जशपुरनगर। प्रदेश विधि प्रकोष्ठ भाजपा के निर्दशानुसार जशपुर जिला भाजपा विधि प्रकोष्ठ के द्वारा नवल पाठक, नरेश नंदे के नेतृत्व में भाजपा विधि जिला सयोजक जयनारायण प्रसाद के द्वारा रमाशंकर गुप्ता, सुदीप मुखर्जी , देवेन्द्र शर्मा, रविन्द्र पाठक,देवधन नायक , दीपक चौहान , रजनीकांत मिश्रा, सुदेश गुप्ता , लालदेव भगत , रामेश्वर विश्वकर्मा , सुचेंद्र सिंह , गोदो सिंह आदि के द्वारा मुख्य मंत्री के नाम कलेक्टर जशपुर को प्रदेश में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने व कोरोना महामारी में अधिवक्ताओं को आर्थिक पैकेज दिए जाने बाबत ज्ञापन सौंपा गया।
मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर जशपुर को ज्ञापन देते हुए अधिवक्ताओं ने बताया कि प्रदेश में एडवोकेट Protection Act लागू करने एवं करोना महामारी एफसीमें अधिवक्ताओं को आर्थिक पैकेज दिए जाने की पहल करें। प्रदेश में 30,000 से अधिक अधिवक्ता बंधु विधि व्यवसाय में संलग्न हैं। समाज का हमारा यह वर्ग कानून की रक्षार्थ अपना पूरा जीवन समर्पित करता है ऐसे मे उसकी रक्षा का दायित्व भी सरकार का होना चाहिए। प्रत्येक अधिवक्ता अपने दायित्व का निर्वहन निर्भय होकर स्वतंत्रता पूर्वक करें और न्यायदान के महायज्ञ में पूरी गुणवत्ता के साथ भाग ले ताकि प्रदेश का लोक जीवन सुरक्षित और संपन्न हो सके इसे सुनिश्चित करने के लिए अधिवक्ताओं के सरंक्षण (सुरक्षा) हेतु संरक्षण अधिनियम लागू करना अत्यावश्यक है। यह कार्य आपकी सरकार के प्राथमिकता मे है, जिसका वादा आपने चुनाव पूर्व किया है। लेकिन आपके द्वारा अभी तक पूरा नही करने से प्रदेश के समस्त अधिवक्ताओं मे रोश एवं निराशा व्याप्त है। जबकि इस सुरक्षा अधिनियम मे अधिवक्ताओं को उनके कर्तव्य के निर्वहन करने से रोकने या उसमें बाधा पहुंचाने के लिए उन पर हमला करने, चोट पहुंचाने, धमकी देने इत्यादि को प्रतिबंधित करते हुए दंडित किए जाने और किसी भी सूचना को जबरन उजागर करने का दबाव देना, दबाव पुलिस अथवा किसी अन्य पदाधिकारी से दिलवाना, वकीलों को किसी केस में पैरवी करने से रोकना, वकील की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना, किसी वकील के खिलाफ अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करना जैसे कार्यों को अपराध की श्रेणी में रखा जाए ये सभी अपराध गैर जमानती अपराध हों और ऐसे अपराध के लिए 6 माह से 5 वर्ष की सजा के साथ-साथ दस लाख रुपये तक के जुर्माना का भी प्रावधान हो ,तथा मानसिक शारीरिक आर्थिक क्षति के लिए क्षतिपूर्ति का प्रावधान होना चाहिए। इसके अतिरिक्त अधिवक्ता को जरूरत पड़ने पर पुलिस सुरक्षा का भी प्रावधान हो, तथा मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के पूर्व अनुमित से ही किसी अधिवक्ता के खिलाफ पुलिस कार्यवाही हो, अधिवक्ताओं को अधिवक्ता सुरक्षा कानून का संरक्षण प्रदान किया जावे ,और शीघ्र यह कानून लागू किया जावे!
प्रदेश में पिछले डेढ़ वर्षों से कोरोना महामारी के चलते हजारों अधिवक्ता और उनके परिवार गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं तथा लाखों रुपए के कर्ज में दब गए हैं, ऐसी स्थिति में ऐसे प्रत्येक अनुमोदित अधिवक्ता को सम्मानजनक आर्थिक पैकेज की सहायता उपलब्ध कराई जावे एवं जिन अधिवक्ता एवं उनके परिवार कोरोना की बीमारी से ग्रसित हुएं है, उसके मेडिकल खर्चे दिए जाएं एवं प्रत्येक कैजुअल्टी पर दस दस लाख रुपए अधिवक्ता या उसके परिवार को दिया जाए।