कोतबा:-धर्मनगरी कोतबा में सर्वधर्म समभाव का संदेश देते हुए चौबीस हजार दीपकों के साथ दीप महायज्ञ संपन्न हुआ।
अखिल विश्व गायत्री परिवार ने दीपयज्ञ के माध्यम से विश्वकल्याण की कामना के साथ गायत्री महामंत्र की आहुतियां यज्ञ भगवान को समर्पित कीं।इस अवसर पर मातृशक्ति ने रंगोली के माध्यम से सभी दीपकों को सुसज्जित किया जिसमें सभी धर्मों के प्रतीक चिन्हों को उकेरते हुए दीपक जलाए गए।
उल्लेखनीय है कि 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिवस सायंकालीन बेला में दीप महायज्ञ का कार्यकम संपन्न हुआ।जिसमें नगर की माताएं बहनें अपने घरों से दीपक की थाल सजाकर यज्ञस्थल पहुंचीं।शांतिकुंज से पधारे प्रज्ञा पुरोहितों ने सुमधुर प्रज्ञा संगीत से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।उक्त कार्यक्रम में पूर्व अध्यक्ष खादी बोर्ड कृष्ण कुमार राय,भाजपा के जिला अध्यक्ष भरत सिंह,महामंत्री मुकेश शर्मा,आनंद शर्मा समेत अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
श्री तिवारी ने दीपयज्ञ के प्रवचन में बताया कि हमें अपने अंदर के अज्ञान रुपी अंधकार को मिटाकर,अपने मन में ज्ञान रुपी ज्योति को प्रकाशित करना है।जिससे हमारा जीवन उज्ज्वल हो घर परिवार में सुख शांति समृद्धि आए। अप दीपो भव का संदेश देते हुए श्री तिवारी ने कहा कि हमें अपने मन में ऐसा दीपक जलाना है जिससे समाज का कल्याण हो।आत्मा रुपी दीपक में जब परमात्मा रूपी प्रकाश विद्यमान होगा तो धर्म, जाति ,संप्रदाय से ऊपर उठकर हम व्यक्ति निर्माण,परिवार निर्माण,समाज व राष्ट्र निर्माण के साथ भारत को विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर होंगे।दीपक के प्रकाश में किसी प्रकार का छल नहीं होता उसका काम केवल प्रकाश फैलाना है।
परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के जीवन दर्शन का वर्णन करते हुए श्री तिवारी ने बताया कि गुरुदेव अपने हाथों से अखंड ज्योति लिखते थे।जिस दीप ज्योति को गुरुदेव ने वर्ष 1926 में जलाया वह आज पर्यंत तक जलती आ रही है ।इस दीपक की छांव में सतत अखंड ज्योति का ज्ञान प्रवाहित हो रहा है।
शांतिकुंज प्रतिनिधि के हाथों घरों में वेद स्थापना
दीप महायज्ञ के अवसर पर कोतबा नगर के परिजनों द्वारा चार वेदों की स्थापना कराई गई।उल्लेखनीय है कि परमपूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के द्वारा चारों वेदों का भाष्य किया गया है जो मथुरा के युग निर्माण योजना प्रेस में मुद्रण पश्चात शांतिकुंज के साहित्य विस्तार पटल में उपलब्ध है।कार्यक्रम से प्रेरित होकर अपने घरों में बसंत कुमार गुप्ता,शैलेश नारायण,जयशंकर झाप,दिलीप अग्रवाल,सचित नंदन निखाड़े,प्रेम बंजारा,संजय प्रधान,पूनम अग्रवाल ने चारों वेदों की स्थापना कराई।