Site icon Groundzeronews

*breking jashpur:- क्या जशपुर के प्राकृतिक सौंदर्य में लगेगा ग्रहण..?क्या बाक्साइड खनन के नाम पर जशपुर को उजाड़ने की हो रही है साजिश…?क्या जशपुर की जनता और जनप्रतिनिधि बचा पाएंगे जशपुर की शाख..?पढ़िए ग्राउण्ड जीरो ई न्यूज़ की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट…।*

 

जशपुरनगर। कहा जाता है कि जशपुर में अगर सबसे पहले कुछ होता है तो वह है सूर्योदय !
इसके अलावा सबकुछ यहाँ बाद में होता है।
छत्तीसगढ़ के पूर्वांचल में स्थित जशपुर के भौगोलिक स्थिति को यदि देखा जाए तो समुद्र तल से 2500 फिट ऊपर स्थित होने के कारण प्रदेश में जशपुर की अलग ही पहचान है।और इसी का प्रभाव है कि जशपुर का प्राकृतिक सौंदर्य और यहां की आबोहवा बिल्कुल अलग है।सिर्फ प्राकृतिक खूबसूरती ही नहीं बल्कि यहां रहने वाले 13 प्रकार से भी अधिक जनजातियों के रीति रिवाज परम्परायें भी जशपुर को प्रदेश से अलग करती हैं।
उपरोक्त सब कुछ होने के बावजूद पिछले कुछ वर्षों से उद्योपतियों की नजर जशपुर पर पड़ी हुई हैं जहां एक तरफ बिना किसी इंफ्रास्ट्रक्चर के ही जशपुर के टाँगरगांव में स्टील प्लांट खोलने की योजना थी जो जनता के विरोध के कारण ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। वहीं दूसरी तरफ चार दिन पहले पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा कलेक्टर जशपुर को प्रेषित वह पत्र जिसमें जशपुर के सरधापाठ में बाक्साइड उत्खनन को लेकर दिनांक 22/9/2022 को आयोजित जनसुनवाई करने का निर्देश सोशल मीडिया में वायरल होते ही एक बार फिर बाक्साइड खनन का जीन बोतल से फिर एक बार आ गया है।
हालांकि उम्मीद थी कि उक्त पत्र के वायरल होते ही एक बार फिर से जशपुर में उक्त मुद्दे को लेकर भूचाल आ जायेगा ।किन्तु चार दिन बीतने के बाद भी अब तक इस मुद्दे को लेकर जशपुर की जनता ,समाजिक संगठन और जनप्रतिनिधियों में कोई हलचल दिखाई नही दे रही है।हालाकिं कुछ वेब पोर्टलों में विरोध के स्वर दिखाई दे रहे हैं लेकिन उनको भी लेकर लोग यही बोलते दिखाई दे रहे हैं कि ऐसे विरोध से कुछ होने वाला नहीं है।
बहरहाल घुम फिरकर लोगों में यह विश्वास है कि जैसे स्टील प्लांट स्थापना को लेकर पूर्व मंत्री गणेश राम भगत के नेतृत्व में जनजातिय सुरक्षा मंच ने जशपुर को बचाने में हर सम्भव योगदान दिया है उसी तरह बाक्साइड उत्खनन को लेकर भी जशपुर के प्राकृतिक सौंदर्य को बचाने में उनका अहम योगदान रहेगा ।
बहरहाल अब देखना होगा कि जशपुर के प्राकृतिक सौंदर्य और यहां के वनवासियों के नाम पर राजनीति करने वाले व्यक्ति और संगठन इस मुद्दे को लेकर क्या रुख अख्तियार करते हैं।

Exit mobile version