जशपुरनगर। हर वर्ष की तरह अचला सूर्य सप्तमी के मौके पर भगवान सूर्य की विशेष पूजा भास्कर शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज के द्वारा श्रीबालाजी मंदिर में की गई। कोविड नियमों का पालन करते हुए एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी समाज के ही प्राणशंकर मिश्र के निधन के शोक में पूजन कार्यक्रम सादगी से हुआ। समाज के लोग इस मौके पर मंदिर में जुटे। साथ ही इस अवसर पर समाज के प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया।
अचला सूर्य सप्तमी पर सोमवार को शहर का श्री बालाजी मंदिर भगवान भास्कर के वैदिक मंत्रोच्चार से गूंज उठा। माघ शुक्ल सप्तमी तिथि को अचला सूर्य सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में इस तिथि को रथ, सूर्य, भानु, अर्क, महती व पुत्र सप्तमी भी कहा गया है। हर साल यहां के श्रीबालाजी मंदिर में अचला सूर्य सप्तमी के अवसर पर शाकद्वीपीय ब्राह्मण समाज द्वारा भगवान भास्कर की सामूहिक अराधना की जाती है। इसी कड़ी में समाज के सदस्य सुबह घरों में पूजा-अर्चना कर मंदिर में एकत्र होने लगे थे। पूजन मंडप में सबसे पहले गौरी-गणेश पूजन व कलश स्थापना के बाद नवग्रह, शोडष मातृका, सप्त घृत, पंच लोकपाल, दस दिकपाल व क्षेत्रपाल की पूजा की गई। इसके बाद समाज के अराध्य देव सूर्य की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। भगवान सूर्य का हवन सूर्य सुक्त से किया गया। हवन के बाद पूणार्हूति की गई। इसके बाद सूर्यदेव को अर्ध्य दिया गया व मंगलाष्टक का सामूहिक पाठ किया गया। पूजन, हवन व पूणार्हूति के बाद प्रसाद वितरण किया गया।
इसके बाद प्रतिभावान बच्चों के सम्मान का कार्यक्रम हुआ। जिसकी अध्यक्षता डॉ मंगलकिशोर पाठक ने की, विशिष्ट अतिथि के रूप में सुदामा मिश्रा एवं शिवानंद मिश्र मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरुआत स्वस्ति पाठक में मधुराष्टकं का पाठ करके किया। फिर12 वीं बोर्ड में सबसे अधिक अंक लाने वाले समाज के अमृत कुमार मिश्रा एवं 10 में वागीशा मिश्रा को रनिंग शील्ड देकर सम्मानित किया। इन दोनों बच्चों को मृत्युंजय पाठक की ओर से अपनी माँ की पुण्य स्मृति में 21-21 सौ रुपए नकद राशि प्रोत्साहन के रूप में दी गई। इसके अलावा रंगोली सजाने वाली बच्चियों वर्णिका पाठक, इप्शिता पाठक व स्वरा शुभि को पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया। इसके अलावा श्रीमती सुधा पाठक की ओर से समाज के पत्रकार आशीष मिश्रा को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
सूर्य सप्तमी का महत्व बताते हुए पंडित शिवानंद मिश्रा ने बताया कि सूर्य साक्षात देव हैं। उनकी अराधना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उन्होंने कामना की कि भगवान सूर्य देव सबको स्वस्थ और प्रसन्न रखें। अध्यक्षता कर रहे डॉ मंगल किशोर पाठक ने कहा कि सूर्य सप्तमी का महत्व स्वयं भगवान कृष्ण ने युद्धिष्ठर को बताया था। इस तिथि को सूर्य का व्रत करने से साल भर के रविवार व्रत का पुण्य मिलता है। सूर्य व्रत करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। विशिष्ट अतिथि सुदामा मिश्र ने कहा कि इस तिथि के बारे में मान्यता है कि इसी दिन सूर्य की प्रचंड किरणों को तराशकर देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने किरणों की ताप कम किया था। इसी दिन से भगवान सूर्य का नाम सहस्त्रांशु भी पड़ा था। अंत में समाज के अध्यक्ष पँ मनोज रमाकांत मिश्र ने आभार प्रदर्शन किया।