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*जशपुर विधान सभा में कुपोषित सिस्टम से हुई कुपोषण की शिकार 15 वर्षीय पद्मा की मौत, परिवार के बचे तीन बच्चों की जिंदगी भगवान भरोसे, परिजनों ने कहा गरीबी और कुपोषण के साथ सिस्टम की अनदेखी ने मिलकर छीन ली मासूम की जिंदगी, सुपोषण माह में शासन, प्रशासन पर उठे सवाल का कौन देगा जवाब, क्या ऐसे ही होती रहेगी वनांचल में कुपोषण से मौत, ग्राउंड जीरो ने एक साल पहले किया था आगाह…जरा देखिये वीडियो…….*

#Malnutrition#korwa#janjati#hunger# कुपोषण ने बनाया दिव्यांग,भूख से अपाहिज हुए बच्चे

 

सन्ना/जशपुर। ग्राउंड रिपोर्ट राकेश गुप्ता। जशपुर में जशपुर विधानसभा अंतर्गत बगीचा और मनोरा विकासखंड कोरवा सहित विभिन्न जनजातीय बहुल क्षेत्र है। आज के दौर में भी इस क्षेत्र में दाल हरी सब्जी जनजातीय समाज के भोजन से नदारद है। कई पोषक सब्जियों का नाम तक जनजाति समाज नहीं जानता, जिसे हीमोग्लोबिन बढाने के लिए जाना जाता है, यदि जानता भी है तो उनके उपयोग के प्रति समझ और आर्थिक रूप से यह समाज सक्षम नहीं है। इसी समाज की 15 वर्षीय बच्ची पद्मा ने कुपोषण से दम तोड़ दिया। पिता सनु कोरवा वार्ड क्रमांक 10 पहाड़ी कोरवा बस्ती बगीचा के रहने वाले हैं। यह परिवार बलादर पाठ का निवासी है जो काफी समय से बगीचा के कोरवा बस्ती में निवासरत है। यह वही बलादर पाठ है जहां सन 2000 के दशक में कोरवाओं की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया था और राष्ट्रीय मीडिया की पहल पर प्रशासन को कैम्प करना पड़ा था।
सुपोषण माह के दौरान कुपोषण से पहाड़ी कोरवा बच्ची की मौत ने महिला बाल विकास विभाग ही नहीं बल्कि पूरे सिस्टम की बड़ी लापरवाही को सामने लाकर रख दिया है। तमाम पोषण अभियान के बावजूद इन गरीब पहाड़ी कोरवा बच्चों को न कभी पौष्टिक भोजन मिला न ही पोषण आहार दिया गया। उल्लेखनीय है इस परिवार में 4 बच्चे अब भी कुपोषित हैं जो कुपोषण के खतरे के निशान से ऊपर है जिन्हें गहन चिकित्सा की आवश्यकता है।इसके बावजूद महिला बाल विकास कागजों में सुपोषण अभियान चलाकर कुपोषण दर कम करने में लगी हुई है।

घटिया स्तर का पोषण आहार

पद्मा की मौत के साथ जिले में पोषण आहार के नाम पर जमकर वसूली और कमीशन के खेल चलने की भी खूब चर्चा हो रही है। चर्चा है कि महिला बाल विकास विभाग द्वारा पोषण आहार की गुणवत्ता सुधारने का कभी प्रयास नहीं किया गया। समूहों के माध्यम से जिले के अधिकारी अपनी जेबें गरम करने में लगे हुए हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों व फुलवारी केंद्रों में गरम भोजन देने का प्रावधान है, जहां सूखा आहार देकर कमीशन का खेल खेला जा रहा है।

महिला बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी कुपोषण के जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं जिसके कारण ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। और सवाल यह भी उठ रहा है कि सब कुछ देखते हुए शासन प्रशासन मौन क्यों है।

हांलाकि जिला कलेक्टर महादेव कावरे ने लापरवाही पर कार्यवाही की बात कही है।वहीं महिला बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारी का फोन आए दिन बंद आता है।
मृतिका के दादा एतवा राम ने बताया कि वे चारों बच्चों का इलाज कराते थक चुके हैं।अस्पताल भी ले जा चुके हैं।फिर भी उनका कुपोषण दूर नहीं हुआ। सरकार और प्रशासन कुछ नहीं कर रहे। एक बच्ची की मौत कुपोषण से हो गई, 3 बच्चे अब भी बहुत कमजोर हैं जिनकी स्थिति खराब है। सरकार अगर कुछ कर सकती है तो उनके लिए करे।
मृतिका के पिता सनु कोरवा ने बताया कि डॉक्टर ने उनको बताया कि बच्ची कुपोषित थी।और उसके शरीर मे खून कम था।डॉ दुबे ने उनसे कहा कि पहाड़ी कोरवा हैं इनका सेवा किया जाए।रात में 11 बजे शव वाहन से हम लोगों को ब्लादर पाठ भेजे।

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