जशपुर/ पत्थलगाव में चल रहे भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में सातवें दिन कृष्ण सुदामा मिलन का प्रसंग सुनाया, कहा- जीवन में एक सच्चा मित्र जरूर बनाएं|पत्थलगाव के पुरानी बस्ती में चौधरी परिवार के द्वारा भागवत कथा का आयोजन किया गया है जिसमें भागवत कथा वाचक आचार्य अशोक महराज जी द्वारा बताया गया कि मित्रता भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा की तरह होनी चाहिए भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सातवें दिन कथा व्यास आचार्य अशोक महराज ने कृष्ण सुदामा मिलन का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि संसार में सुदामा-कृष्ण के सबसे अनोखे भक्त रहे हैं। वह जीवन में जितने गरीब नजर आए, उतने वे मन से धनवान थे। उन्होंने अपने सुख व दुखों को भगवान की इच्छा पर सौंप दिया था। श्रीकृष्ण और सुदामा के मिलन का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।उन्होंने सुदामा चरित्र का बखान करते हुए कहा कि संसार में मित्रता भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा की तरह होनी चाहिए। वर्तमान समय में स्वार्थ के लिए लोग एक-दूसरे के साथ दोस्ती करते हैं, जिसके बाद कार्य निकल जाने पर एक-दूसरे को भूल जाते हैं। इसलिए अपने छोटे से जीवन में प्राणी को परमात्मा से रिश्ता जरूर बनाना चाहिए, क्योंकि परमात्मा से ही बना रिश्ता प्राणी को मोक्ष की तरफ ले जाएगा।
साथ ही उसके जीवन में आने वाले सभी कष्ट भी आसानी से दूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सुदामा ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपने सखा श्रीकृष्ण का चिंतन और स्मरण नहीं छोड़ा। ऐसे में श्रीकृष्ण की कृपा उनके ऊपर हो गई। वहीं उन्होंने कहा कि एक सच्चा मित्र जरूर बनाना चाहिए जो विपरीत परिस्थितियों में भी साथ दे सके। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता से हर किसी को सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब सुदामा भगवान श्रीकृष्ण से मिलने आए तो उन्होंने सुदामा के फटे कपड़े नहीं देखे। बल्कि मित्र की भावनाओं को देखा। मनुष्य को अपना कर्म नहीं भूलना चाहिए। इस दौरान चौधरी परिवार के साथ शहर एवं आस पास के गांव से भी श्रद्धालु भागवत कथा में शामिल रहे।प्रेमभाव से किया प्रार्थना व्यर्थ नहीं महाराज ने इन 7 दिनों तक भगवान श्रीकृष्ण के वात्सल्य प्रेम, असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा किए गए विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया। ब्राह्मण नियम से पाठ करें तो करोड़ों वर्ष पहले जो मंत्र की ताकत थी वह आज भी दिखाई देगी। विशेष समुदाय के लोगों ने कश्मीर को गंदा कर दिया। आतंकवाद क्षेत्र बनने से 5.50 लाख ब्राह्मण कश्मीर छोड़ने को मजबूर हुए फिर भी उन्होंने अपने हाथों में हथियार नहीं उठाया।