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*अनुसूचित जनजाति वर्ग को नहीं मिल रहा है पदोन्नति का लाभ, भाजपा अजजा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन………….*

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जशपुर। अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पदाधिकारियों ने प्रदेश सरकार पर आरक्षण का लाभ नहीं देने का गंभीर आरोप लगाया है।उन्होंने कहा पदोन्नति के बाद अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारियों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।जिसको लेकर भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पदाधिकारियों ने राज्यपाल नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है।ज्ञापन देकर बताया की विगत 19 सितंबर 2022 को माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने छ ग लोकसेवा आरक्षण संशोधन अधिनियम 2012 को कांग्रेस की इस प्रदेश सरकार की लापरवाही के कारण अपास्त घोषित कर दिया है । माननीय उच्च न्यायालय के इस निर्णय से प्रदेश के जनजाति वर्ग में इस सरकार के प्रति भारी आक्रोश है । ज्ञात हो कि डॉ रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने दिसंबर 2011 में जनजाति समाज को प्रदेश में उनकी जनसंख्या के अनुपात में 32 % आरक्षण देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था और 2018 सरकार रहते तक उक्त आरक्षण प्रदान किया । उच्च न्यायालय में याचिका दायर होने के बाद भाजपा सरकार द्वारा 2018 तक जनजाति समाज के हित में मजबूती के साथ खड़ा होकर उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखते रहे हैं जिसके कारण आरक्षण यथावत रहा परंतु कांग्रेस की सरकार आने के बाद से जनजाति समाज के साथ षड्यंत्र होना प्रारंभ हुआ । माननीय उच्च न्यायालय में जनजाति वर्ग का पक्ष ठीक से रखा नहीं गया । भूपेश सरकार की विफलता के परिणाम स्वरूप माननीय उच्च न्यायालय में जनजाति समाज के खिलाफ ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय सामने आया है । इसके पूर्व भी कांग्रेस की सरकार ने अनुसूचित जनजाति वर्ग को छलने का काम किया है । छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पदोन्नति में आरक्षण का नया नियम बनाने के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 3 साल लगाए । माननीय उच्च न्यायालय में इस पदोन्नति नियम 2003 को भाजपा सरकार ने अपने पूरे 15 साल के कार्यकाल तक कानूनी चुनौती से बचा कर रखा परंतु कांग्रेस की सरकार आते ही मूल कंडिका 5 फरवरी 2019 को पास हो गई तब से लेकर अब तक पदोन्नति में आरक्षण का कोई रास्ता भूपेश बघेल की सरकार ने नहीं निकाला है । भूपेश बघेल की सरकार बनने के बाद से पदोन्नति में आरक्षण का लाभ भी अनुसूचित जनजाति वर्ग को नहीं मिल पा रहा है । कांग्रेस की सरकार अनुसूचित जनजाति वर्ग के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने में हर जगह नाकाम रही है । संवैधानिक अधिकारों के परिपालन में जब जब मामला कानूनी हुआ है तब तब भूपेश बघेल की है सरकार जनजाति वर्ग की उपेक्षा करते हुए माननीय उच्च न्यायालय में फिसड्डी साबित हुई है ।उन्होंने जनजाति समाज के अभिभावक होने के नाते जनजाति वर्ग को मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करते हुए हमारे आरक्षण पर कोई विपरीत प्रभाव ना पड़े इस बाबत प्रदेश की आदिवासी विरोधी इस सरकार को निर्देशित करने की मांग की है।

जिसमें अनुसूचित जनजाति मोर्चा के ग्रामीण मंडल अध्यक्ष राजकपूर भगत, मीडिया प्रभारी विनोद निकुंज, मैनेजर राम, गंगा राम भगत, संतन राम भगत, विकास प्रधान, अरविंद भगत नरेंद्र भगत मौजूद रहे।

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