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*”जहां चाह वहां राह” की उक्ति को आदर्श मानकर इन महिलाओं ने होली पर्व के लिए बनाना शुरू की हर्बल गुलाल, जिले भर में इस हर्बल गुलाल रंग की हो रही है मांग, जानिए इस हर्बल रंग गुलाल की क्या है खासियत…पढ़िए पूरी खबर…..……..*

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कांसाबेल,जशपुरनगर/ *(टंकेश्वर यादव)* होली पर्व जैसे ही नजदीक आ रही है वैसे ही बाजारों में रौनक बढ़ने लगी है,हालांकि अभी होली पर्व की त्यौहार दो हफ्ते बाद है लेकिन लोगों में अभी से होली पर्व को लेकर भारी उत्साह देखी जा रही है,खासकर बीते दो वर्षो से कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को लेकर शांति पूर्वक मनाया जाता रहा है,लेकिन इस वर्ष कोरोना का कहर थम जाने की वजह से लोगों में होली पर्व को लेकर उनके चेहरे में रौनक लौट आई है। रंगों के पर्व होली में खुशियां बिखरने में रंग और गुलाल का विशेष महत्व है,किंतु रसायनों से निर्मित रंग और गुलाल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने के साथ साथ पर्यवारण के लिए भी नुकसानदेह होते हैं होली के पर्व को सुरक्षित और सेहतमंद बनाने के लिए जिले के कांसाबेल विकासखंड के ग्राम पंचायत बटाईकेला की राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत गठित चांद स्व सहायता समूह के महिलाओं द्वारा एक अभिनव पहल करते हुए प्राकृतिक वनस्पतियों से विभिन्न रंगों के हर्बल गुलाल बनाने की शुरुवात की गई है,हालांकि बीते वर्ष भी इस समूह के महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल रंग बनाना शुरू किया गया था लेकिन कम मात्रा में उत्पाद कर 90 हजार रुपए कमाई की गई थी।चांद स्व सहायता समूह के महिला अध्यक्ष पार्वती पैंकरा ने बताई की इस वर्ष ज्यादा मात्रा में हर्बल गुलाल रंग निर्मित की जा रही है,और इन साल इस हर्बल रंग गुलाल की बिक्री कर 2 से 3 लाख रुपए की कमाई का टारगेट किया गया है। जिले भर में इस रंग गुलाल की मांग की जा रही है।उन्होंने बताया की इस हर्बल रंग गुलाल का निर्माण खासकर प्राकृतिक वनस्पति नीम, पालक, चुकंदर, हल्दी, गेंदाफूल, लाल भाजी का उपयोग कर किया जा रहा है।

राष्ट्रीय आजीविका मिशन हर्बल गुलाल का उपयोग कारगर

राष्ट्रीय आजीविका मिशन के बीपीएम कमलेश श्रीवास ने बताया की जिले कांसाबेल तहसील में इस योजना के तहत 1300 सौ से अधिक स्व सहायता समूह के महिला समूह गठित गई है।कांसाबेल तहसील के ग्राम पंचायत बटाईकेला के चांद स्व सहायता समूह के महिलाओं द्वारा होली पर्व को लेकर खासकर प्राकृतिक वनस्पतियों से हर्बल गुलाल रंग तैयार किया जा रहा है,जिसकी मांग पुरे जिले सहित प्रदेश में भी की जा रही है।उन्होंने बताया की इस हर्बल रंग गुलाल से स्वास्थय पर कोई दुष्प्रभाव नहीं बल्कि ठडक प्रदान करता है,आंखो में चले जाने से कोई जलन नहीं,हल्दी गेंदा टेशू फूल,गुलाब चुकंदर अनार जैसे प्राकृतिक पुष्प फलों से बने जैविक गुलाल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

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