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*आस्था:– भगवान बालाजी मंदिर बना जिले में लोगों के आस्था का केंद्र, इस तरह से हुई थी इस मंदिर की स्थापना………जानिए इस मंदिर से जुड़ी रहस्य एवं क्या है परंपरा?*

भगवान बालाजी मंदिर बना जिले में लोगो के आस्था का केंद्र...

जशपुरनगर। (सोनू जायसवाल) जशपुर के हृदय स्थल पर बालाजी मंदिर स्थित है। यह स्थान जशपुर जिले के आस्था का केंद्र है। धार्मिक एंव ऐतिहासिक दृष्टि से इस स्थान का विशेष महत्व है । इस स्थल की प्राचीनता के बारे में यह तथ्य प्रचलित है कि लगभग ढाइ से तीन सौ वर्ष पूर्व यहां पर एक साधू बाहर से आए और देऊल तालाब के निकट साधना करने लगे। बताया जाता है कि साधना के दौरान उनको भगवान विष्णु के दर्शन हुए और ऐसा निर्देश मिला कि वर्तमान बालाजी मंदिर के पास खुदाई कर वहां से मूर्ति को निकालें और वहीं पर पूजा अर्चना प्रारंभ करें। तत्पश्चात खुदाई से भगवान विष्णु के रूप में प्राप्त मूर्ति को बालाजी मंदिर में स्थापित किया गया तथा विष्णु देव के रूप में उसी दिन से वहां पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी गई। प्रारंभ में यह मूर्ति चतुर्भुज रूप में था। राजपुरोहित पंडित मनोज रमाकांत मिश्र ने बताया की इसका तात्पर्य राम , कृष्ण , विष्णु तथा जगन्नाथ से है। प्रारंभ में यह मंदिर घास फूस से बना हुआ था , जिसे बाद में जशपुर रियासत के राजा विष्णू प्रताप सिंह के शासन काल के दौरान भव्य रूप में बनाया गया। इस मंदिर में चारो देवताओं की पूजा संयुक्त रूप से की जाती है। बालाजी न भगवान को जशपुर रियासत के शासकों का इष्ट देव भी माना जाता है । जशपुर निवासी अपने हर कार्य का प्रारंभ भगवान बालाजी की पूजा अर्चना कर प्रारंभ करते हैं , वहीं विभिन्न त्योहारों पर भी यहां विशिष्ट पूजा , अर्चना होती है ।

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