Jashpur
*कांग्रेस सरकार मे प्रशासनिक आतंक का शिकार हुई महिला सरपंच को चार साल बाद मिला न्याय, झूम उठा पूरा पंचायत मेडम सीएम ने सम्मान के साथ कराया दोबारा ताजपोशी*
Published
1 year agoon

जशपुरनगर। कांग्रेस सरकार के दौरान प्रशासनिक आतंक और एक अधिकारी के व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का शिकार हो कर,बेकसूर होते हुए भी 6 माह तक जेल की नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस दौरान पति और दो छोटे छोटे बच्चो पर क्या बीती होगी, इसका अनुमान लगाया जा सकता है. चार साल के संघर्ष के बाद ज़ब, महिला सरपंच को न्याय मिला तो पूरा पंचायत झूम उठा और उनको, सरपंच के रूप मे दोबारा कार्यभार ग्रहण कराने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्म पत्नी कौशयला देवी, पंचायत भवन पहुंची. इस दौरान उन्होंने, भावुक हो रही चन्द्रकला भगत को सांत्वना दिया और कांग्रेस पर भी जमकर भड़की. श्रीमती साय ने कहा कि चंदकाल भगत जैसी सीधी सरल और ईमानदार महिला सरपंच को सत्ता का दुरूपयोग कर, प्रताड़ित करने की क़ीमत कांग्रेस को चुकाना पड़ा है. उन्होंने कहा की विधान सभा चुनाव मे मिली करारी पराजय कांग्रेस के लिए एक सबक है कि भविष्य मे नारी शक्ति का अपमान ना करें. दरअसल, कांसाबेल जनपद के ग्राम पंचायत दोकड़ा की महिला सरपंच चन्द्रकला भगत और उनके परिवार की मुसीबत उस समय शुरू हुई ज़ब सरगुजा संभाग के एक उच्च अधिकारी के इशारे पर उनके खिलाफ झूठी शिकायत की गईं. इस शिकायत मे चन्द्रकला भगत पर, कोरोनाकाल मे कोरंटाइन सेंटर के संचालन को बाधित करने और शौचालय निर्माण मे वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया था. शिकायत मे बिना कारण बताओ नोटिस जारी किये, जनपद पंचायत कांसाबेल जनपद पंचयात के तात्कालीन सीईओ ने चंदकला भगत को सरपंच पद से ना केवल निलबित कर दिया अपितु अपने उच्च अधिकारी को खुश करने के लिए चन्द्रकला भगत के खिलाफ कांसाबेल थाना मे एफआई आर भी दर्ज कर दिया.पुलिस प्रशासन ने भी न्याय और क़ानून को ताक मे रख कर महिला सरपंच और उनके परिवार को परेशान करना शुरू कर दिया. इस बीच चन्द्रकला भगत कि अपील पर, बगीचा एसडीएम न्यायालय ने जनपद पंचायत कांसाबेल के सीईओ के निलंबन के आदेश को स्थगित कर दिया. लेकिन अधिकारी ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए इस आदेश को भी रुकवा दिया. परिवार को पुलिसिया आतंक से बचाने के लिए चंदकला भगत ने आत्म समर्पण कर दिया और 6 माह तक जेल मे रही. आखिर मे उच्च न्यायालय ने, उन्हें जमानत दी. इस बीच, एसडीएम न्यायालय के स्थगन आदेश के विरुद्ध अतिरिक्त कलेक्टर के न्यायालय ने सुनवाई करते हुए, आदेश को निरस्त कर दिया. इसके बाद, एसडीएम बगीचा के आदेश पर, चन्द्रकला भगत को, पूरे सम्मान के साथ, उत्सवी माहौल मे, सरपंच पद का दायित्व दोबारा सौपा गया.
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