जशपुरनगर:- कहा जाता है कि व्यक्ति उम्र से बुजुर्ग नहीं होता है बल्कि अपनी सोंच से होता है और इस कहावत को सिद्ध करते हुए देश की राजनीति के दो प्रमुख नेताओं को देखा जा सकता है।जहां एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 72 वर्ष की अवस्था मे न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी अपनी कार्यशैली से चर्चा में हैं वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं हिन्दुवादी नेताओं में गिने जाने वाले कद्दावर आदिवासी नेता जनजातिय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत भी 72 वर्ष की अवस्था में देश के 75 वर्ष पूर्व के मुद्दे *डिलिस्टिंग* को लेकर आकाश पाताल एक किए हुए हैं।
विदित हो कि श्री भगत प्रदेश में अपने अनथक दौरों के बारे में जाने जाते हैं और उनकी इसी मेहनत को देखते हुए वनवासी कल्याण आश्रम ने अपने अनुसांगिक संगठन जनजातिय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक का दायित्व दो वर्ष पूर्व उन्हें सौंपा है। दायित्व मिलते ही अल्पसमय में ही मंच के *डिलिस्टिंग* के मुद्दे को श्री भगत ने देश के 12 करोड़ से भी अधिक जनजातिय समाज के बीच न केवल पहुचाया है बल्कि उसे अब अंतिम रूप देने की स्थिति में ले आ चुके हैं।
श्री भगत के इसी मेहनत का परिणाम है कि मंच के मुद्दे के विरोध में ईसाइयों के द्वारा अलग संगठन तैयार कर मुद्दे का सीधा विरोध किया जा रहा है।हद तो तब हो गई जब श्री भगत का हाल ही में जो प्रोटोकाल जारी हुआ है जिसमें वे अपने दो दिन की यात्रा में छतीसगढ़ और उत्तरप्रदेश के आठ स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेंगे।विदित हो कि श्री भगत उत्तरप्रदेश के चुनार में जनाजतीय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय प्रशिक्षण वर्ग में बतौर राष्ट्रीय संयोजक के रूप में शिरकत करने जा रहे हैं।वहीं बताया जा रहा है कि पूर्व मंत्री उत्तरप्रदेश के सोनभद्र जिले में भी कई आम सभा करने वाले हैं।हालांकि इनके द्वारा अन्य प्रदेशों में भी बढ़ चढ़ कर भाग लेना और आम सभा इन दिनों जशपुर शहर में भी काफी सुर्खियों में है।