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*आयोजन:– वनमाली सृजन केंद्र में रचनाधर्मियों के लिए सांस्कृतिक काव्य–संध्या का हुआ आयोजन, जिले के काव्यकारों द्वारा दी गई स्वरचित प्रस्तुति………………*

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जशपुरनगर। भारत भर में रचनाधर्मियों को मंच उपलब्ध करने के उद्देश्य से-विश्वरंग के अंतर्गत साहित्य ,कला, संस्कृति एवं सृजन के लिए समर्पित वनमाली सृजन पीठ की बिलासपुर शाखा से संबंधित वनमाली सृजन केंद्र जशपुर में सांस्कृतिक काव्य-संध्या का आयोजन शासकीय राम भजन रॉय एन ई एस स्नातकोत्तर महाविद्यालय जशपुर के स्वर्ण जयंती हॉल में सम्पन्न हुआ। ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भूतपूर्व प्राचार्य डाइट एवम अंचल के वरिष्ठ शिक्षाविद विजय शंकर ओझा विशिष्ट अतिथि के रूप में विद्वान डॉ अजय शर्मा जी एवम सह सरंक्षक बी आर भारद्वाज कवि अनिल सिंह उपस्थित थे।जिसमें प्रख्यात साहित्यकार जगन्नाथ प्रसाद चौबे ”वनमाली”जी के जीवन दर्शन पर आधारित रचनाओं पर विमर्श के साथ ही जशपुर के काव्यकारों द्वारा स्वरचित प्रस्तुति की गई।
शहर के कला पक्ष से जुड़े कलाकारों का संस्कृतिक पक्षों की भी प्रस्तुति के अन्तर्गत गणेश स्तुति सामूहिक नृत्य गीत आदि प्रस्तुत किये गए।सर्वप्रथम मुख्य अतिथि के हाथों मंचस्थ अतिथियों सहित मां सरस्वती का पूजन अर्चन किया गया।सृजन केंद्र के सरंक्षक डॉ विजय रक्षित ने कहा कि कोविड के दौरान हम ऐसे सामूहिक कायक्रम लगभग नही हो पा रहे थे लेकिन अब सावधानी के साथ हम साहित्यिक ,सांस्कृतिक कार्यक्रमो को सुचारू रूप से सम्पादित कर सकेंगे। लोकतांत्रिक मूल्यों के समावेशी पत्रिका वनमाली के भाग 1 और 2 पर चर्चा के साथ ही हिंदी से जुड़े शहर के कथाकार एवं काव्य कारों की प्रस्तुति इस कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण था।कार्यक्रम में शहर के साहित्य विधा से जुड़े साहित्य एवं सांस्कृतिक विधा से जुड़े नागरिकों की उपस्थिति रही।,एकीकृत मध्य प्रदेश के मूर्धन्य कथाकारों में श्री वनमाली जी का अमूल्य योगदान रहा है ।मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों एवम विद्यालयों में उनकी लिखी कहानी एवम अन्य संग्रह पढ़ाये जाते रहे हैं। संपूर्ण भारत में वनमाली सृजन पीठ एवं वनमाली सृजन केंद्रों की स्थापना–भोपाल, बिलासपुर,खंडवा, दिल्ली, वैशाली, हजारीबाग, लखनऊ में वनमाली सृजन पीठ की स्थापना की गई है। देश मे 150 से अधिक सृजन केंद्र स्थापित हैं। इसके तहत छत्तीसगढ़ के सीमांत जिला जो जनजातीय बाहुल्य जिला है,जनजातीय संस्कृति एवम बहुलवाद को सरंक्षित रखने के उद्देश्य से वनमाली सृजन केंद्र की स्थापना की गई है।इस सृजन पीठ का मुख्य उद्देश्य . युवा रचनाकारों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करना है।
. वनमाली राष्ट्रीय कथा सम्मान, युवा कथा सम्मान, युवा कथा आलोचना सम्मान, साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान।. पुस्तक यात्राओं का आयोजन,लेखक से मिलिए, पुस्तक से मिलिए के अंतर्गत लेखकों एवं पुस्तकों पर केंद्रित बातचीत के माध्यम से लेखकों को प्रकाश में लाना है।
. सृजन केंद्र जशपुर के संयोजक एम जेड यू सिद्दीकी ने कहा कि जशपुर केंद्र लगातार इस तरह के आयोजन साहित्य ,संस्कृति एवम रचनात्मक क्षेत्रों से जुड़े आयोजन करता रहेगा। जशपुर केंद्र के अध्यक्ष डॉ मिथलेश कुमार पाठक ने वनमाली सृजन पीठ के उद्देश्य एवम प्रख्यात सहियकार् जगन्नाथ चौबे ”वनमाली**जी के व्ययंग नमस्ते का वाचन के साथ ही बताया कि
श्री वनमाली 40 से 60 के दशक में सक्रिय एकीकृत मध्यप्रदेश के सहित्यकार् रहे हैं। 1934 में उनकी पहली कहानी ‘जिल्दसाज़’ कलकत्ते से निकलने वाले ‘विश्वमित्र’ मासिक में छपी और उसके बाद लगभग पच्चीस वर्षों तक वे प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं ‘सरस्वती’, ‘कहानी’, ‘विश्वमित्र’, ‘विशाल भारत’, ‘लोकमित्र’, ‘भारती’, ‘माया’, ‘माधुरी’ आदि में नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे।
आचार्य नंददुलारे वाजपेई ने अपने श्रेष्ठ कहानियों के संकलन में उनकी कहानी ‘आदमी और कुत्ता’ को स्थान दिया था।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम वनमाली जी के सम्मान में छत्तीसगढ़ी लेखन से जुड़े राजेंद्र प्रेमी ‘सरस’द्वारा स्वरचित गीत तोर जय होए वनमाली तोर जय होए प्रस्तुत किया गया,शहर के रचनाकार अनिल सिंह ने रिश्ते कन्हा बदलेंगे लोग बदल गए,,वरिष्ठ काव्यकार एम जेड यू सिद्दीकी द्वारा कशक होती है तेरे चेहरे को देखकर,वरिष्ठ विद्वान डॉ अजय शर्मा द्वारा-मरकर कहीं और जन्म नही पाते,तेजस्विनी ग्रुप के बच्चों द्वारा गणेश स्तुति पर नृत्य की प्रस्तुति,काव्य लेखिका अनिता गुप्ता द्वारा सज धज कर –चल रहे ,नए रचनाकार वस्फी सिद्दीकी द्वारा मार्मिक कविता मैन पूछा पेंड से कैसे हो,कवियत्री सरस्वती चौहान द्वारा ‘कत्लेआम हो जाये,युवा रचनाकार पुष्पेंद्र शुक्ल द्वारा आओ सुनाउँ सुनाऊं मन की –‘,वीर रस के भावों से भरे कवि जगबंधु यादव ने सतयुग में युद्ध था,शुभम यादव ने कर्म पर विश्वास,और मुकेश कुमार द्वारा शिक्षित बेरोजगार भटक रहा,गायत्री आलोक स्वर्णकार ने सँवारा है किसी का–,धनेश्वर द्रवंगन द्वारा -हरित चादर से लिपटी,वसीम द्वारा –मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारे-,सरिता नायक-दिल्ली सर का तसज़ रहे ,वर्षा सिंह -युध्व्रीर जो,गीतांजली सिंह –मेरा क्रोध,मेरी
मेरा प्रेम मेरीउम्मीद,दिव्या रानी तिर्की–देखा तुमसा भी नही जैसी उम्दा प्रस्तुति की गई,वंही दूसरी ओर रफी,किशोर,लता, आशा,जैसे देश की आवाज में जशपुर कलाकार ग्रुप के वरिष्ट रंगकर्मी संजीव वर्मा सहित ,प्रभात मिश्र,रमा जावलकर,वंशिका रजक,विभावती,,रेणुका ,दुर्गा कुमार,,शैलेन्द्र ,संजय दास,सुनील चौहान,ओजस्वी जावलकर मिथलेश कुमार द्वारा सुमधुर संगीत के साथ लोकप्रिय गीतों की प्रस्तुति की गई।कार्यक्रम के अंत मे समाजसेवी संगठन जिन्होंने समाजसेवा के माध्यम से मिशाल कायम करने वाले संवेदना फाउंडेशन के संजय पाठक,सरस्वती पाठक सहित उनके समूह,विमला देवी फाउंडेशन के अमित रंजन सिन्हा ,पुष्पा पाठक सहित समूह,तेजस्विनी फाउंडेशन के मधु मिश्रा एवम समूह,के साथ समाज सेवी प्रसिद्ध पर्यावरणविद शिवानन्द मिश्रा जी एवम समाजसेवा के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी सुदृढ़ उपस्थिति देने वाले रामप्रकाश पांडेय जी को वनमाली सृजन केंद्र जशपुर द्वारा सम्मान पत्र ,स्मारिका एवम सृजन पीठ द्वारा प्रकाशित एवम प्रेषित प्रतिष्ठित पत्रिकाओं को भेंट स्वरूप प्रदान किया गया।सभी प्रस्तुति करने वालों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया कार्यक्रम में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्रदान करने में वनमाली सृजन पीठ के संयोजक संजय सिंह राठौर,बिलासपुर के लेखक संजय पांडे, कवि ,साहित्यकार,संस्कृतिकर्मी, कला समीक्षक एवम शिक्षविद डॉ सतीश देशपांडे ,मध्य भारत के सुप्रसिद्ध कवि,कहानीकार,कला समीक्षक,हिंदी के समालोचक,गम्भीर चिंतक,एवम शिक्षा शास्त्री वनमाली सृजन पीठ के प्रमुख डॉ. सन्तोष चौबे का अमूल्य मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है।

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