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*जन्माष्टमी महोत्सव का भव्य आयोजन, समग्र ब्राह्मण परिषद् मातृशक्ति ज़िला इकाई रायगढ़ द्वारा नटखट, मनरमणा मुरलीवाले का भव्य अवतरण महोत्सव हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न….*

रायगढ़। जगत्पति, पारब्रह्म, परमेश्वर का जन्म नहीं होता । जो अजन्मा, आदि, अनंत हैं उनका जन्म कैसा ? अपने भक्तों की रक्षा करने, दुष्टों का संहार करने, अधर्म का नाश कर, धर्म की स्थापना करने, विश्व का कल्याण करने, कलुष तम को हर कर पुण्य कर्म करने का ज्ञानप्रकाश देने,संसार से पाप का विनाश कर अपने भक्तगणों को सत्कर्म के मार्ग पर चलने का उपदेश देने , काम, क्रोध, मद, लोभ को हर कर अखिल ब्रह्मांड में सत्य, धर्म,भक्ति,मोक्ष, के मार्ग का प्रसार करने हेतु ईश्वर हर युग में अवतार लेते हैं । चाहे राम के रूप में हों, शिव के रूप में या कृष्ण के रूप में हों ,चराचर जगत् का उद्धार करने के लिए ही प्रभु अवतरित होते हैं । एवँ उनके अवतरण दिवस को लोग पूर्ण श्रद्धा व भक्तिभाव से महापर्व के रूप में मनाते हैं । ईश्वर के प्रति,पूर्ण आस्था व विश्वास का भाव तथा विश्व में अपनी एक अलग छवि बनाने वाले आर्यावर्त खंड की यही सबसे बड़ी विशेषता है ।जब-जब धर्म की हानि होती है, क्लेश, पाप,ताप,काम,क्रोध, मद,लोभ, में वृद्धि होती है , सत्य पर असत्य का प्रभाव बढ़ जाता है , दुर्जन पापाचार, अत्याचार में अनुरक्त होकर साधू, संतजन,नर-नारी पर बल का प्रयोग करने लगते हैं तब दुखित,पीड़ितजन उस परमपिता परमेश्वर की शरण में जाकर *त्राहिमाम* की गुहार लगाते हैं ।तब भक्त वत्सल, करूणनिधान, सकल जगत् के स्वामी अच्युतानंद भगवान अपने भक्तों की करूण पुकार सुनकर उनके कष्टों को हरने तथा दुर्जनों को उनके पापों का दंड देने हेतु व समस्त मानव जाति, प्राणिमात्र के रक्षार्थ हेतु ही धरती पर अवतार लेते हैं ।
उस अखंड, अविनाशी, अविकारी, निर्गुण, निराकार,सभी क्लेश से रहित, योगेश्वर साकार ब्रह्म की महिमा को सुर, असुर,नर,मुनि,किन्नर,गंधर्व कोई भी वर्णन नहीं कर सकते । उसकी महिमा का कोई पार नहीं अपरंपार है उसका प्रताप । ऐसे आगम,निगमवेत्ता,त्रिकालदर्शी, त्रिलोकीनाथ जी का गुणगान हम जैसे साधारण मानवों का अपने मुख से करना संभव नहीं है । कृपासिंधु, दयासागर भगवान सभी पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखें।

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