कोतबा/जशपुर। :- लैलूंगा से लवाकेरा तक फिर से बन रही सड़क निर्माण में भारी कोताही बरती जा रही है।मुरुम की जगह मिट्टी युक्त मुरुम डालकर लीपापोती की पिछले बार की तरह इस बार भी गुणवत्ताविहीन सड़क निर्माण किया जा रहा है। और तो और जंगल किनारे वन भूमि से सटे जमीन का अवैध उत्खनन किया जा रहा है।इससे अवैध कब्जा धारी लोग सक्रिय होकर वन भूमि को अपना कब्जा बनाने ठेकेदारों के इस्तेमाल कर रहे है।
विदित हो कि पूर्व में इस सड़क निर्माण में सरकार ने जनता के 44 करोड़ की लागत से सड़क निर्माण करवाया था जो महज साल भर बाद ही गड्ढों में तब्दील हो गई थी। जिसको लेकर अनेक सवाल खड़े हुए थे। तब जाकर अम्बिकापुर की चलित लैब ने जाँच किया था जिसमे पाया गुण था कि मुरुम की जगह मिट्टी का उपयोग करने से सड़क जगह जगह से धस गई थी। वही गुणवत्ताविहीन निर्माण होने से पुल पुलिए भी धस गए थे। डामर तो इस सड़क से ऐसे गायब हुवा जैसे लगा ही न हो। फलस्वरूप इलाके की जनता बरसात में कीचड़ तो बाकी दिनों धूल धकड़ से परेशान रही। खराब सड़क ने कई जाने भी निगल ली बावजूद लोकनिर्माण विभाग की मिलीभगत से उसी ठेकेदार को इस बार आधी लागत 22 करोड़ में 40 किलोमीटर की सड़क निर्माण कार्य सौप दिया गया है। सड़क निर्माण की शुरुआत हुए सप्ताह भी नही हुवा है और ठेकेदार व लोकनिर्माण विभाग मनमानी पर उतारू हो गया है। सड़क निर्माण में लगने वाले मुरुम की जगह ग्राम पंचायत बुलडेगा सहित अन्य जगह के जंगल किनारे की वन भूमि से अवैध उत्खनन कर मिट्टी का परिवहन पोकलेन व डंफरो से भारी मात्रा में किया जा रहा है। विभाग तो आँखे मूंदे बैठा ही है लेकिन प्रशासन शाशन व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी मौन स्वीकृति दिए हुए है।ऐसे ही चलता रहा तो 22 करोड़ की लागत से दोबारा हो रहे सड़क निर्माण भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगी। चूंकि इससे पहले 64 करोड़ की लागत से जशपुर जिले को रायगढ़ जिले व ओड़िसा से जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क लैलूंगा लवाकेरा व कोतबा बागबहार सड़क का निर्माण भी इन्ही ठेकेदारों द्वारा किया गया था। जिसकी गुणवत्ता पर स्थानीय जनप्रतिनिधि की लगातार शिकायत के बाद संभागीय कार्यालय अम्बिकापुर की चलित जाँच लैब ने दोनों सड़को का जाँच किया जिसमें दोनों ही सड़को को जांच टीम ने गुणवत्ता विहीन निर्माण होना पाया था। वही जाँच में ये बाते भी सामने आई थी कि निर्माण एजेंसी ने बेस में पर्याप्त मात्रा में ठोस मेटेरियल नही डाला था। गिट्टी युक्त जीएसबी मेटेरियल के उपयोग की जगह मिट्टी का उपयोग किया था। मुरुम कम मात्रा में डाला था और डामर की मोटाई व क्वालिटी भी सही नही रखी थी जिसकी वजह से ये दोनों ही मुख्य सड़के साल भर में ही जवाब दे दी थी। जिसके बावजूद भी अभी तक गुणवत्ता विहीन निर्माण के मामले में शाशन प्रशासन व लोकनिर्माण विभाग द्वारा मामले में किसी पर कोई कार्यवाही नही कि गई है। बल्कि उसी निर्माण एजेंसी पर विभाग मेहरबान हो कर इस सकड़ का रिटेंडर कर 22 करोड़ की लागत से निर्माण कार्य सौप दिया है। जबकि लोगो को ये विश्वास था कि मामले में जाँच के बाद ठेकेदार से मिलीभगत कर लापरवाही करने वाले इंजीनियर अधिकारी व कार्य एजेंसी पर कोई कार्यवाही की जाएगी। लेकिन जनता की मंशा पर पानी फेरते हुए विभाग निर्माण एजेंसी पर ही मेहरबान नजर आ रहा है।
सुरेश गुप्ता,एसडीओ वन विभाग पत्थलगांव ने इस संदर्भ में कहा कि आपके माध्यम से जानकारी मिली है। यदि वन क्षेत्र में किसी प्रकार का अवैध उत्खनन किया जा रहा है तो तत्काल संज्ञान में लेकर जाँच कार्यवाही की जाएगी।
ई ई लोकनिर्माण विभाग संभाग पत्थलगांव
वर्तमान में साईड सोल्डर 6 इंच मोटाई उठाने में मिट्टी मुरुम का उपयोग किया जाना है यदि गुणवत्ता विहीन मिट्टी मुरुम का उपयोग किया जा रहा है। तो जाँच की जायेगी व गुणवत्तापूर्ण निर्माण करवाया जाएगा।