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*गणेश राम भगत ने कहा कि ग्रामीणों के जल जंगल जमीन बचाने चलाये जा रहे स्वस्फूर्त आंदोलन की तुलना कुछ लोग नक्सलवाद से कर रहे हैं, मुझे इनपर तरस आ रहा है। नक्सलवाद देखना है तो बस्तर जाइये, हमने पारंपरिक लाठी लेकर पुलिस के साथ मिलकर ख़त्म किया है नक्सलवाद, मांग पूरी नहीं हुई तो अभी और विशाल होगा आंदोलन, लाठी लेकर…….*

कांसाबेल/जशपुरनगर। जशपुर जिले में स्टील उद्योग की स्थापना के विरोध सहित भ्रष्टाचार व ज्वलंत समस्याओं को लेकर अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच के द्वारा राष्ट्रीय संयोजक व पूर्व मंत्री गणेश राम भगत के नेतृत्व में कांसाबेल की सड़कों में विशाल रैली निकाली गई जो आम सभा में परिवर्तित हो गई। यहाँ सभा को संबोधित करते हुए गणेश राम भगत ने कहा कि ग्रामीणों द्वारा अपने जल जंगल जमीन को बचाने हेतु चलाये जा रहे स्वस्फूर्त आंदोलन में सहयोग करने की अपेक्षा लोग उनके इस आंदोलन की तुलना नक्सलवाद से कर रहे हैं। मुझे ऐसे लोगों पर तरस आता है और उन्हें में कहना चाहता हूँ कि जब जशपुर नक्सलवाद की आग में जल रहा था ,यहां की जनता परेशान थी तब इन्ही सीधे साधे ग्रामीणों ने अपने पारम्परिक लाठी के सहारे पुलिस के साथ मिलकर जशपुर से नक्सलवाद का खात्मा किया है और तब आप अमन चैन की जिंदगी जी पा रहे है।उन्होंने कहा की नक्सलवाद क्या होता है अगर देखना है तो एक बार बस्तर जाइये।उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन तब भी शांति पूर्ण था और आज भी शांति पूर्ण हैं हमारे धरती और पर्यावरण को बचाने के इस पवित्र आंदोलन को नक्सलवाद से जोड़ना ये जशपुर के ग्रामीणों का अपमान है।

सभा को संबोधित करते हुए जनजाति सुरक्षा मंच के विधिक सलाहकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता रामप्रकाश पांडेय ने कहा कि जिले के नए कलेक्टर महोदय ने अपने पहले इंटरव्यू में कहा है कि जशपुर में उद्योग स्थापना के सम्बब्ध में ग्रामीण जैसे चाहेंगे वैसा किया जाएगा।टाँगरगांव और उसके आसपास के ग्रामीण 11 जुलाई से ही निंरतर आंदोलन कर रहे है और आज भी जिले के हजारों ग्रामीण अपनी राय व्यक्त करने आये हैं कि उन्हें उद्योग नहीं चाहिए ऐसी स्थिति में उनकी मंशा के अनुरूप कलेक्टर महोदय को उद्योग का प्रस्ताव निरस्त कर देना चाहिए।उन्होंने कहा कि पेसा अधिनियम में उद्योग स्थापना के पूर्व ग्राम सभा का प्रस्ताव और अनापत्ति लिया जाना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है ।जशपुर के टाँगरगांव और सरडीह कि ग्राम सभा के द्वारा उद्योग के प्रस्ताव को निरस्त किया जा चुका है उंसके बाद भी आज तक उद्योग के प्रस्ताव को निरस्त न करना सन्देह को जन्म दे रहा है। इस सम्बंध में माननीय उच्च न्यायालय और ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी याचिकाएं लगाई जा चुकी हैं। कार्यक्रम के चन्द्रदेव ग्वाला, रोशन साय सहित बड़ी संख्या में जनजातीय नेता शामिल थे।

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