Site icon Groundzeronews

*भारत शिक्षा रत्न अवार्ड फॉर बेस्ट प्रिंसीपल के राष्ट्रीय पुरस्कार से दिलीप अम्ब्रेला सम्मानित,दिल्ली में हुआ सम्मान, शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट सेवा एवं विशेष सहयोग के लिए दिया जाता है यह सम्मान*

IMG 20240412 WA0011

जशपुरनगर/रायगढ़. ठाकुर शोभा सिंह शासकीय महाविद्यालय पत्थलगाँव से प्राचार्य के रूप में दायित्व निर्वहन कर सेवा निवृत दिलीप अम्बेला को आठ अप्रैल को भारत शिक्षा रत्न अवार्ड फॉर बेस्ट प्रिंसीपल के राष्ट्रीय पुरस्कार से दिल्ली में सम्मानित किया गया। शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट सेवा एवं विशेष सहयोग के लिए यह सम्मान दिया जाता है। सत्र 2022-23 के लिए यह सम्मान उन्हें दिया गया। 1984 पत्थलगांव महाविद्यालय के स्थापना वर्ष से अब तक शैक्षिक सुविधाओं के अभाव और अधोसरंचना के लिए तरसते महाविद्यालय का इन्होंने काया कल्प कर दिया। पांच विषयों में स्नातकोत्तर की कक्षाएँ प्रारंभ कर जीर्णशीर्ण हो रहे महाविद्यालय भवन का जीर्णोंद्वार कर भवन को एक नया स्वरूप प्रदान किया।
*कॉलेज को मिला बी ग्रेड, बनी उपलब्धि*
इनके कार्यकाल में अध्येता विद्यार्थियों की अब तक की सर्वाधिक संख्या रही है।  इनके प्रयास से भवन के सामने दो गार्डन का निर्माण महाविद्यालय की सुन्दरता में चार चाँद लगा रहे हैं। महाविद्यालय में कैन्टीन का निर्माण एवं शुरुआत इनके प्रयासों का प्रतिफल है। इनके ही कार्यकाल में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन नैक संस्था द्वारा महाविद्यालय को बी ग्रेड प्राप्त होना सबसे बड़ी उपलब्धि है।
*केजी काॅलेज में छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे*
इन्होंने अपनी जन्मस्थली जामझोर से प्राथमिक शिक्षा प्रारम्भ कर जिले की सबसे बड़ी शिक्षण संस्था किरोड़ीमल शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रायगढ़ से उच्च शिक्षा पूरी की। वे ऐसे विद्यार्थी रहें हैं जो खेल और पढ़ाई दोनों में गहरी अभिरूचि थी। वे व्हालीवाल और बैडमिन्टन के बहुत अच्छे खिलाड़ी रहे हैं और एमए अन्तिम की पढ़ाई रवि शंकर विश्वविद्यालय रायपुर से प्रावीण्य सूची में अपना नाम दर्ज कर पूरी की। वर्ष 1980 में अध्ययन के दौरान किरोड़ीमल शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय रायगढ़ में चुनाव जीत कर छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे।
*सात विभिन्न महाविद्यालयों में दी सेवाएं*
1981 में किरोड़ीमल शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय से तदर्थ सहायक प्राध्यापक के रूप में उन्होंने अपनी शासकीय सेवा प्रारम्भ की। अपने जीवन काल में उन्होंने सात विभिन्न महाविद्यालयों में अपनी सेवाएं दी है। लोगों से सहजता के साथ मुस्कुरा कर मिलना उनका विशिष्ट गुण है। अध्यापन कार्य के अतिरिक्त अध्येता छात्र – छात्राओं को सहयोग के लिए वे हमेशा तत्पर रहते रहें हैं। अब तक उन्होंने अनगिनत विद्यार्थियों को गोद लेकर उनकी पढ़ाई पूरी कराई है। जिनमें से कई आज नौकरी प्राप्त कर एक अच्छा जीवन यापन कर रहे हैं।
*सामाजिक कार्यों में भी आगे रहे*
सामाजिक कार्यों के संपादन और सहयोग में आगे रहते हुए प्रति वर्ष अपने गांव के बुजुर्गों को सम्मानित करना, जरूरत मन्द लोगों को कंबल, स्कूल के बच्चों में गरम कपड़े बांटना, सार्वजनिक कार्यों के लिए आर्थिक मदद उपलब्ध कराना उनके स्वभाव का हिस्सा है। वर्तमान में उन्होंने गांव में पीने के पानी की उपलब्धता के लिए तीन बोरिंग खुदवाने का निर्णय लिया है। भारत शिक्षा रत्न अवार्ड से सम्मानित किये जाने के पश्चात उनसे मिल कर उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी के उद्देश्य से जब उनके घर पहुंचे तो एक सुखद अनुभूति हुई।
*आर्गेनिक खेती के प्रति जागरूक*
उनके सात एकड़ में फैले फार्म हाउस में उन्होंने अपने हाथों से एक हजार से अधिक पेड़ लगाए हैं जिसमें सभी प्रकार के फल उपलब्ध हैं। आम की तो इक्कीस प्रकार की किस्में हैं। छोटे-बड़े मिलाकर अस्सी गायें हैं। जिनमें अड़तालीस गिर नस्ल की गायें हैं। दूध, दही, घी, पनीर, मट्ठा की उपलब्धता हमेशा रहती है। उनकी 25 एकड़ की पैतृक खेती है। उनके पास प्रतिवर्ष 80 ट्राली गोबर खाद होता है जिसके कारण पूरी तरह आर्गेनिक खेती करते हैं।  उनके यहाँ उत्पादित काला जीरा, जीरा फूल और ओम श्री चावल की विशेष मांग है। उनके यहाँ के घी रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, पत्थलगाँव भेजे जाते हैं। मांग इतनी है कि पूर्ति नहीं कर पाते हैं।
*लोगों को करते हैं प्रेरित*
उनसे मुलाकात करने पर एक जिज्ञासा थी कि वास्तव में भारत शिक्षा रत्न अवार्ड से सम्मानित होने वाले का व्यक्तित्व कैसा होता है। यहां आकर उनकी समर्पित गौ सेवा, 1000 पेड़ों से आच्छादित प्रकृति प्रेम, विशुद्ध रूप से आर्गेनिक खेती के प्रति उनकी जागरुकता को देख कर सहज ही अभिभूत हुए बिना नहीं रह सके। चर्चा के दौरान विषय की विशेषज्ञता एवं जीवन के अनुभूत सत्य की अभिव्यक्ति उनके आकर्षक व्यक्तित्व का परिचायक है। बातचीत के दौरान उनका शब्द चयन, वाणी की मधुरता, सहज अभिव्यक्ति सब कुछ कितना अच्छा लगता है और इन सबसे उपर अन्दर से झांकता हुआ उनका निश्छल मन कितना आकर्षक है। कुल मिलाकर जो भी मिलेगा उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। उनकी कबीर वादी विचारधारा जाति-पांती, ऊँच-नीच, छोटे बड़े, अमीर-गरीब एवं धार्मिक भेदभाव से सर्वथा परे है और वे इस विचारधारा को जीते हैं। मानों उनसे जुड़े हर किसी को ऐसा लगता है कि उनको भारत शिक्षा रत्न अवार्ड फाॅर बेस्ट प्रिंसिपल के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाना ही था। वे अपने निश्छल व्यक्तित्व और जीवन में व्यवहृत सात्विक आचरण से लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।

Exit mobile version