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*शैक्षणिक भ्रमण में स्टूडेंट्स ने जाना प्रकृति का महत्व,इस पक्षी को देखकर हैरान रह गए नन्हे बच्चे…*

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जशपुरनगर। शहर के डीपीएस के एल केजी से क्लास 2 तक के नन्हे बच्चों को शैक्षणिक भ्रमण के तहत वामदेव नगर गम्हरिया के आश्रम ले जाया गया। वहीं कक्षा 6 वीं से 11 वीं तक के विद्यार्थियों को भी स्कूल प्रबंधन की ओर से लावा नदी पर बने डूमरटोली एनिकट में शैक्षणिक भ्रमण कराया गया।
इस दौरान बच्चों को शिक्षकों ने प्रकृति, पारिस्थितिक तंत्र के मानव जीवन पर प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही बच्चों ने इस भ्रमण में पिकनिक (वनभोज) का भी मजा लिया। यह भ्रमण कार्यक्रम स्कूल के एमडी ओमप्रकाश सिन्हा एवं श्रीमती सुनीता सिन्हा के निर्देश पर आयोजित किया गया था।
अघोर आश्रम गम्हरिया में बच्चों को विभिन्न वनस्पतियों के बारे में जानकारी दी गई। वहां नन्हे बच्चे विशाल आकार के एमू पक्षी को देखकर हैरान रह गए। एनिकट में गए बच्चों को बताया गया कि कैसे यहां से पानी की सप्लाई शहर तक की जाती है, साथ ही उन्हें जल संरक्षण के लिए भी प्रेरित किया गया।
स्कूल के एमडी ओमप्रकाश सिन्हा ने बताया कि शिक्षा का एक आयाम पर्यटन शिक्षा भी होता है। प्राचीन काल की शिक्षण पद्धति में विजुअल पर अधिक फोकस किया जाता था। आज की आधुनिकतम शिक्षण प्रणाली में भी विद्यार्थी वर्ग को प्रकृति से जितना जोड़ा जाएगा उतना ही उनके कौतुहल में अधिकाधिक वृद्धि होगी। इसी उद्देश्य से विद्यार्थियों को जंगल व नदियों के बीच सहित धार्मिक, सांस्कृतिक केंद्रों में ले जाकर पारिस्थितिक तंत्र, पर्यावरण का जीवन पर प्रभाव सहित कई विषयों के बारे में अवगत कराया गया। इसके अलावा कई प्रकार की वनस्पतियों के बारे में भी विद्यार्थियों को जानकारी दी गई। इस भ्रमण कार्यक्रम में अकादमिक प्राचार्य गार्गी चटर्जी, प्रशासनिक प्राचार्य जयंती सिन्हा एवं उप प्राचार्य एरिक सोरेंग के मार्गदर्शन में अन्य शिक्षक शामिल रहे।

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खेलों का भी लिया मजा

इस शैक्षणिक भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने रोचक खेलों का भी मजा लिया। शैक्षणिक भ्रमण व पिकनिक जाने वाले विद्यार्थियों ने स्थल पर फुटबॉल, क्रिकेट सहित अंताक्षरी व अन्य पारंपरिक खेलों का भी भरपूर मजा लिया। साथ ही उन्होंने आपस में ग्रुप बनाकर प्रश्नोत्तरी व अन्य शिक्षाप्रद खेलों के माध्यम से अपने ज्ञान में भी बढ़ोत्तरी की। पालकों व अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन के इस पहल की सराहना की। अभिभावकों का कहना था कि ऐसे टूर बच्चों को पढ़ाई के दबाव से मुक्त करते हुए भी उन्हे कई शिक्षा प्रदान करते हैं। ऐसे शैक्षणिक भ्रमणों से विद्यार्थियों में नई उर्जा का संचार होता है।

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