं वेलनेस सेन्टर परिसर में वर्षों पूर्व लगाये गए महुआ के पेड़ को ठेकेदार ने कुल्हाड़ी चलवा जड़ से कटवा कर धराशायी कर दिया है। इस पेड़ को काटने के पूर्व न तो स्वास्थ्य विभाग से न तो नगरीय प्रशासन से न तो राजस्व विभाग से ओर न ही वन विभाग से किसी प्रकार की कोई अनुमति लिए बगैर ही ठेकेदार ने पेड़ कटवा कर स्वस्थ सहित पर्यावरण से खिलवाड़ किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार लोकनिर्माण विभाग के देखरेख में बन रहे स्वास्थ्य केंद्र में एक वार्ड का निर्माण किया जा रहा है.जिसे पत्थलगांव के एक ठेकेदार के द्वारा किया जा रहा है।
बिडंबना है कि वर्षों से लगाये गये पेड़ को किसी भी विभाग के अधिकारियों को सुचना दिए ही काट दिया गया जिससे लोगों में भारी नाराजगी देखी जा रही है।
मामले को लेकर डीएफओ जितेंद्र उपाध्याय ने ग्राउंड ज़ीरो ई न्यूज़ को बताया कि पेड़ काटे जाने के लिये नगर पंचायत के अधिकारियों सहित नायाब तहसीलदार या एसडीएम से पत्र व्यवहार कर काटा जाना चाहिये.इधर पत्थलगांव एसडीएम ने कहा कि उनसे कोई अनुमति नही ली गई है।
पुराने महुवा पेड़ काटने पर पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय लोगों में काफी रोष है। गौरतलब है कि पर्यावरण को बचाने के लिए और उसके संरक्षण के लिए सरकार और आमजन की ओर से प्रतिवर्ष लाखों रुपए खर्च कर पौधरोपण कार्यक्रम और पौध संरक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वही स्थानीय अस्पताल परिसर में भी कई बार पौधरोपण कार्यक्रम किया जा चुका है।
ताकी यहाँ आने वाले मरीजो को शुद्ध ऑक्सीजन शुद्ध वातावरण मिल सके।
पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गतिविधियां भी की गई। इनमें से कई वर्षों बाद कुछ पौधे बड़े होकर पेड़ का रूप ले चुके थे। सेहत की दृष्टि से इनका काफी महत्व है। वहीं अस्पताल के जिन कर्मियों पर पौध संरक्षण की जिम्मेदारी है वे भी जिम्मेदार हैं।
शनिवार सुबह करीब 9 बजे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कोतबा परिसर में ठेकेदार ने वन विभाग और चिकित्सालय प्रशासन ,नगरीय प्रशासन की अनुमति के बिना करीब 10 से 15 साल पुराने एक महुवा पेड़ को काट दिया गया।
पेड़ पर कुल्हाड़ी चलने की सुचना पर पर्यावरण और प्रकृति प्रेमी लोगों में रोष व्याप्त हो गया। लोगों का कहना था कि कोरोना काल में पेड़ों का महत्व सभी को पता चला है। वही अस्पताल परिसर में एक बड़े पेड़ कटना गंभीर मामला है। जब पर्यावरण प्रेमियों द्वारा इसका विरोध किया तो ठेकेदार के लोग अन्य पेड़ों को नहीं काटे।
विदित हो कि निर्माण के पूर्व इस बात को क्यों ध्यान नही रखा गया कि पेड़ जद में आयेगा इसका पूर्वानुमान लगाया जाना चाहिये.इसके लिये सम्बंधित विभाग के अन्य लोग भी जिम्मेदार है।
पर्यावरण संरक्षण करने वाले पर्यावरण मित्रों में काफी रोष व्याप्त हो गया है।इनका कहना है कि लिखित आवेदन देकर नगर पंचायत सीएमओ,स्वास्थ्य महकमे सहित प्रशासन पुलिस व वन विभाग को शिकायत कर तत्काल कड़ी कार्यवाही करने की मांग करेंगे।
वन विभाग से अनुमति नहीं ली गई : उप वन मंडलाधिकारी पत्थलगांव
मामले को लेकर पत्थलगांव उपवन मंडलधिकारी कृपा सिंधु पैंकरा ने बताया कि पेड़ काटने की अनुमति वन विभाग के प्लांटेशन क्षेत्र में ही दी जाती है। ठेकेदार द्वारा वन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई थी। अस्पताल परिसर या वन विभाग के अतिरिक्त किसी भी अन्य राजकीय परिसर से पेड़ काटने पर फॉरेस्ट एक्ट के तहत आईपीसी की धाराओं में सरकारी संपत्ति खुर्द-बुर्द करने का मामला संबंधित अधिकारी द्वारा दर्ज कराया जाता है।अगर बिना इजाजत और तय नियम का उल्लंघन करते हुए कोई पेड़ काटता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है।
बिना अनुमति के पेड़ काटने से रोका गया
मुख्यनगर पंचायत अधिकारी अंकुल सिंह ठाकुर ने बताया कि
वन विभाग के रेंजर ने शनिवार सुबह कॉल कर जानकारी दी कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कोतबा में ठेकेदार द्वारा बिना अनुमति अवैध पेड़ कटाई कराई जा रही है। वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी हड़ताल पर है कटाई रोकने में सहयोग करने की बात कही सूचना मिलते ही तत्काल मैंने टीम भेजा था लेकिन टीम के पहुंचने से पहले ही महुवा पेड़ काट दिया गया था बाकी पेड़ पौधों को काटने से रोक लगाई गयी है। आगे कार्यवाही वन विभाग ही करेगा।
डीएफओ जितेंद्र उपाध्याय
मामले की जानकारी आआपके माध्यम से मिली है.बिना अनुमति पेड़ काटना कानूनन अपराध है.पेड़ काटे जाने के लिये एसडीएम,तहसीलदार या नगर पंचायत के अधिकारियों से ली जानी चाहिये.
रामशिला लाल एसडीएम पत्थलगांव
पेड़ काटे जाने की कोई अनुमति नही लिया गया है.मामले को संज्ञान में लेकर नायाब तहसीलदार को निर्देशित किया गया है.उनके द्वारा वहाँ जाकर काटे गये लकड़ियों की जप्ती के साथ पटवारी प्रतिवेदन बनाये जाएंगे।