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*डीलिस्टिंग आंदोलन के जनक बाबा कार्तिक उरांव की पुण्य तिथि 8 दिसंबर को सिनगी दई कैली दई हिंदू उरांव सामाजिक भवन में सभा का आयोजन किया गया और श्रद्धांजलि दी गई…*

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जशपुरनगर। जशपुर के सिनगी दई कैली दई हिंदू उरांव सामाजिक भवन तेतरटोली में डीलिस्टिंग आंदोलन के जनक बाबा कार्तिक उरांव की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया ।इस अवसर पर जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत सहित छत्तीसगढ़ झारखंड के प्रतिनिधि शामिल हुए। सभा को संबोधित करते हुए झारखंड के जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक संदीप उरांव ने कहा कि हिंदू उरांव समाज में सबसे पहले पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले में कार्तिक उरांव का चयन हुआ था लेकिन उनका परिवार इतना गरीब था कि वे उनका खर्च नहीं उठा सकते थे तब उरांव समाज के लोगों ने अपनी मुर्गी, बकरी, सुवर आदि बेच बेचकर चंदा इकट्ठा करके उन्हें पढ़ने के लिए विदेश भेजे थे।और जब कार्तिक उरांव वापस आए तो उन्हें यह दर्द हमेशा था कि वे समाज का ऋण अदा करेंगे और इसी कारण उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर समाज के कल्याण के लिए राजनीति में आए थे और 1967 में धर्मांतरित लोगों को जनजाति सूची से बाहर करने की मांग को लेकर संसद में बिल लाए थे ,जिससे रोम हिल गया था और उसके बाद उनकी संदेहास्पद मृत्यु हो गई ,जिसका कोई स्पष्टीकरण आज तक सरकार नहीं दे पाई है उन्होंने कहा कि कार्तिक बाबा समाज की लड़ाई लड़ते हुए शहीद हो गए।हमें उनके सपनो को पूरा करना है।इस अवसर पर गणेश राम भगत ने समाज को डीलिस्टिंग आंदोलन को लेकर पूरी शक्ति से आगे आने का आह्वान किया और कहा कि मार्च के महीने में डीलिस्टिंग आंदोलन को लेकर देश भर से दस लाख लोग दिल्ली कुच करेंगे और संसद का घेराव करेंगे।इस अवसर पर करुणा भगत,अंजू भगत, सहित झारखंड और सरगुजा से आए प्रतिनिधि शामिल थे।

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