जशपुरनगर। पिछले दिनों जशपुर जिले के बगीचा में डीडीसी गेंदबिहारी सिंह और एसडीओपी शेरबहादुर सिंह के बीच हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि घटना के तुरंत बाद मौके पर जशपुर पुलिस अधीक्षक एवं डीआईजी स्वयं पहुंचे थे। एसडीओपी को जशपुर एसपी ऑफिस अटैच तथा आरक्षकों को निलंबित करने की कार्यवाही की गई, लेकिन इस कार्यवाही को नाकाफी मानते हुए इस घटना को लगातार तूल देने का प्रयास किया जा रहा है। मौके पर एक विशेष राजनीतिक दल के नेता पहुँचकर कभी इसे भाजपा समर्थित नेता के साथ हुआ अत्याचार बता रहे हैं, तो कभी इसे सनातन धर्म के रक्षक गहिरा गुरु के पुत्र के साथ हुआ अत्याचार बताते हुए इसे धार्मिक रूप देने का प्रयास किया जा रहा है। इस मामले का नेतृत्व कभी भाजपा के बैनर तले होता हुआ दिखता है, तो कभी इसे गहिरा गुरु द्वारा स्थापित सनातन संत समाज का बैनर लगाकर तूल देने का प्रयास किया जा रहा है। संत गहिरा गुरु के एक पुत्र भाजपा समर्थित डीडीसी हैं तो दूसरी तरफ उनके भाई कांग्रेस के विधायक एवं संसदीय सचिव हैं।अब यह प्रश्न उठना लाजमी है कि यदि वास्तव में यह सनातन धर्म पर प्रहार है तो फिर इस मुद्दे पर अभी तक पीड़ित के बड़े भाई चिंतामणि सिंह संसदीय सचिव का कोई बयान क्यों नहीं आया?वहीं हिंदू वोटरों को साधने का प्रयास कर रहे एवं अपने को हिन्दू नेता के रूप में जिले में स्थापित करने का प्रयास कर रहे विधायक द्वय द्वारा भी इस घटना की भर्त्सना आज तक क्यों नहीं की गई, यह विचारणीय है। बहरहाल क्षण-क्षण में बैनर बदलकर किए जा रहे इस आंदोलन की क्या परिणीति होती है, यह तो वक्त ही बताएगा।
वैसे आंदोलनकारियों को संत गहिरा गुरु के इस ध्येय वाक्य को हमेशा स्मरण रखना चाहिए, जिसमें उन्होंने कहा है:-
*चोरी दारी,हत्या, मिथ्या त्यागें, सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा धारें*