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*आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है,डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की जयंती आईसेक्ट कम्प्यूटर संस्थान कोतबा में बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया….*

कोतबा/जशपुर। भारत के द्वितीय राष्ट्रपति प्रख्यात शिक्षाविद महान विचारक भारत रत्न से सम्मानित डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की जयंती आईसेक्ट कम्प्यूटर संस्थान कोतबा में बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया। इस दौरान यहां अध्यनरत स्टूडेंट्स के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से संस्था के प्रिंसिपल दुर्योधन यादव, श्रीमती गंगोत्री यादव, गोविंद, प्रकाश, पप्पू यादव सहित अन्य लोग शामिल हुये।
संस्था के प्राचार्य दुर्योधन यादव ने उनके जीवनी पर प्रकाश डालते हुये बताया कि आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है. वे दर्शन शास्त्र का भी बहुत ज्ञान रखते थे। उन्होंने भारतीय दर्शनशास्त्र में पश्चिमी सोच की शुरुवात की थी। राधाकृष्णन प्रसिद्ध शिक्षक भी थे, यही वजह है, उनकी याद में हर वर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। बीसवीं सदी के विद्वानों में उनका नाम सबसे उपर है। वे पश्चिमी सभ्यता से अलग, हिंदुत्व को देश में फैलाना चाहते थे। राधाकृष्णन जी ने हिंदू धर्म को भारत और पश्चिम दोनों में फ़ैलाने का प्रयास किया। वे दोनों सभ्यता को मिलाना चाहते थे, उनका मानना था कि शिक्षकों का दिमाग देश में सबसे अच्छा होना चाइये, क्यूंकि देश को बनाने में उन्हीं का सबसे बड़ा योगदान होता है।
श्रीमती गंगोत्री यादव ने बताया कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन को मानक उपाधियों से सम्मानित किया गया. साल 1949-1952 तक वह मास्को में भारत के राजदूत रहे और इसके तुरंत बाद साल 1952 में उन्हें भारत का पहला उपराष्ट्रपति बनाया गया. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।

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