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*लोकगीतों व नृत्यों पर जमकर झूमे बच्चे,डीपीएस में आदिवासी दिवस की धूम,हुए कई कार्यक्रम*

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जशपुरनगर। यहां के डीपीएस में बुधवार को धूमधाम से आदिवासी दिवस मनाया गया। इन कार्यक्रमों के माध्यम से जहां स्कूली बच्चे आदिवासी संस्कृति से परिचित हुए, वहीं विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी किया।
जल, जंगल और पहाड़ के बीच रहने वाले आदिवासियों के लिए यह दिन बेहद खास समझा जाता है। दरअसल, जनजाति दिवस यानि ‘इन्टरनेशनल डे ऑफ वर्ल्डस इंडीजीनस पीपल्स’ जनजातियों के अधिकारों को बढ़ावा देने, नैसर्गिक सुरक्षा-विकास के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराने और उन सभी जनजातीय मूल निवासियों के योगदान को स्वीकार करने का दिन है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पहली बार सन् 1994 में ‘विश्व आदिवासी दिवस’ मनाए जाने की घोषणा की थी। तब से लेकर आज तक इसी महत्व को लेकर यह दिवस मनाया जा रहा है। इसी क्रम में डीपीएस में भी आदिवासी दिवस के कार्यक्रम हुए। जिसमें रेड, ग्रीन, ब्लू, येलो सभी हाउस के बच्चों ने हिस्सा लिया। इन कार्यक्रमों में आदिवासी नृत्य, गीत, भाषण,पेंटिंग, मांदर मेकिंग आदि शामिल थे, जिनमें देश के विभिन्न जनजातियों की संस्कृति की झलक दिख रही थी। कार्यक्रम में स्कूल की डायरेक्टर सुनीता सिन्हा, प्रिंसिपल एकेडमिक गार्गी चटर्जी, प्रिंसिपल एडमिनिस्ट्रेशन जयंती सिन्हा, वाइस प्रिंसिपल एरिक सोरेंग सहित स्कूल के अन्य स्टाफ उपस्थित रहे।
*अभिभावकों ने की सराहना*
स्कूल के मैनेजिंग डायरेक्टर ओमप्रकाश सिन्हा ने कहा कि स्कूल का प्रमुख उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण विकास करना है। इसी के तहत हमारे स्कूल में शैक्षणिक व सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ खेलकूद, सामाजिक कार्यक्रम के साथ तीजत्यौहार व महत्वपूर्ण दिवसों पर विभिन्न आयोजन कराए जाते हैं, जिसके माध्यम से बच्चों को देश की संस्कृति, लोककला के बारे में जानकारी मिलती है। इसी कड़ी में विश्व आदिवासी दिवस पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसकी सराहना बच्चों के अभिभावकों ने भी की। बच्चों ने इसमें उत्साह से हिस्सा लिया और अपनी कला का प्रदर्शन किया।
*फैंसी ड्रेस मुख्य आकर्षण*
विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान फैंसी ड्रेस स्पर्धा भी आयोजित की गई थी। इसमें बच्चे आदिवासी वेशभूषा में सज-धजकर सामने आए। बच्चे देश की विभिन्न जनजातियों द्वारा पहने जाने वाले पारंपरिक पोशाक धारण किए हुए थे, जो मुख्य आकर्षण का केंद्र थे।

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