जशपुर, सन्ना(राकेश गुप्ता)पूरे प्रदेश में इन दिनों पहाड़ी कोरवा समाज के नाम पर राजनीति रोटी सेकी जा रही है।क्या सत्ता दल और क्या विपक्ष कोई भी इस मामले में कोई कसर नही छोड़ रहा है।आपको बता दें कि छतीसगढ सरकार और जिला प्रशासन एक तरफ तो पहाड़ी कोरवाओं को चतुर्थ वर्ग श्रेणी में नौकरी देकर अपनी पीठ खुद थपथपा रहा है वहीं दूसरी तरफ पहाड़ी कोरवा नौकरी छोड़कर वापस घर लौट रहे हैं।
इस पूरे मामले की जानकारी हमारे ग्राउंड जीरो न्यूज को तब हुई जब पहाड़ी कोरवा समाज कल्याण समिति के सदस्यों ने दिनांक 11 /1/2022को कलेक्टर जशपुर को ज्ञापन देकर उन 13 पहाड़ी कोरवाओं की सूची देते हुए उन्हें पुनः नौकरी पर बहाल करने की मांग की है। समिति के अध्यक्ष गोविंद राम पहाड़िया ने बताया कि जिला प्रशासन के द्वारा पिछले कुछ वर्षों से चतुर्थ वर्ग में पहाड़ी कोरवाओं को सीधे भर्ती की योजना शुरू किया है, जिसके तहत कई पहाड़ी कोरवाओं को नौकरी भी दी गई थी। लेकिन रोज कमाने और रोज खाने की परम्परा वाले पहाड़ी कोरवा समाज को भर्ती के बाद से कई कई महीनों तक वेतन नही दिया गया।जिसका खामियाजा यह देखने को मिला कि उनके सामने गम्भीर आर्थिक संकट उतपन्न हो गया, परिणाम स्वरूप पहाड़ी कोरवा नौकरी छोड़कर वापस अपने खेतों की और लौट गये और कई लौटने के कगार पर हैं।उन्होंने बताया कि इस सबंध में समाज का प्रतिनिधि मंडल ऐसी गम्भीर समस्याओं पर चर्चा करने के लिए कलेक्टर जशपुर से मिलने गया था परन्तु उन्हें यह बताया गया कि कलेक्टर जशपुर वर्तमान में कोरोना गाइडलाइन के वजह किसी से नहीं मिल रहे हैं।तब मजबूरन उन्हें आवक-जावक शाखा में ही ज्ञापन सौंप कर वापस लौटना पड़ा। इसके अतिरिक्त प्रतिनिधियों ने यह भी बताया कि पहाड़ी कोरवाओं की कृषि भूमि पर दबंगो के द्वारा जबरन कब्जा कर पहाड़ी कोरवाओं को उनकी जमीन से बेदखल कर देने के सम्बंध में भी उन्होंने ज्ञापन सौंपा है उस पर भी संज्ञान लेने की मांग की है। जिसकी प्रतिलिपि उनके द्वारा प्रदेश के कद्दावर आदिवासी नेता पूर्व मंत्री और अखिल भारतीय जनजातिय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत को भी सौंपा है।जिस पर पूर्व मंत्री श्री भगत ने बताया कि जल्द ही राष्ट्रीय जनजातिय आयोग नई दिल्ली की टीम पहाड़ी कोरवाओं की विभिन्न समस्याओं पर विचार करने जशपुर आ रही है।उनके सामने यह विषय भी रखा जाएगा तथा उन्होंने यह भी कहा कि जिले में पहली बार जनजातिय वर्ग के विभिन्न समस्याओं पर विचार के लिए राष्ट्रीय आयोग की टीम जशपुर पहुँच रही है।इस अवसर पर जिले के विभिन्न जनजातियों के प्रतिनिधि भी उपस्थित होकर अपनी समस्या आयोग के समक्ष रख सकते हैं।
बड़ी बात तो यह है कि आखिर जिले में ही नही बल्कि प्रदेश भर में हर नेता इन दिनों पहाड़ी कोरवा समाज के नाम पर राजनीति रोटियां सेकती हुए देखे जा रहे हैं।सत्ता दल के विधायक जहां एक ओर पहाड़ी कोरवा समाज के लोगो को नौकरी देने की बात अपने हर भाषण में करते देखे जाते हैं और सरकार की वाह-वाही लूटा जाता है।दूसरी ओर पहाड़ी कोरवा समाज के साथ इस प्रकार का अन्याय कहीं ना कहीं बड़ा सवाल खड़ा करता है।हालांकि इन्ही सभी मामलों को पहाड़ी कोरवा समाज के अगुवा और प्रतिनिधि मण्डल लगातार उठा रहे हैं।