सिंगीबहार,जशपुर :- (मुकेश नायक की रिपोर्ट) सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “नरवा, गरवा, घुरवा, बारी” अंतर्गत गौठान बनाने एवं जल जीवन मिशन के तहत लगने वाले टेप नल कार्य को पूरा कराने के लिए सरपंच-सचिव कर्ज में डूब गए हैं । क्योंकि इस योजना को पूरा कराने के लिए सचिव और सरपंचों पर जिले भर में जबरदस्त प्रशासनिक दबाव बनाया गया है, जबकि इस योजना के लिए एक रुपए भी शासन ने अब तक जारी नहीं किया है । जिन जिन पंचायतों में यह योजना संचालित है उन पंचायतों में लगभग 50 से 80 प्रतिशत कार्य भी राशि मिले बगैर ही पूर्ण हो गए हैं । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने “नरवा,गरुवा,घुरुवा बारी” जैसे महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ कर राज्य के विकास में नई पहल की शुरुआत की है । लेकिन राशि के अभाव के कारण सरपंच-सचिव इस योजना को अंतिम रूप देने में कंगाल हो गए है । उधार के निर्माण सामाग्री से गौठानों का निर्माण कराने के साथ कर्जदार भी हो चले है । कारण यह है कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए जिला प्रशासन द्वारा गौठान निर्माण कराने वाले एवं जल जीवन मिशन किसी भी पंचायत को निर्माण राशि स्वीकृत नही की गई है ।और दूसरी और इसका निर्माण कार्य जल्द से जल्द कराने के प्रशासनिक दबाव के बीच उक्त हालात निर्मित हुई है ।भले ही जिले के अधिकारी इन दोनों योजना के कार्यों में तेजी को लेकर अपने हाथों अपनी पीठ थप-थपा रहे हो । लेकिन पंचायतों पर लाखों-लाखों का कर्ज हो चला है और सेठ साहूकार के तगादे से परेशान सरपंच-सचिव भुगतान राशि पाने जनपद से लेकर जिले तक सम्बंधित विभागों का चक्कर पर चक्कर काट रहे है । लेकिन इस कार्य के राशि भुगतान को लेकर जिले के किसी भी सम्बंधित अधिकारी के पास कोई जवाब ही नही है ।
■ छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी “नरवा,गरुवा,घुरुवा बारी” का नारा राज्य में इन दिनों जोर-शोर से चल रहा है ।ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को गति देने के लिए इस महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरुआत की गई है । इस योजना को लेकर मुख्यमंत्री की सोच बेशक अच्छी है ।और इस योजना पर अधिकारियों को गंभीरता से काम करने के लिए निर्देशित भी किया है । लेकिन मुख्यतः राशि अभाव के कारण जिले में इसका बुरा हाल है | जिसके कारण यह योजना पूरी तरह फ्लॉप होता नजर आ रहा है ।
वही दूसरी और जल जीवन मिशन के तहत जिले में करोड़ो रुपए भुगतान बकाया है जिससे पंचायतों में सरपंच /सचिव कर्ज में दिन ब दिन डूबते जा रहे हैं ।