कोतबा:- धर्मनगरी कोतबा में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन श्रीमद् भागवत का रसपान करने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। वृन्दावन से पधारी कथा वाचिका किशोरी वेदांगनी पाण्डेय ने भागवत कथा के अंतिम दिन कई प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया। इसमें ऊषा चरित्र, नृग चरित्र, वासुदेव नारद संवाद, सुदामा चरित्र प्रसंग, परीक्षित मोक्ष की कथा का बड़े ही रोचक अंदाज में वर्णन किया।भक्तमाल चरित्र में भक्त प्रहलाद व भक्त ध्रुव का प्रसंग सुनाते हुए निश्चल व निर्मल भक्ति करने का आह्वान किया।
कथा के दौरान पूज्य किशोरी जी ने श्रोताओं को भागवत को अपने जीवन में उतारने की अपील की। भक्त की साधना से खुश होकर भगवान रीझ जाते हैं। उन्होने कहा कि कलयुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा। कलियुग में जीवन के सभी पापों से मुक्ति का एक मात्र आधार भगवान की भक्ति ही है। भगवान का नाम स्मरण करने से ही भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। भगवान नाम में भारी शक्ति है। साथ ही सुदामा चरित्र के माध्यम से श्रोताओं को श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की मिसाल पेश की। समाज को समानता का संदेश दिया। इस कड़ी में पूज्य किशोरी जी ने बताया श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है, वहीं इस कथा को कराने वाले भी पुण्य के भागी होते हैं। अंतिम दिन सुखदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद् भागवत भागवत कथा का पूर्णता प्रदान करते हुए विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने सात दिन की कथा का सारांश बताते हुए कहा कि जीवन कई योनियों के बाद मिलता है और इसे कैसे जीना चाहिए के बारे में भी उपस्थित भक्तों को समझाया। सुदामा चरित्र को विस्तार से सुनाते हुए श्रीकृष्ण सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा की स्थिति को सुधारा। उन्होंने व्रत उपासना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोई ईश्वर किसी से भूखे पेट रहकर भक्ति करने को नहीं कहते हैं। मन पर नियंत्रण और नाम जाप ही इस जगत में पार लगाने के लिए काफी है। उन्होंने गो सेवा कार्य करने पर जोर दिया। सुदामा की मनमोहक झांकियो का चित्रण किया गया जिसे देखकर हर कोई भाव विभोर हो उठा। अंत में कृष्ण के दिव्य लोक पहुंचने का वर्णन किया। महाआरती के बाद महाभोग भण्डारे का वितरण किया गया। इससे पूर्व वेद मंत्रोच्चारण के मध्य हवन यज्ञ का आयोजन किया गया। देश विदेश से आए भक्तों द्वारा भागवत कथा के समापन पर हवन यज्ञ में पूर्णाहुति दी गई। इसी के साथ भागवत कथा का विश्राम हो गया।
नगर के हर घर पहुंची श्रीमद्भागवत महापुराण नगरवासियों आरती की थाल ले कर किया स्वागत
31 जनवरी को सात सिन चली श्रीमद्भागवत कथा का विराम किया गया। जिसके बाद पूर्णाहुति 1 फरवरी दिन बुधवार को सुबह 8 से 11 तक हवन पूजन कर पूर्णाहुति की गई जिसमें सैकड़ों भक्तों ने यज्ञ में आहुति डाली। जिसके बाद नाम जाप कीर्तन यात्रा निकाल पूरे नगर के हर घर मे श्रीमद्भागवत महापुरुष को लेकर हर घर घर भ्रमण किए में जिसमे संत भक्तो ने भजन गायन करते हुए पारम्परिक तरीके से कथा स्थल से 11 बजे निकल कर झिंगरेल पारा कारगिल चौक बस स्टैंड होकर मुख्य मार्ग से अघरिया पारा से परशुराम चौक राम मन्दिर गोटियाखोल से पुनः शाम 5 बजे तक नगर भ्रमण कर कथा का विश्राम विधिविधान से सम्पन्न किया गया।