जशपुरनगर. दिव्यांग आवासीय प्रशिक्षण केंद्र की छात्राओं के परिजन ने राजीव गांधी शिक्षा मिशन पर कई गम्भीर आरोप लगाए हैं। छात्राओं के परिजन ने इसके लिए बाकायदा एक ज्ञापन भी सौंपा है। ज्ञापन में कहा गया है कि जिला मुख्यालय जशपुर नगर में जिला प्रशासन के द्वारा डी ० एम ० एफ ० मद की राशि से राजीव गांधी शिक्षा मिशन जशपुर नगर के माध्यम से समर्थ दिव्यांग आवासीय प्रशिक्षण केन्द्र का संचालन पिछले लगभग 05 वर्षों से किया जा रहा है । उक्त संस्था में नाबालिक दिव्यांग छात्राओं को छात्रावास में रखकर प्रशिक्षण दिया जाता है । किन्तु उक्त संस्था के संबंध में नाबालिक बच्चियों के लिए कार्य कर रही संस्था चाईल्ड लाईन एवं बाल कल्याण समिति को किसी प्रकार की कोई सूचना कभी भी नहीं दी गई थी और न ही चाईल्ड लाईन एवं बाल कल्याण समिति के द्वारा उक्त संस्था में कभी कोई दौरा ही किया गया था । जो कि गंभीर लापरवाही है। जिस संबंध में जिला प्रशासन के द्वारा आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है । महोदय उक्त संस्था का संचालन राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जिला मिशन समन्वयक ( डी ० एम ० सी ० ) के अधीन किया जा रहा था । लेकिन उनके द्वारा भी कभी भी संस्था का निरीक्षण नहीं किया गया बल्कि दिनांक 22.09.2021 को घटी घटना को भी जान बुझकर छुपाने का प्रयास किया गया है । उक्त संबंध में पुलिस के द्वारा जब डी ० एम ० सी ० से पुछताछ की गई जिस पर डी ० एम ० सी ० के द्वारा पुलिस को एक नोटसीट सूचना क्र 0 16 के रूप में दी गई है उक्त सूचना में डी ० एम ० सी ० के द्वारा यह लिखा गया है कि दिनांक 23.09.2021 एवं 24.09.2021 को विभागीय समीक्षा बैठक आयोजित है , मेरे वापसी तक कार्यालय का सामान्य प्रभार श्री अम्बष्ट सहायक कार्यक्रम संमन्यवक की ओर रहेगा। जिसमें दिनांक .22 .09.2021 की तिथि में कुटरचना कर 23.09.2021 अंकित की गई है । उक्त सूचना क्र ० 16 में दिनांक 22.09.2021 को कुटरचना कर 23.092021 किसके द्वारा और किस उद्देश्य से किया गया उक्त संबंध में पुलिस के द्वारा कोई जांच नहीं की गई है । जो एक गंभीर लापरवाही है । महोदय उक्त घटना के पश्चात राज्य सरकार के द्वारा तत्कालिन कलेक्टर श्री महादेव कावरें एवं एस डीएम सुश्री ज्योति बबली कुजूर को स्थानातरित किया गया तथा डी ० एम ० सी ० श्री बिनोद पैंकरा , एo डी ० एम ० सी ० श्री राजेश अम्बष्ट , सहित संजय राम , यशोदा सिदार , सहित अन्य कर्मचारियों को निलबिंत किया गया था । किन्तु प्रकरण के जांच एवं विचारण के दौरान ही श्री विनोद पैकरा श्री राजेश अम्बष्ट , का निलबंन समाप्त कर उन्हें पुनः उसी पद पर बहाल किया गया है । जिसको लेकर न केवल पीड़ित परिवार बल्कि पुरे जिले में आश्चर्य सहित शंका व्यक्त किया जा रहा हैं कि आखिर उपरोक्त संबंधित अधिकारियों को किस आधार पर बहाल किया गया । इसके अतिरिक्त अन्य कर्मचारी जो शंका की दृष्टि से देखे जा रहे थे उन्हें फिर से उसी बालिका प्रशिक्षण केन्द्र में वापस पदस्थ करने से कई प्रकार की शंका जन्म ले रही है ।
महोदय , उक्त घटना के संबंध में सिटी कोतवाली जशपुर के द्वारा अपराध क्रां 227 / 2021 धारा -363 , 342,376 , ( 2 ) ( एल ) 366 क , 376 1 , 450,34 , द ० भ ० सं ० धारा- 3 ( 2 ) ( 5 ) अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम एवं धारा -5 , 6 , 9 , 10 , पोक्सो एक्ट तथा अपराध क्र ० 228/2021 धारा -363,354 , क , ख , 457 , 34 , एवं 8 एवं 10 पोक्सो एक्ट , एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध कर अभियोग पत्र विशेष न्यायालय जशपुरमें प्रस्तुत किया गया है । किन्तु उक्त अभियोग पत्र में पुलिस के द्वारा घटना के साक्ष्य छुपाने, घटना की सूचना समय पर थाने में नहीं देने तथा पोक्सो अधिनियम के तहत पीड़ितों को उनके परिजनों की अनुपस्थित में जांच करने तथा शेष पीड़िता 1 एवं 2 के द्वारा अपने ब्यान में यह बताया गया है कि आरोपीगण के द्वारा उनके साथ गलत काम करने का प्रयास किया गया । उसके बावजूद पुलिस के द्वारा उक्त संबंध में धाराएं नहीं लगायी । जो एक गंभीर लापरवाही है । महोदय उक्त संबंध मे ज्ञात हो कि दिव्यांग ( मुक बधिर ) पिड़िताओं के द्वारा अपने पालको को कई बाते इसारे में बताई गई है । जिसमें उनके द्वारा न केवल उक्त दिनांक बल्कि उसके पूर्व भी घटना होने की बात बताई गई है । किन्तु जिला प्रशासन के दबाव के कारण उक्त संस्था में ही पदस्थ द्विभाषीय शिक्षका अराधना कुजूर के द्वारा जान बूझकर सभी बातें नहीं बताई गई है । जिसके कारण भी संदेह उत्पन होता है। वास्तव में उसी संस्था में पदस्थ उक्त शिक्षिका से पिड़िताओं का कथन लिया जाना उचित नहीं था । जो गंभीर लापरवाही है । जिसके कारण किसी अन्य संस्था में पदस्थ द्विभाषीय शिक्षिका के माध्यम से पिड़िताओं का कथन लिया जाना उचित होगा । जिससे घटना की वास्तविकता सामने आ सकती है । महोदय उक्त संस्था में उक्त घटना के पश्चात पूनः पुरूष कर्मचारियों को पदस्थ किया गया है । जो उचित नहीं है , हमें यह भी ज्ञात हुआ है कि आरोपी राजेश चौहान पूर्व में ही बलात्कार जैसे गंभीर आरोप के प्रकरण में विचाराधीन है । उसके बाद भी बालिकाओं के संस्था में केयरटेकर के पद पर कैसे पदस्थ किया गया । यह भी जांच का विषय है । महोदय उपरोक्त के अलावा और भी कई गंभीर बातें उक्त घटना से प्रकाश में आ रही है । जिसके संबंध में गंभीरता पूर्वक जांच किया जाना आवश्यक है । किन्तु जिला प्रशासन के द्वारा उक्त संबंध में चूंकि स्वयं कर्मचारी एवं अधिकारी जांच के दायरे में आएंगे इसलिए मामले को समाप्त कर दिया गया है । अतः श्रीमान से निवेदन है कि उक्त संबंध में किसी राष्ट्रीय एजेंसी के माध्यम से अविलम्ब जांच करा कर उक्त मामले में दोषी अन्य लोगों के विरूद्ध भी कठोर कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करें ।