कोतबा:-अन्नादाता किसानों को बेमौसम हुई बारिश ने भारी नुकसान पहुंचाया है। जिले के सबसे अधिक धानउपार्जन वाले कोतबा क्षेत्र में मंगलवार को हुई बेमौसम मूसलाधार बरसात और तेज हवा ने किसानों की सैकडों एकड़ की फसल बर्बादी की कगार पर है॥
अब बची खुची धान की फसल को लगातार बारिश ने कटाई और मिंजाई पर रोक लगा दी हैं।इधर बारिश में भीग जाने और खेतों में कटाई काम रुक जाने को लेकर उनके माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही है।सरकारें किसानों को लेकर कितने भी दावे कर ले पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। एक ओर जहां गर्मी के दिनों में पूरे जिले के खेतों में वीरानी और सूखी जमीन देखी जाती है। वहीं गर्मी के मौसम में कोतबा के किसानों के खेत में धान की खड़ी फसल लहलहा नजर आती है।
बीती रात यानी मंगलवार को हुई अचानक बारिश से किसान आपदा में विपदा की मार झेल रहें है।उनके खेतों में अधपके फसल पूरी तरह सो कर पानी में डूब गए है.अब किसानों का कहना है कि जो फसल अधपके और पककर पानी में गिर गए है.वह सड़कर खराब हो जायेंगे।
दूसरी तरह छोटे धान के फसल पककर तैयार हो गए है.वह भी लगातार पानी से बर्बाद हो रहें है.धान के साथ साथ दलहन तिलहन की फसलें भी पूरी तरह खराब हो रही है।
विदित हो कि वर्ष 2005-06 में बने खमगड़ा जलाशय का लाभ किसानों को मिल रहा है। लेकिन किसानों के द्वारा गर्मी व बरसात के दोनों मौसम में खून, पसीने से उगाई गई इस धान की फसल बर्बाद होने से फसल बीमा का कोई लाभ नही मिल रहा है।
क्षेत्र में खमगड़ा जलाशय परियोजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, वहीं परियोजना के प्रति प्रशासन के गंभीर नहीं होने से किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। कोतबा क्षेत्र जिले के सबसे अधिक धान उत्पादक क्षेत्र में शामिल है। पिछले 17 वर्षों में इस क्षेत्र से अधिक धान का उत्पादन और कहीं नहीं हुआ। विशेष बात यह है कि इस क्षेत्र के किसान गर्मी के दिनों में भी पूरी फसल लेने का प्रयास करते हैं और यह संभव भी हुआ है, खमगड़ा जलाशय परियोजना से इस परियोजना के कई सार्थक और साकारात्मक पक्ष हैं, जिससे किसानों को बड़ी अपेक्षा रहती है।