जशपुरनगर,कोतबा :-महाशिवरात्रि पर्व पर नगर के प्रसिद्ध दार्शनिक और भगवान शिव मंदिर में गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन कर जलाभिषेक करने भोर से ही भक्तों का तांता लगा रहा।जहां सुबह से क्षेत्रभर के हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुचे। भक्तगण फूल, दूध, बेलपत्र आदि लेकर मंदिर पहुंचने लगे थे। जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग व युवा सहित बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुये। महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिर को विशेष साज सज्जा कर सजाया गया है जिससे पहुँचने वाले भक्तों आकर्षण का केंद्र बना रहे। शिवालयों में भगवान शिव का दूध, जल आदि से अभिषेक किया गया। इस दौरान ओम नमः शिवाय के जयकारे से शिवालय गूंजते रहे। भक्तों ने भोले बाबा के भव्य भस्म आरती में शामिल होकर दर्शन का लाभ लिया।
महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना होती है। महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव के पूजा का विशेष महत्व है। जिसके चलते दूर दराज के भक्तगण कतार में सुबह से ही भगवान शिव के दर्शन व पूजन के लिए शिवालयों में भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया नगर के वार्ड क्रमांक 1 में स्थित सतिघाट धाम शिव मंदिर में सुबह चार बजे से ही भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए पहुंचने लगे थे। महादेव का अभिषेक के बाद भक्तों ने विधि-विधानपूर्वक पूजा अर्चना की। दिनभर मंदिर में भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते रहे। मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए पहुंचे भक्तों ने बताया कि सतिघाट शिव धाम में भगवान शिव की पूजा कर आत्मीय शांति मिलती है।वे हर विशेष अवसर पर लोग यहां पूजा अर्चना करने पहुचते है। जिसके चलते वे व्रत रखकर मंदिर आकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर के पूजारी पंडित सुदामा शर्मा ने बताया कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामना पूरी होती है।भगवान शिव का जल, दूध, नैवेद्य से अभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव को विषैले पुष्प प्रिय हैं, इसलिए धतुरा, मदार व बेल पत्र आदि भगवान शिव को अर्पण कराना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर्व में भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी पर आकर मंदिरों में वास करते हैं, जिसके कारण भगवान की शिव पूजा का विशेष महत्व होता है।
○ *क्षेत्र भर के हजारों श्रद्धालु हुए शामिल*
महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर क्षेत्र के बागबहार, गोलियागड़, फरसाटोली,गंझियाडीह,खजरीढाब, महुआडीह सहित विभिन्न क्षेत्र के लोग शामिल हुये सबसे अधिक महिलाओं ने कोतबा स्थित सतिघाट धाम में विराजे भगवान गुप्तेश्वर महादेव का जलाभिषेक करते हुये पूजा अर्चना कर वे अपने गांवो में स्थापित मंदिरों में जलाभिषेक किया। जलाभिषेक करने के लिये 10-15 किलोमीटर दूर से श्रद्धालु पहुँचे और दार्शनिक रूप में विकशित हो रहे सतिघाट शिव धाम में दिनों दिन भक्तों के आवाजाही में भारी इजाफा हो रहा है यहां कल कल करके बहती भैवनी नदी और हनुमान जी के 31 फिट के बने मूर्ति सहित पौराणिक काल के अदभुत पत्थरों पर बने पहचान से लोग और अधिक आकर्षित हो रहे है लोगो सहित यहां के बुजुर्गों का मानना है कि इसी राह से भगवान राम और सीता का गमन हुआ था उनके द्वारा रखे केला आम जो पत्थरों पर निशान दिख रहे है वह वास्तविकता है लोगो का मानना है कि पत्थरों पर बने निशान में हिरण का वध भी किया गया है जिसके रक्त के निशान आज भी उस काल को उन्हें याद दिलाते है,यह मान्यता आदिकाल से चलते आ रहे है जिसकी वे अनुकरण करते है यह जगह में बिशेष रूप से सनातन धर्म से जुड़े लोगों ने जीवंत रखा है यहां प्रतिदिन विशेष पूजा पाठ और रात्रि आरती का आयोजन किया जाता है।
○ *महाशिवरात्रि पर्व पर विशेष कार्यक्रम आयोजित*
नगर के सतिघाट शिवमंदिर धाम में रघुवर प्रसाद प्रेमचंद गुप्ता के द्वारा कई वर्षों से महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर यहां विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।इस वर्ष भी 8 मार्च शुक्रवार सुबह 4 बजे भस्मारती के बाद 5 बजे से भक्तो द्वारा जलाभिषेक किया गया। महाशिवरात्रि के अवसर पर बाबा भोलेनाथ का श्रृंगार और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया ।दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक आचार्य पंडित धीरज शर्मा के द्वारा महारुद्राभिषेक विधिविधान से सम्पन कराया गया। शाम 3 बजे से रामचरित्रमानस सुन्दर काण्ड का पाठ का आयोजन भी किया गया।वही शाम 4 बजे शिवविवाह के लिये श्री श्याम मंदिर से शिवधाम सतिघाट के लिये प्रस्थान कर शाम 6 बजे 1100 सौ दीपक प्रव्वजलित कर पूरे घाट में दीपदान कर बाबा का अलौकिक श्रृंगार दर्शन,फूलों की होली,अतिशबाजी,संगीतमय भजनों के साथ महाआरती,महाप्रसाद,बाबा का भजन संध्या श्रीराम भजन मण्डली म्यूजिकल ग्रुप द्वारा समस्त भक्तों के लिये किया गया है। जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
*40 साल से प्रज्वलित घुनी के दर्शन मात्र से सभी प्रकार के कष्ट होते है दूर..!*
मंदिर के पुजारी व घुनी को प्रज्वलित करने वाले सुदामा महराज जी ने बताया कि यहाँ गुप्तेश्वर महादेव के स्थापना के बाद भी लोगो के कष्ट को दूर करने के लिए घुनी जलाई गई थी जो आज भी प्रज्वलित है जो भी भक्त इसके दर्शन करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते है यहाँ काफी दूर दूर से लोग दर्शन करने आते है ।