लोदाम/जशपुरनगर। विश्व बंधु शर्मा/ अरुण साहू की रिपोर्ट। जशपुर जिला मुख्यालय अंतर्गत लोदाम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक्सरे मशीन की व्यवस्था को लेकर बड़े सवाल खड़े हुए हैं। यहां नई एक्सरे मशीन को खरीदी किए हुए डेढ़ साल पूरे हो गए लेकिन आज तक इस मशीन को प्रारंभ नहीं किया जा सका है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लगभग 30 हजार की आबादी आश्रित है। क्षेत्र से जुड़े जनप्रतिनिधि इस समस्या को लेकर अनदेखी कर रहे हैं जिन्हें कई बार शिकायत कर इसकी जानकारी दी गई है। जानकारी के मुताबिक यहां एक्सरे मशीन ले तो लिया गया लेकिन ट्रांसफार्मर नहीं लगने के कारण इसका उद्घाटन नहीं हो पा रहा है। बताया जा रहा है कि ट्रांसफार्मर के लिए आवश्यक सूचना प्रक्रिया कर दी गई है लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक इसके लिए विभागीय भुगतान करना होगा जिसकी व्यवस्था नहीं हो पाई है। डॉ आशुतोष तिर्की, बीएमओ लोदाम से सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि उच्च अधिकारियों को स्थिति से अवगत करा दिया गया है।
सवाल यह है कि डेढ़ साल से एक्सरे मशीन की खरीदी कर ली गई है इसके बावजूद क्षेत्र के मरीजों को इलाज के लिए झारखंड के गुमला जिले में जाना पड़ रहा है। लोदाम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एनएच 43 पर स्थित है और आए दिन यहां सड़क दुर्घटना के कारण लोग जख्मी होते हैं और उन्हें एक्स-रे की आवश्यकता पड़ती है। आपातकालीन स्थिति में क्षेत्रवासियों को सीमा पार कर झारखंड जाना पड़ता है, क्योंकि रेफर किए जाने की संभावना से लोदाम के मरीज जसपुर जिला मुख्यालय नहीं आते हैं। लोदाम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इस अव्यवस्था को लेकर जशपुर विधानसभा के बड़े जनप्रतिनिधियों को भी क्षेत्रवासियों ने जानकारी दी और मांग की कि इस एक्सरे मशीन को प्रारंभ करवा दिया जाए जिससे क्षेत्र के सैकड़ों मरीज लाभान्वित होंगे। लेकिन जनप्रतिनिधि इस समस्या से बेखबर हैं और मोटी रकम मिलने वाले निर्माण कार्यों में ही पूरी ताकत शासन प्रशासन ने झोंक दी है। यह भी चर्चा का विषय है कि मशीन खरीदी में कमीशन को लेकर सभी ने उत्साह तो दिखा दिया लेकिन ट्रांसफार्मर लगवाने में ऊपरी कमाई किसी की नहीं दिख रही है इसलिए अभी समस्या के प्रति ना ही शासन गंभीर है ना ही प्रशासन और ना ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि ही संज्ञान ले रहे हैं। जिसका खामियाजा क्षेत्र के पीड़ित मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि जशपुर जिला मुख्यालय में हाल ही में प्रशासन की जांच में ही 12 करोड़ का घोटाला सामने आया है। इस घोटाले का महज कुछ अंश ही लोदाम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ट्रांसफार्मर के लिए दे दिया जाता तो सैकड़ों मरीजों को नई जिंदगी मिलती और वे सुकून की सांस लेते। इस ओर पहल नहीं किए जाने के कारण शासन प्रशासन में बैठे लोग जहां मरीजों की बद्दुआ ले रहे हैं वही मरीजों को इलाज के लिए बाहर जाने में मोटी रकम भी खर्च करनी पड़ रही है। अब देखना यह होगा कि क्षेत्र के मरीजों की कराह अपने आप को जनता का बेटा, भाई बताने वाले और 24 घण्टे मदद के लिए तैयार रहने कहने वाले जनप्रतिनिधि तक कब पहुंच पाती है और कब मरीजों को राहत मिलती है।