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*मुख्यमंत्री श्री साय और उनकी धर्मपत्नी ने दुलदुला छठ घाट में डूबते सूर्य को दिए अर्घ्य, प्रदेश के सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना, दुलदुला छठ घाट के सौन्दर्यकरण की घोषणा*

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*जशपुरनगर 27 अक्टूबर 2025/* मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय ने आज छठ महापर्व त्यौहार के अवसर पर दुलदुला छठ घाट में डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर प्रदेश के सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को छठ पूजा की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आज बड़े ही सौभाग्य का दिन है कि मुझे अपने विधानसभा क्षेत्र में छठ पर्व में शामिल होने का अवसर मिला।
मुख्यमंत्री ने दुलदुला क्षेत्र वासियों की मांग पर छठ घाट के सौन्दर्य करण की घोषणा की उन्होंने कहा कि अगले छठ पूजा तक दुलदुला छठ घाट का सौन्दर्य करण कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्र लोगों के आशीर्वाद से ही विधायक, सांसद और मुख्यमंत्री बना हूं। क्षेत्र की जनता की समस्याओं को अच्छी तरह से समझता हूं और समाधान भी करते जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि कुनकुरी छठ घाट के लिए लगभग 5 करोड़ 17 लाख की राशि से छठ का घाट का सौन्दर्यकरण किया गया। इस वर्ष के छठ महापर्व में व्रती महिलाएं छठ घाट में पूरे श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना भी कर रही है।

इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री शौर्य प्रताप सिंह जूदेव, जनपद पंचायत दुलदुला अध्यक्ष रामकुमार सिंह, आईजी श्री दीपक कुमार झा, कलेक्टर श्री रोहित व्यास, पुलिस अधीक्षक श्री शशिमोहन सिंह सहित छठ पूजा करने वाली व्रती महिलाएं और जनप्रतिनिधीगण
और ग्रामीणजन बड़ी संख्या में मौजूद थे।

*छठ पर्व का महत्व*

छठ पर्व हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और लोक आस्था से जुड़ा पर्व है, मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल सहित सभी राज्यों में आस्था श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है।
*छठ पर्व का धार्मिक महत्व सूर्य उपासना:*
सूर्य देव को जीवन, ऊर्जा, और स्वास्थ्य का स्रोत माना गया है। छठ पूजा में सूर्य की आराधना करके श्रद्धालु उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

छठी मैया की पूजा को संतान की रक्षा करने वाली और सुख-समृद्धि देने वाली देवी माना जाता है। महिलाएँ अपनी संतान की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं।

*पवित्रता और संयम*
यह व्रत अत्यंत कठोर होता है — इसमें व्रती (उपासक) पूरी तरह शुद्धता, आत्मसंयम और आस्था के साथ चार दिनों तक उपवास, स्नान, और पूजा करता है।

*छठ पर्व का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व*
और एकता का प्रतीक छठ पूजा में समाज के सभी लोग मिलकर घाट सजाते हैं, प्रसाद बनाते हैं और एक साथ पूजा करते हैं।

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