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*8.40 लाख रु के गबन का आरोप प्रमाणित होने के बाद भी दो कर्मचारियों को कर दिया गया बहाल!, जनजातीय सुरक्षा मंच की करुणा भगत ने कलेक्टर से की शिकायत,शब्दशः पढ़िए पूरी शिकायत कि क्या लिखा है उसमे…*

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जशपुर/बगीचा। अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच की करुणा भगत  ने मंच के लेटर पैड में कलेक्टर को अपनी शिकायत दी है। उन्होंने अपने शिकायत में लिखा है कि…

“”प्रति,

श्रीमान् कलेक्टर महोदय जशपुर, जिला जशपुर (छ०ग०)

विषय :-

(1) कृष्ण कुमार राठौर, विकास खण्ड स्त्रोत केन्द्र समन्वयक (संविदा) विकासखण्ड स्त्रोत केन्द्र कार्यालय बगीचा एवं (2) शैलेश कुमार अम्बस्ट, लेखापाल (संविदा) विकासखण्ड स्त्रोत केन्द्र कार्यालय बगीचा को शासकीय राशि 8,40,000 (आठ लाख चालीस हजार रू.) गबन करने में वित्तिय आनियमितता का दोषी पाए जाने के बाद भी विधि विरूद्ध ढंग से पुनः उन्हें उसी पद पर बहाल किए जाने पर आपत्तिा दर्ज करते हुए उपरोक्त लोगों को तत्काल पद से हटाते हुए उनके विरूद्ध आपराधिक मामला दर्ज किए जाने बाबत्।

महोदय,

उपरोक्त विषयांतर्गत निवेदन है कि (1) कृष्ण कुमार राठौर, विकास खण्ड स्त्रोत केन्द्र समन्वयक (संविदा) विकासखण्ड स्त्रोत केन्द्र कार्यालय बगीचा (2) शैलेश कुमार अम्बस्ट, लेखापाल (संविदा) विकासखण्ड स्त्रोत केन्द्र कार्यालय बगीचा को शासकीय राशि का गबन करने का आरोप प्रमाणित पाए जाने के बाद दोनों को दिनांक 07.12.2022 को पत्र क्र0/6113/शिकायत/22 के तहत् पद से पृथक करने का आदेश दिया गया है। उसके पश्चात् पुनः दिनांक 27.02.2024 को उपरोक्त लोगों को पुनः सेवा में बहाल किये जाने का आदेश दिया गया है जो न केवल विधि विरुद्ध है बल्कि भ्रष्टाचारियों को प्रोत्साहन देने जैसा है।

उपरोक्त नियुक्ति आदेश में आपके द्वारा माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर (छ०ग०) के रिट याचिका क्रमांक 3745/2023 एवं 3741/2023 के आदेश दिनांक 2118/2023 का हवाला दिया गया है जबकि उच्च न्यायालय बिलासपुर के द्वारा दिनांक 21.08.2023 के आदेश में उपरोक्त लोगों का हुआ पुनः सेवा में लिए गये का कोई आदेश पारित नहीं किया गया है। इसके वाबजूद उपरोक्त लोगों के पुनः नियुक्ति आदेश में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 21.08.2023 का हवाला देना न केवल विधि विरूध है बल्कि माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना भी है।

महोदय वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी की स्वष्ट नीति है “न खाऊंगा न खाने दूंगा” जिसका सीधा अर्थ है कि भारत मे किसी भी तरह से भ्रष्टाचार करने वालों के प्रति कोर्ट सहानुभूति नहीं होनी चाहिए। इसके बावजूद ऐसे व्यक्ति जो संविदा के पद पर रहते हुए शासन का 8,40,000/- (आठ लाख चालीस हजार) रू. गबन करने का आरोप प्रमाणित हो चूका है उन्हें जेल के हवाले करने की अपेक्षा उनके साथ मानवीय संवेदना दिखाते हुए पुनः उन्हें उसी पद पर बहाल करने से कई सवाल उठ रहे हैं।

महोदय विदित है कि जशपुर जिला भारत के संविधान के पांचवीं अनुसूची में शामिल है जहां अनुसूचित जनजाति सहित अन्य वर्ग के हजारों शिक्षित बेरोजगार युवक – युवतियों रोजगार की आस में बैठे हैं ऐसे समय में ऐसे लोग नि पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप प्रमाणित हो चूका है उनके द्वारा किए गये ऐसे गम्भीर अपराध को नजर अंदाज करते हुए पुनः उन्हें उसी पद पर बहाल किये जाने से ान केवल भविष्य में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा बल्कि ऐसे निर्णय से जिले के शिक्षित बेरोजगार अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के युवक व्यक्तियों के मन मस्तिष्क पर गंभीर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि (1) कृष्ण कुमार राठौर, (2) शैलेश कुमार अम्बस्ट को पुनः उनके पद पर बहाल करने के आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें पदमुक्त किया जाए तथा ऐसे गम्भीर अपराध के दोषियों के विरूद्ध प्रथम सूचना पत्र दर्ज किये जाने का कष्ट करें। ताकि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के न खाऊंगा न खाने दूंगा ” नीति का सम्मान हो सके।””

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