जशपुर, सन्ना (राकेश गुप्ता की कलम से):-आज हम जशपुर जिले के सबसे सुदूर अंचल की बात करने जा रहे हैं। जहां के वोट बैंक के कारण ही जिले की राजनीति गढ़ी जाती है। यह क्षेत्र है जिले का प्राकृतिक सौंदर्य का केंद्र सन्ना पाठ। जहां की जनता अपना रुख जिस ओर भी परिवर्तित कर ले, लगभग सरकार उसी पार्टी की बन जाती। परन्तु यह क्षेत्र आज भी मूलभूत सुविधाओं को लेकर बिलखता, चीखता, चिल्लाता हुआ दिखता है। आज हमें यह पूरी बातें आपको इस कारण बताना पड़ रहा है क्योंकि बीते दो दिनों पहले सन्ना क्षेत्र के ही मरंगीपाठ गांव के पांच माह के बच्चे के पिता सन्तोष यादव ने एक वीडियो वायरल करते हुए बताया था कि उसके मासूम बच्चे की जान सन्ना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों की लापरवाही के कारण हो गयी। जिसकी खबर भी हमने ग्राउंड जीरो के माध्यम से प्रमुखता से उठाया था।
उस बच्चे के पिता ने उस दिन वीडियो में बताया था उसके बच्चे को बीती रात अचानक उल्टी होने पर 10 बजे सन्ना के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था। बहुत देर बाद हॉस्पिटल के कर्मचारियों ने दरवाजा खोला और बच्चे को देखने आये। जिसमें शर्मा और वहां मौजूद स्टॉप नर्स थी। परन्तु कोई भी डॉक्टर वहां नहीं था। बच्चे को बिना चेक किए ही रात में रेफर का कागज बना दिया गया। कोई भी बच्चे को इलाज के नाम पर छुआ तक नहीं। रेफर का कागज बनने के बाद वहां एम्बुलेंस का करीब तीन घण्टे तक इंतजार किया, पर एम्बुलेंस भी नही आई और आखिर में मासूम ने दम तोड़ दिया। अगर समय पर डॉक्टरों ने इलाज किया होता या समय पर एम्बुलेंस मिल गयी होती तो शायद बच्चे की जान बच गयी होती।
जिसके बाद यह खबर अखबारों में प्रकाशित तो हो गयी, परन्तु न तो इस मामले में अब तक किसी अधिकारी ने या ना तो किसी पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने इसकी सुध भी लेनी चाही। क्योंकि अभी चुनाव नजदीक नही है। आपको बता दें कि सन्ना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का यह कोई पहला मामला नही है जहां ऐसी घटना हुई है। बल्कि ऐसे ही घटना पूर्व में भी कई बार हो चुकी है बस कुछ खबरें छप गई तो कुछ खबरें छुप गयी।
अब जब यह मार्मिक घटना उजागर हो चुकी है। फिर भी इस घटना पर अब तक न तो जशपुर विधानसभा के कांग्रेस विधायक ने अपनी प्रतिक्रिया दी और न ही रायगढ़ लोकसभा के भाजपा सांसद ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। यहां तक कि जिले का कोई भी नेता/जनप्रतिनिधि इस पर अपना मुंह नहीं खोला। स्वास्थ्य विभाग की ऐसी लापरवाही जिसमें पांच माह के मासूम बच्चे की जान चली जाती है,मामले में चूं से चां तक नहीं हुआ। जबकि आपको बता दें कि इसी जिले के कुछ नेता छोटी-छोटी घटनाओं में अपनी राजनीति रोटियां सेंकने में लगे रहते हैं,तो कुछ नेता पुल पुलिया सड़क के भूमिपूजन करके बड़बोले बनते देखे जाते हैं। तो कुछ नेता हर मामले में अपनी वाहवाही लूटते देखे जाते हैं।परन्तु इस मासूम की जान के बाद भी कोई स्वास्थ्य विभाग की इतनी बड़ी लापरवाही पर कार्यवाही की मांग नही कर रहा। न ही यहां के अस्पताल में और अधिक सुविधा व संसाधन बढ़ाने, व्यवस्था सुधारने की कोई पहल हो रही है। ऐसे में जनता यही सवाल पूछ रही है कि कब तक हम ऐसे ही दम तोड़ते रहेंगे??