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*सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है, गणेश चतुर्थी के व्रत में कथा सुनने से ही मिलता है ये लाभ, दूर हो जाते हैं सारे कष्ट..मनीष कृष्ण शास्त्री…*

कोतबा,जशपुरनगर:-गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने की भी मान्यता है. कहते हैं इस दिन रखे गए व्रत से गणपति देवता प्रसन्न हो कर आपके सारे दुख हर लेते हैं और विघ्न दूर कर घर में सुख-समृद्धि देते है।

पिछले वर्ष कोरोना महामारी को लेकर नगर क्षेत्र के सार्वजनिक पंडालों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना नही किया गया था।लेकिन इस वर्ष शासन के गाइडलाइन का पालन करते हुये और कोरोना महामारी में राहत मिलने पर सभी चौक चौराहों पर सार्वजनिक गणेश मूर्ति की स्थापना की जा रही है।
नगर के कारगिल चौक,रायगढ़िया चौक सहित प्रमुख स्थानों और घरों में मूर्ति स्थापित किया गया है।
नगर के आईसेक्ट कम्प्यूटर संस्थान में भी पूरे रीतिरिवाज के अनुसार गणेशजी की मूर्ति स्थापित कर संस्था के प्राचार्य दुर्योधन यादव ने अपने परिवारजनों और संस्था में अध्यनरत छात्र छात्राओं के साथ पूजा अर्चना की।
गंझियाडीह मंदिर के पुजारी श्री मनीष कृष्ण शास्त्री ने बताया कि विघ्नहर्ता भगवान गणेश को
सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश पूजन किया जाता है. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है. इस बार गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को मनाई जा रही है. इस दिन बप्पा लोगों के घर विराजे है. 10 दिन तक चलने वाले ये पर्व 19 सितंबर अन्नत चतुर्दशी के दिन समापत होंगे। 19 सितंबर को गणेश विसर्जन किया जाएगा. बप्पा को शुभ मुहूर्त में घर लाकर इसकी पूजा अर्चना की गई। आईसेक्ट कंप्यूटर संस्थान में
गणपति स्थापित करने के बाद उनकी विधि पूर्वक पूजा की गई.उन्होंने बताया कि गणेश चतुर्थी के दिन व्रत रखने की भी मान्यता है. कहते हैं इस दिन रखे गए व्रत से गणपित प्रसन्न होकर आपके सारे दुख हर लेते हैं और विघ्न दूर कर घर में सुख-समृद्धि देते हैं. इस दिन व्रत कथा के श्रवण से ही लाभ मिलता है.
उल्लेखनीय है कि
धार्मिक दृष्टि से कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक पौराणिक कथा ये भी है कि पुराणों के अनुसार एक बार सभी देवता संकट में घिर गए और उसके निवारण के लिए वे भगवान शिव के पास पहुंचे. उस समय भगवान शिव और माता पार्वती अपने दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश के साथ मौजूद थे. देवताओं की समस्या सुनकर भगवान शिव ने दोनों पुत्र से प्रश्न किया कि देवताओं की समस्याओं का निवारण तुम में से कौन कर सकता है. ऐसे में दोनों ने एक ही स्वर में खुद को इसके योग्य बताया।
दोनों के मुख से एक साथ हां सुनकर भगवान शिव भी असमंजस में पड़ गए कि किसे ये कार्य सौंपा जाए. और इसे सुलाझाने के लिए उन्होंने कहा कि तुम दोनों में से सबसे पहले जो इस पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा कर आएगा, वही देवताओं की मदद करने जाएगा. शिव की बात सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठ कर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकल गए. लेकिन गणेश सोचने लगे कि मुषक पर बैठकर वह कैसे जल्दी पृथ्वी की परिक्रमा कर पाएंगे. बहुत सोच-विचार के बाद उन्हें एक उपाय सूझा. गणेश अपने स्थान से उठे और अपने माता-पिता भगवान शिव और माता पार्वती की सात बार परिक्रमा करके बैठ गए और कार्तिकेय के आने का इंतजार करने लगे।
गणेश को ऐसा करता देख सब अचंभित थे कि आखिर वो ऐसा करके आराम से क्यों बैठ गए हैं. भगवान शिव ने गणेश से परिक्रमा न करने का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक है. उनके इस जवाब से सभी दंग रह गए. गणेश का ऐसा उत्तर पाकर भगवान शिव भी प्रसन्न हो गए और उन्हें देवता की मदद करने का कार्य सौंपा. साथ ही कहा, कि हर चतुर्थी के दिन जो तुम्हारी पूजन और उपासना करेगा उसके सभी कष्टों का निवारण होगा. इस व्रत को करने वाले के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होगा. कहते हैं कि गणेश चतुर्थी के दिन व्रत कथा पढ़ने और सुनने से सभी कष्टों का नाश होता है, और जीवन भर किसी कष्ट का सामना नहीं करना पड़ता।

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