जशपुर,सन्ना:- इन दिनों जशपुर जिले की राजनीति में फिर से भूचाल आते हुए देखा जा सकता है।जिले की सन्ना पाठ क्षेत्र में इन दिनों राजनीति भूचाल आते हुए दिख रहा है।वहीं सन्ना पाठ क्षेत्र जो कभी भाजपा का गढ़ के रूप में जाना जाता था।परन्तु 2018 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्र के लोगों का भाजपा से मोह भंग हुआ था और सभी ने सत्ता परिवर्तन पर जोर दिया और जशपुर में 35 वर्षों बाद कांग्रेस के विधायक चुनाव जीते हैं।परन्तु इन दिनों सन्ना पाठ क्षेत्र में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं का पार्टी से मोह भंग होते हुए देखा जा सकता है।पूरा मामला आपको बता दें कि जशपुर जिले के सन्ना में जिला भाजपा के द्वारा विधानसभा स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था।जिसमें भाजपा के जिला जशपुर प्रभारी गुरूपाल भल्ला के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्ण कुमार राय भी मौजूद थे।उन्ही के समक्ष बैठक के दौरान कांग्रेस पार्टी के युवा मोर्चा जिला सचिव रिशु केशरी अपने 4 समर्थकों के साथ भाजपा पार्टी का दामन थाम लिया।वहीं सन्ना क्षेत्र में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का भाजपा प्रवेश करने पर क्षेत्र की राजनीति माहौल गर्माता हुआ दिख रहा है।हालांकि जानकारों की माने तो यह कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत बड़ी छति साबित हो सकती है।क्योंकि पार्टी से युवा मोर्चा के पदाधिकारियों का इस तरह से मोह भंग हो कर चला जाना कहीं न कहीं नुकशान तो जरूर होगा।
रिशु केसरी का भाजपा प्रवेश करने पर जब हमने उनसे पूछा कि आखिर वर्तमान में कांग्रेस की सरकार है और आप खुद कांग्रेस के पदाधिकारी हैं तो आखिर अचानक भाजपा प्रवेश करने के पीछे पार्टी से क्या नाराजगी है तो उन्होंने बताया की कांग्रेस पार्टी के द्वारा हम जैसे कार्यकर्ताओं को बिल्कुल भी सम्मान नही दिया जाता है।वहीँ क्षेत्र के गरीबों का हक भी पार्टी के नेताओं के द्वारा मारा जाता दिख रहा है जहां उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान राशि तक कि यहां बन्दरबाँट कर दी जाती है।और गरीबों का हक मार कर यह राशि सम्पन्न परिवारों को दी जा रही है।वहीं नवीन तहसील की मांग में सन्ना मुख्यालय के व्यापारियों ने भी बहुत सहयोग किया था परन्तु मुख्यालय का भूमिपूजन विधायक के द्वारा मनमाना सन्ना पंचायत छोड़ दूसरे पंचायत में किया गया जिससे मैं काफी दुखी हुआ और ऐसे ही कारणों के कारण मेरा कांग्रेस पार्टी से मन हट गया और मैं भाजपा प्रवेश कर लिया।
आपको यह भी बताना जरूरी है कि बीते कुछ दिन पहले भी कांग्रेस पार्टी के एक नेता के बेटे ने सन्ना में कांग्रेस छोड़ भाजपा प्रवेश किया था।अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्या कारण है कि कार्यकर्ता नेता पदाधिकारी 3 सालों के अंदर में ही कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़ने को मजबूर होते दिखने लगे हैं?