Site icon Groundzeronews

*विशेष साप्ताहिक संपादकीय कॉलम “झरोखा मन का”…बच्चे स्कूल जाने से क्यों कतराते हैं या रोते हैं, उसकी ये है बड़ी वज़ह, समाधान जानने के लिए पढ़ें…*

IMG 20220107 150049

– विक्रांत पाठक

बच्चों की पहली पाठशाला उसका घर होता है। जहां वे जीवन का ककहरा सीखते हैं। उसके बाद औपचारिक प्रारंभिक शिक्षा के लिए बच्चे स्कूल जाते हैं। स्कूल प्रारंभिक शिक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जहां बच्चा केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि आपसी सामंजस्य बैठाने, सहभागिता निभाने, अनुशासन में रहने एवं आत्मविश्वास बढ़ाने आदि का अनुभव प्राप्त करता है।
यह सामान्य सी बात है और यह देखने में भी आता है कि एक-दो दिन बच्चे स्कूल जाते समय रोते हैं, लेकिन उसके बाद वे स्कूल के वातावरण को एन्जॉय करने लगते हैं। वहीं, कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जो स्कूल जाने में अक्सर कतराते हैं, रोते हैं। वे स्कूल नहीं जाने के लिए कभी सिर दर्द तो कभी पेट दर्द आदि का बहाना बनाने लगते हैं। जिससे कई बार पेरेंट्स बच्चों को डांटने या मारने लगते हैं। कई बार पेरेंट्स बच्चों को आलसी, शरारती या पढ़ाई से भागने वाला बच्चा समझकर जबरन स्कूल भेज देते हैं,लेकिन इससे स्थिति और भी गंभीर बनने लगती है। बच्चा जिद्दी और चिड़िचिड़ा बनने लगता है और स्कूल जाने से और भी अधिक कतराने लगता है। बच्चों को डांटने या मारने की जगह हमें उन कारणों को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए, जिस वजह से बच्चा ऐसा व्यवहार कर रहा है। इसके लिए हमें बच्चों के मन में झांकना होगा।

*क्यों डरते हैं बच्चे*

जब बच्चे पहली बार घर से बाहर एक नए माहौल में बिना माता-पिता के स्कूल में रहते हैं,तो उनके अंदर स्वाभाविक तौर पर असुरक्षा की भावना आ जाती है। इसके अलावा अन्य कई बच्चे स्कूल जाने से इस वज़ह से भी डरते हैं क्योंकि, उन्हें अपनी क्लास में एडस्ट करने में दिक्कत आती है। वहीं, कुछ बच्चों को क्लास के किसी दूसरे बच्चे या ग्रुप से डर लगता है और वे वहां नहीं जाना चाहते। वहीं, बच्चों को कई बार स्कूल में कुछ ऐसे अनुभव आते हैं, जिससे उन्हें स्कूल जाने से डर लगने लगता है। इसके अलावा असफलता का डर, दूसरों द्वारा मजाक उड़ाने का डर और स्कूल में अन्य बच्चों की तुलना में धीमी गति से पढ़ने-लिखने जैसी स्थितियों के चलते भी बच्चे स्कूल जाने से डरने लगते हैं। ऐसे में बच्चों में स्कूल फोबिया व स्कूल एंजाइटी की समस्या होने लगती है।

*ऐसे करें समाधान*

1. अगर बच्चा पहली बार स्कूल में दाखिला लिया है, तो कोशिश करें कि स्कूल भेजने के पहले उसे उसका स्कूल दिखाएं और उसे बताएं कि यह तुम्हारा स्कूल है।यहां तुम्हे अच्छे-अच्छे दोस्त मिलेंगे, तुम्हे खूब मज़ा आएगा। स्कूल में नए माहौल के डर को बातों से दूर करने की कोशिश करें। संभव हो तो स्कूल के बाहर (सहपाठियों के घर में) उसके क्लास के अन्य बच्चों या शिक्षकों से भी उसे परिचित करा सकते हैं।
2. बच्चे स्कूल के नाम से डर रहे हैं, तो उन्हें मानसिक तौर वहां जाने के लिए तैयार करें। उन्हें स्कूल की रोचक कहानियां सुनाएं। स्कूल के खिलौनों, प्ले ग्राउंड एरिया और स्कूल की अन्य बातों को ऐसे ढंग से बताएं कि बच्चे का मन स्कूल जाने का करे।
3. सुबह बच्चों को स्कूल जाना है,तो प्रयास ये करें कि बच्चे की नींद पर्याप्त पूरी हो। 3 से 5 साल के बच्चे के लिए 10 से 12 घंटे की नींद जरूरी है। अगर आपका बच्चा दिन में सोता है, तो रात को थोड़ा लेट में सुला सकते हैं लेकिन अगर बच्चा दिन में नहीं सोता है,तो उसे रात को 9 बजे तक सुला दें। बच्चे की नींद अगर अच्छी तरह पूरी होगी तो सुबह वह फ्रेश व खुश रहेगा।
4. लंच बॉक्स में फेवरेट और हेल्दी फूड देने का प्रयास करें।बच्चे को जो पसंद हो वो खाना उसके लंच बॉक्स में रखें और साथ ही उसे यह बताना न भूलें कि उसकी पसंद का खाना पैक किया है। आप बच्चे का कोई छोटा पसंदीदा खिलौना भी स्कूल बैग में रख सकते हैं, इससे बच्चे को इमोशनली भी अच्छा लगता है और वह उस खिलौने को देखकर खुश भी होगा।
5. सुबह बच्चों से प्यार से पेश आएं, उस पर अनावश्यक दबाव न डालें। अगर सुबह बच्चे का मन ज्यादा कुछ खाने का नहीं है, तो जबरन न खिलाएं, बल्कि बेहद हल्का नाश्ता या स्नैक्स दें। उसके स्कूल ड्रेस, स्कूल बैग की तैयारी रात में ही कर लें। सुबह मोबाइल फोन या म्यूजिक सिस्टम में बच्चे की पसंद का बालगीत लगाकर बच्चे का मन सुबह स्कूल जाने के पहले खुशनुमा बना सकते हैं।
6. अगर बच्चा बहुत ही ज्यादा आनाकानी कर रहा हो, तो धैर्य से काम लें। उसे जबरन स्कूल भेजने की बजाए प्यार से समझाएं। हो सके तो खुद ही स्कूल छोड़ने व लाने जाएं। इससे बच्चा थोड़ा सेक्योर फील करता है। साथ ही शुरु-शुरु में उसका मन खुश रखने के लिए स्कूल से लौटने पर उसकी पसंद का स्नैक्स, आइस्क्रीम या अन्य चीजें दें।

Exit mobile version