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*समर्थ दिव्यांग केंद्र में नाबालिक बच्चियों के साथ हुई बर्बरता पर परिजनों के धरना प्रदर्शन में बैठने के बाद राष्ट्रीय जनजाति आयोग नई दिल्ली ने प्रदेश सरकार के इन अधिकारियों से मांगा जबाब….इन्हें नोटिस भेज तीन दिन के भीतर मांगी थी जवाब… पूर्व मंत्री ने उठाया था मुद्दा..।*

जशपुरनगर:- जशपुर जिला मुख्यालय में कलेक्टर बंगले के अहाते से सटे हुए समर्थ दिव्यांग केंद्र में पढ़ने वाली अनुसूचित जनजाति के छः दिव्यांग नाबालिक बच्चियों के साथ 22 सितंबर 2021 की मध्य रात्रि में हुई बर्बरता की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। घटना की भयावहता ऐसी थी कि राज्य सरकार के द्वारा तत्काल कलेक्टर और एसडीएम का स्थानांतरण कर दिया था। पुलिस ने आनन फानन में मामले की जांच करते हुए घटना कारित करने वाले दो आरोपियों को जो संस्था के ही चौकीदार एवं केयरटेकर थे जिनकी गिरफ्तार करते हुए मामले का अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर जांच की इतिश्री कर दिया था। किन्तु घटना के बाद से ही जिला प्रशासन के द्वारा की गई कार्यवाही को लेकर जिला प्रशासन की गतिविधियां संदिग्ध दिख रही थी। मामले की जांच को लेकर पीड़िताओं के परिजन भी सन्तुष्ट नही थे और परिजनों के द्वारा घटना की गम्भीरता पूर्वक उच्च स्तरीय जांच किये जाने की मांग जिला प्रशासन से करते रहे किन्तु इस सम्बंध में जिला प्रशासन ने कोई पहल नहीं कि और अंततः बाध्य होकर पीडताओं के परिजनों को दिनांक 9 फरवरी 2022 को संस्था के सामने ही धरने पर बैठना पड़ा।उनके समर्थन में जनजातिय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत स्वयं भी धरने पर आ कर बैठे गये थे।जिस पर उन्होंने कहा था कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार के लिए कितने शर्म की बात है कि न्याय पाने के लिए अनाचार हुए नाबालिक दिब्याग बच्चियों के परिजन को धरने पर बैठना पड़ रहा है।उन्होंने तत्काल मामले की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से की थी।वहीं घटना की जांच किसी राष्ट्रीय जांच एजेंसी से कराने की मांग की थी।जिस पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने दिनांक 22/2/22 को प्रदेश के पुलिस महानिदेशक , कलेक्टर जशपुर एवं पुलिस अधीक्षक जशपुर को नोटिस जारी करते हुए घटना के सम्बंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।बहरहाल देखना यह है कि आयोग के संज्ञान लेने के बाद इस मामले में और किनके किनके विरुद्ध कार्यवाही होती है ।

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