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*देव स्नान पूर्णिमा में श्री जगन्नाथ मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़, रंग गुलाल लगाकर महाप्रभु के भक्ति में हुए लीन, यहां आजादी के पूर्व से चली आ रही विशेष परंपरा…………*

जशपुरनगर,दोकड़ा। मंगलवार को देव स्नान पूर्णिमा पर्व को लेकर जिले के श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए,मंदिर में स्थापित महाप्रभु आज बाहर आए और उन्हें 108 भार पानी से स्नान कराया गया ।जिसकी तैयारी पूरी तरह कर ली गई थी ।जिले के विभिन्न मंदिरों में आज भक्तों की भीड़ लगी,जहां भक्त भजन कीर्तन करते हुए पारंपरिक रूप से धूमधाम से मनाया गया,लोग बड़ी संख्या में देव स्नान कार्यक्रम में शामिल होकर बारी बारी से देव स्नान कराकर पूजा अर्चना किए।साथ ही महाप्रसाद का वितरण किया गया।

*दोकड़ा श्री जगन्नाथ मंदिर में हुई देव स्नान पर विशेष कार्यक्रम*

जिले के विभिन्न श्री जगन्नाथ मंदिर में यह देव स्नान कार्यक्रम आयोजित किए गए,जिले के कांसाबेल तहसील अंतर्गत ग्राम दोकड़ा में आजादी के पूर्व से ही यहां श्री जगन्नाथ मंदिर में देव स्नान कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं,वही आज बड़ी संख्या श्रद्धालु एकजुट होकर श्री जगन्नाथ स्वामी जी की भक्ति में लीन होकर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर नृत्य करते हुए नजर आए।खास बात यह है की यहां की परम्परा अनुसार देव स्नान पूर्णिमा के अवसर पर श्री जगन्नाथ महाप्रभु जी के मूर्तियों का शाही स्नान कराया गया,इस दौरान क्षेत्र के हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होकर हर कोई भगवान महाप्रभु श्री जगन्नाथ स्वामी,बलभद्र स्वामी,मां सुभद्रा की दर्शन पाने के लिए आतुर दिखे। यहां के पुरोहित पंडित कुमोद चंद्र सतपथी महाराज ने बताया की देव स्नान पूर्णिमा पर्व को लेकर भक्तों में बड़ी उत्साह देखी गई,साथ ही मंदिर के पारंपरिक सेवक भगवान के विग्रहों को स्नान कराए,उसके बाद भगवान की मंगल आरती उतारी गई ।पंडित जी ने बताया की स्नान पूर्णिमा के मौके पर प्रभु जगन्नाथ , बड़े भाई बलभद्र बहन सुभद्रा के दर्शन को काफी पुण्य फलदायी माना जाता है।देव स्नान पूर्णिमा के साथ ही रथयात्रा उत्सव की तैयारी भी शुरू हो जाती है।इधर इस परंपरा के अनुसार 108 भार पानी से स्नान कर भगवान बीमार होंगे तथा उपचार हेतु उन्हे मंदिर के गर्भ गृह में रखा जायेगा,इसके बाद प्रभु जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र,बहन सुभद्रा का उपचार किया जायेगा,इस दौरान 15 दिनों तक प्रभु जगन्नाथ,बलभद्र,सुभद्रा आदि के दर्शन नहीं होंगे।

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